Move to Jagran APP

कामाख्‍या मंदिर में स्‍थापित देवी से विवाह करने की इच्‍छा में मारा गया नरकासुर

नरकासुर नामक राक्षस इसीलिए मारा गया क्‍योंकि वो असम के इस मंदिर में स्‍थापित कामाख्‍या देवी से विवाह करने की दुष्‍ट इच्‍छा रखता था।

By Molly SethEdited By: Published: Fri, 09 Mar 2018 10:12 AM (IST)Updated: Sat, 10 Mar 2018 09:48 AM (IST)
कामाख्‍या मंदिर में स्‍थापित देवी से विवाह करने की इच्‍छा में मारा गया नरकासुर

रजस्‍वला होती हैं देवी

loksabha election banner

कामाख्या मंदिर असम की राजधानी दिसपुर के पास गुवाहाटी से 8 किलोमीटर दूर कामाख्या में है। कामाख्या से भी 10 किलोमीटर दूर नीलाचल पव॑त पर स्थित है। यह मंदिर शक्ति की देवी सती का मंदिर है। मंदिर एक पहाड़ी पर बना है, और इसका तांत्रिक महत्व भी है। प्राचीन काल से कामाख्या तंत्र सिद्धि का सर्वोच्च स्थल माना जाता है। असम राज्य की नीलांचल या नीलशैल पर्वतमालाओं पर स्थित मां भगवती कामाख्या का सिद्ध शक्तिपीठ सती के इक्यावन शक्तिपीठों में सर्वोच्च स्थान रखता है। इसी स्‍थान पर भगवती की महामुद्रा अर्थत योनि-कुण्ड स्थित है। यहां देवी के गर्भ और योनि को मंदिर के गर्भगृह में रखा गया है। ऐसा कहा जाता है कि जून के महीने में इससे रक्त का प्रवाह होता है। मान्यता है की इस समय देवी रजस्‍वला होती है और इस दौरान यहां स्थित ब्रह्मपुत्र नदी लाल हो जाती है। इस अवधि में मंदिर 3 दिन तक बंद रहता है और इस लाल पानी को देवी के रज के रूप में भक्तों के बीच बांटा जाता है।

मंदिर से जुड़ी नरकासुर की कहानी

कामाख्या के बारे में एक कथा प्रसिद्ध है कि घमंड में चूर असुरराज नरकासुर एक दिन मां भगवती कामाख्या को अपनी पत्नी के रूप में पाने का दुराग्रह कर बैठा था। कामाख्या महामाया ने नरकासुर की मृत्यु को निकट मानकर उससे कहा कि यदि तुम एक ही रात में नील पर्वत पर चारों तरफ पत्थरों के चार सोपान पथों का निर्माण कर दो और कामाख्या मंदिर के साथ एक विश्राम-गृह बनवा दो, तो मैं तुम्हारी इच्छानुसार पत्नी बन जाऊंगी और यदि तुम ऐसा न कर पाये तो तुम्हारी मृत्‍यु निश्‍चित है। गर्व में चूर असुर ने पथों के चारों सोपान प्रभात होने से पूर्व पूर्ण कर दिये और विश्राम कक्ष का निर्माण कर ही रहा था कि महामाया के एक मायावी कुक्कुट (मुर्गे) द्वारा रात्रि समाप्ति की सूचना दी गयी, जिससे नरकासुर ने क्रोधित होकर मुर्गे का पीछा किया और ब्रह्मपुत्र के दूसरे छोर पर जाकर उसका वध कर डाला। यह स्थान आज भी कुक्टाचकि के नाम से विख्यात है। बाद में मां भगवती की माया से भगवान विष्णु ने नरकासुर असुर का वध कर दिया। नरकासुर की मृत्यु के बाद उसका पुत्र भगदत्त कामरूप का राजा बना।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.