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Pitru Paksha 2019 Importance of Gaya: गया में श्राद्ध से होता है सात पीढ़ियों का उद्धार, ये 3 बातें इस स्थान को बनाती हैं विशेष

Pitru Paksha 2019 Importance of Gaya Gaya main pind daan ka mahatva भारत ही नहीं पूरी दुनिया में गया को मोक्ष धाम के नाम से जाना जाता है।

By kartikey.tiwariEdited By: Published: Wed, 11 Sep 2019 12:55 PM (IST)Updated: Wed, 11 Sep 2019 03:16 PM (IST)
Pitru Paksha 2019 Importance of Gaya: गया में श्राद्ध से होता है सात पीढ़ियों का उद्धार, ये 3 बातें इस स्थान को बनाती हैं विशेष
Pitru Paksha 2019 Importance of Gaya: गया में श्राद्ध से होता है सात पीढ़ियों का उद्धार, ये 3 बातें इस स्थान को बनाती हैं विशेष

Pitru Paksha 2019 Importance of Gaya: हिन्दू धर्म ग्रंथों में गया का एक विशेष धार्मिक महत्व है। भारत ही नहीं, पूरी दुनिया में गया को मोक्ष धाम के नाम से जाना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, पवित्र फल्गु नदी के तट पर बसे गया में पितृ पक्ष के समय पितरों को पिंडदान और तर्पण देने से माता-पिता के साथ सात पीढ़ियों का उद्धार हो जाता है। गया में पितृ पक्ष के अलावा आप वर्षभर किसी भी समय जाकर श्राद्ध कर्म कर सकते हैं।

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गया में श्राद्ध का महत्व/Importance of Shradh in Gaya

दो विशेष स्थानों के कारण गया का महत्व काफी बढ़ जाता है। विष्णुपद मन्दिर और फल्गु नदी तट गया को विशेष बनाते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान विष्णु के चरण कमल विष्णुपद मंदिर में विराजमान हैं, जिसकी पूजा के लिए लोग दुनिया के कोने कोने से आते हैं।

दूसरा सबसे महत्वपूर्ण स्थान है फल्गु नदी का तट। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, यहां पर श्राद्ध कर्म करने से पितरों को बैकुंठ प्राप्त होता है। इस कारण से हिन्दू अपने पितरों को पिंडदान और तर्पण के लिए एक बार गया जरूर आते हैं। गया में पिंडदान करने वाला व्यक्ति भी स्वयं परमगति को प्राप्त करता है।

भगवान राम ने गया में किया पिंडदान /Lord Rama Performed Pind Daan in Gaya

कहा जाता है कि भगवान राम ने अपने पिता राजा दशरथ के आत्मा की शांति के लिए सीता जी के साथ गया में पिंडदान किया था। तब से ऐसी मान्यता है कि जो भी गया में अपने पितरों को पिंडदान करेगा, उसके पितर तृप्त हो जाएंगे। वह व्यक्ति पितृ ऋण से मुक्त हो जाएगा।

इसलिए नाम पड़ा गया/Story of Gayasur

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भस्मासुर के वंशजों में गयासुर नामक राक्षस था, उसके नाम पर ही गया का नाम पड़ा। पहले ब्रह्मा जी और फिर बाद में देवताओं से उसने वरदान प्राप्त किया था। जिस कारण से इस स्थान पर जो भी व्यक्ति आता है, वह पाप मुक्त हो जाता है, वह तर जाता है।


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