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मकर संक्रांति पर क्या है गोरखनाथ मंदिर में खिचड़ी चढ़ाने की परंपरा

चिरकाल में बाबा गोरखनाथ यानी भगवान शिव एक बार भ्रमण करते कांगड़ा जिले में स्थित मां ज्वाला धाम मंदिर पहुंच गए। उस समय बाबा को दरबार में देख कांगड़ा स्थित मां ज्वाला प्रकट होकर उनका भव्य स्वागत किया। साथ ही उनके खानपान का भी आयोजन किया।

By Umanath SinghEdited By: Published: Thu, 13 Jan 2022 06:16 PM (IST)Updated: Fri, 14 Jan 2022 05:00 AM (IST)
मकर संक्रांति पर क्या है गोरखनाथ मंदिर में खिचड़ी चढ़ाने की परंपरा
मकर संक्रांति पर क्या है गोरखनाथ मंदिर में खिचड़ी चढ़ाने की परंपरा

मकर संक्रांति का त्योहार देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है। इस मौके पर गोरखपुर स्थित गोरखनाथ मंदिर में उत्स्व जैसा माहौल रहता है। बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाई जाती है। मंदिर के महंत सबसे पहले बाबा को खिचड़ी का भोग लगाते हैं। इसके बाद सामान्य लोगों के लिए मंदिर के कपाट खोले जाते हैं। इस दिन से खिचड़ी मेला का आयोजन किया जाता है। यह मेला एक महीने तक लगता है। बड़ी संख्या में बाबा के भक्त और श्रद्धालु देश-विदेश से बाबा गोरखनाथ मंदिर आकर बाबा के दर पर मत्था टेककर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। आइए, बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाने की कथा और महत्व के बारे में जानते हैं-

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क्या है कथा

चिरकाल में बाबा गोरखनाथ यानी भगवान शिव एक बार भ्रमण करते कांगड़ा जिले में स्थित मां ज्वाला धाम मंदिर पहुंच गए। उस समय बाबा को दरबार में देख कांगड़ा स्थित मां ज्वाला प्रकट होकर हुई और बाबा का भव्य स्वागत किया। साथ ही उनके खानपान का भी आयोजन किया। जब बाबा को भोजन परोसा गया, तो नाना प्रकार के छप्पन भोग देखकर बाबा गोरखनाथ बोले-मैं तो योगी हूं। मैं भिक्षा में प्राप्त चीजों को ग्रहण करता हूं। आप पुनः भोजन बनाने के प्रबंध करें। मैं तब तक भिक्षा मांगकर आता हूं। मां ज्वाला भोजन हेतु पानी करने लगी।

बाबा गोरखनाथ भिक्षा मांगने के क्रम में गोरखपुर पहुंच गए। तत्कालीन समय में इस जगह पर घना वन था। वहीं, नदी के किनारे बाबा भिक्षा पात्र रख साधना में लीन हो गए। आते-जाते लोगों ने पात्र में चावल और दाल दिए। लोग अन्न का दान करते रहें, लेकिन पात्र नहीं भरा। इस दौरान खिचड़ी का पर्व आ गया। उस समय लोगों ने खिचड़ी पर्व पर बाबा को खिचड़ी चढ़ाई। उस समय से बाबा को खिचड़ी चढ़ाने की परंपरा चली आ रही है। वहीं, ज्वाला धाम में आज भी पानी गरम (उबल) रहा है। ऐसा कहा जाता है कि बाबा के दर पर जो कोई सच्ची श्रद्धा से आता है। उसकी सभी मुराद अवश्य पूरी होती है।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


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