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Ganesh Temple: कैसे हुई चिंतामन गणेश मंदिर की स्थापना, जानें इस मंदिर के बारे में

Ganesh Temple आज बुधवार है और आज के दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है। भारत में भगवान गणेश के कई सिद्ध मंदिर हैं। इन्हीं में से एक मंदिर है चिंतामन गणेश मंदिर। मान्यता है कि जो व्यक्ति इस गणेश जी के चिंतामन मंदिर के दर्शन कर लेता है...

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Wed, 03 Mar 2021 08:00 AM (IST)Updated: Wed, 03 Mar 2021 08:53 AM (IST)
Ganesh Temple: कैसे हुई चिंतामन गणेश मंदिर की स्थापना, जानें इस मंदिर के बारे में
Ganesh Temple: कैसे हुई चिंतामन गणेश मंदिर की स्थापना, जानें इस मंदिर के बारे में

Ganesh Temple: आज बुधवार है और आज के दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है। भारत में भगवान गणेश के कई सिद्ध मंदिर हैं। इन्हीं में से एक मंदिर है चिंतामन गणेश मंदिर। मान्यता है कि जो व्यक्ति इस गणेश जी के चिंतामन मंदिर के दर्शन कर लेता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। गणेश जी का चिंतामन मंदिर भारत में कई जगह स्थित है। तो आइए जानते हैं कि भगवान गणेश के चिंतामन मंदिर कहां-कहां स्थित है।

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जानें भारत में कहां-कहां हैं चिंतामन गणेश मंदिर:

चिंतामन गणेश मंदिर भारत में भोपाल के सिहोर, उज्जैन, गुजरात और रणथंभौर में स्थित है। इन मंदिरों की स्थापना कैसे हुई इनकी कई कहानियां मौजूद हैं। मान्यता है कि इन गणेश मंदिरों की स्थापना गणेश जी ने स्वयं की थी या फिर किसी भक्त के सपने में आकर उन्होंने मंदिर की स्थापना करने की बात कही थी। आज के इस लेख में हम आपको बताएंगे कि गणेश जी का सिहरो में स्थित मंदिर कैसे स्थापित हुआ।

भोपाल के सिहरो में स्थित चिंतामन गणेश मंदिर को लेकर कहा जाता है कि इस मंदिर की स्थापना विक्रमादित्य ने की थी। पौराणिक कथाओं के अनुसार, यहां जो मूर्ति स्थापित है उसे गणेश जी ने स्वयं ही दी थी। एक बार गणेश जी के स्वपन्न में राजा विक्रमादित्य आए थे। उन्होंने कहा था कि पार्वती नदी के तट पर पुष्प रूप में मेरी मूर्ति मौजूद है इस मूर्ति को स्थापित करो। सपने में गणेश जी ने जैसा-जैसा करने के लिए कहा था वैसा-वैसा विक्रमादित्य ने किया और नदी के तट पर जाकर पुष्प को लेकर वापस लौटने लगे। तब रास्ते में ही रात हो गई और पुष्प वहीं गिर गया। वह श्री गणेश की मूर्ति के रूप में परिवर्तित हो जमीन में धंस गई।

इसके बाद राजा विक्रमादित्य ने उस मूर्ति को वहां से निकालने की बहुत कोशिश की लेकिन वो ऐसा नहीं कर पाए। इसके बाद राजा ने वहीं पर मंदिर का निर्माण कराया। तब से ही इस मंदिर को चिंतामन मंदिर के नाम से जाना जाने लगा।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


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