Move to Jagran APP

जानें, पवित्र पावन गंगोत्री धाम के बारे में सबकुछ

गंगा नदी की धारा देवप्रयाग में अलकनंदा में जा मिलती है। इस जगह से भागीरथी और अलकनंदा गंगा कहलाती है। अतः देवप्रयाग को संगम स्थल कहा जाता है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु देवप्रयाग में गंगा स्नान हेतु आते हैं। कालांतर से गंगोत्री में गंगा माता की पूजा की जाती है।

By Umanath SinghEdited By: Published: Wed, 12 Jan 2022 12:07 PM (IST)Updated: Wed, 12 Jan 2022 12:07 PM (IST)
जानें, पवित्र पावन गंगोत्री धाम के बारे में सबकुछ
जानें, पवित्र पावन गंगोत्री धाम के बारे में सबकुछ

उत्तराखंड को देवों की भूमि कहा जाता है। इस पावन धरा पर चारधाम यात्रा की जाती है। इनमें एक पवित्र स्थल गंगोत्री है। चारधाम यात्रा के दूसरे पड़ाव में गंगोत्री की यात्रा करने का विधान है। तीन अन्य धाम यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ हैं। गंगोत्री गंगा नदी का उद्गम स्थल है। आसान शब्दों में समझें तो उत्तराखंड के गढ़वाल में गंगोत्री हिमनद से गंगा नदी निकलती है। समुद्रतल से इसकी ऊंचाई 3042 मीटर है। नदी की धारा को भागीरथी कहा जाता है।

loksabha election banner

गंगा नदी की धारा देवप्रयाग में अलकनंदा में जा मिलती है। इस जगह से भागीरथी और अलकनंदा गंगा कहलाती है। अतः देवप्रयाग को संगम स्थल कहा जाता है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु देवप्रयाग में गंगा स्नान हेतु आते हैं। कालांतर से गंगोत्री में गंगा माता की पूजा की जाती है। इतिहासकारों की मानें तो पूर्व में गंगा की जलधारा की पूजा की जाती है। समय के साथ गंगोत्री के आसपास शहर और कस्बे बसने लगे। उस समय लोग गंगा नदी के किनारे गंगा मैया और अन्य देवी-देवताओं की मूर्ति बनाकर पूजा-उपासना किया करते थे।

आधुनिक इतिहास में गोरखा कमांडर अमर सिंह थापा द्वारा गंगा मंदिर का निर्माण करवाया गया। वहीं, जयपुर के राजा माधो सिंह द्वितीय ने गंगा मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया। आज गंगोत्री में बेहद खूबसूरत गंगा मंदिर है। गंगोत्री के आसपास के कई अन्य धार्मिक स्थल हैं। इनमें मुखबा गांव, भैरों घाटी, हर्षिल, नंदनवन तपोवन, गंगोत्री चिरबासा और केदारताल प्रमुख हैं। यह पवित्र स्थल शीत ऋतू में बंद रहता है। इसके बाद ग्रीष्मकाल में खुलता है।

अतः गंगोत्री की धार्मिक यात्रा पर जाने के लिए शुभ समय अप्रैल से लेकर नवंबर है। मानसून के दिनों में यात्रा करना अनुकूल नहीं है। दीवाली के दिन मंदिर के कपाट बंद होते हैं और अक्षय तृतीया के दिन चार धाम के कपाट खुलते हैं। श्रद्धालु हवाई, सड़क और रेल मार्ग के माध्यम से गंगोत्री पहुंच सकते हैं।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.