Kumbh Mela 2021: हरिद्वार में स्थित है सप्त ऋषि आश्रम, यहां से गंगा 7 हिस्सों में हुईं थीं विभाजित
Kumbh Mela 2021 हरिद्वार एक बहुत प्राचीन नगरी है। हरिद्वार हिन्दुओं के सात पवित्र स्थलों में से एक है। इस श्री हरि यानी बद्रीनाथ का द्वारा माना जाता है। यह गंगा के तट पर स्थित है। इसे केवल गंगा द्वार ही नहीं बल्कि इसे मायापुरी भी कहा जाता है।
Kumbh Mela 2021: हरिद्वार एक बहुत प्राचीन नगरी है। हरिद्वार हिन्दुओं के सात पवित्र स्थलों में से एक है। इस श्री हरि यानी बद्रीनाथ का द्वारा माना जाता है। यह गंगा के तट पर स्थित है। इसे केवल गंगा द्वार ही नहीं बल्कि इसे मायापुरी भी कहा जाता है। यहां पर हर की पौड़ी भी मौजूद है जिसे ब्रह्मकुंड भी कहा जाता है। इसी घाट पर कुंभ का मेला लगता है। यहां पर सप्त ऋषि आश्रम भी स्थित है। तो आइए जानते हैं कि हरिद्वार में मौजूद सप्त ऋषि आश्रम के बारे में।
हरिद्वार में एक ऐसी जगह है जहां सप्त ऋषियों ने एक साथ तपस्या की थी। मान्यता है कि जब गंगा नदी बहती हुआ आ रही थी तब सप्त ऋषियों ने गहन तपस्या की थी। वे सभी तपस्या में पूरी तरह से लीन थे। जब गंगा नदी बहती हुई आ रही थी तब गंगा ने उनकी तपस्या भंग नहीं की और स्वयं ही 7 हिस्सों में विभाजित होकर अपना रास्त बदल लिया। यही कारण है कि इसे सप्त धारा भी कहा जाता है।
एक हिंदू लोककथा के अनुसार, सप्त ऋषियों का यह आश्रम ही अराधना स्थल था। वैदिक काल के ये सप्त ऋषि कश्यप, अत्री, वशिष्ठ, जमदग्नी, गौतम, विश्वामित्र एवं भारद्वाज थे। कहा जाता है कि सप्त धारा को सप्त सागर के नाम से भी जाना जाता है। इस स्थान को सप्त सरोवर या सप्त ऋषी कुंड भी कहा जाता है। साथ ही यह भी कहा जाता है कि ये सात धाराएं जिनमें गंगा जी विभाजित हुई थीं जो आपस में मिलकर नील धारा बनाती हैं। मिलकर एक सुंदर चैनल बनाती हैं जिसे नील धारा कहा जाता है।
डिसक्लेमर
'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'