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रावण की कैद से छुड़ा कर हनुमान जी ने यहां स्‍थापित किया था शनिदेव को

शनिचरा मंदिर मध्य प्रदेश में ग्वालियर के नजदीकी एंती गांव स्‍थित है कहते हैं उन्‍हें हुनमान जी ने लंका से ला कर यहां स्‍थापित किया था।

By Molly SethEdited By: Published: Fri, 09 Feb 2018 04:04 PM (IST)Updated: Sat, 10 Feb 2018 09:53 AM (IST)
रावण की कैद से छुड़ा कर हनुमान जी ने यहां स्‍थापित किया था शनिदेव को
रावण की कैद से छुड़ा कर हनुमान जी ने यहां स्‍थापित किया था शनिदेव को
अति प्राचीन मंदिर 
मध्‍यप्रदेश में ग्‍वालियर के पास मुरैना जिले के एंती गांव में स्‍थित शनिदेव मंदिर का देश का सबसे प्राचीन त्रेतायुगीन मंदिर है। यहां प्रतिष्ठत शनिदेव की प्रतिमा भी विशेष है जिसके बारे में माना जाता है कि ये आसमान से टूट कर गिरे एक उल्कापिंड से निर्मित है। ज्योतिषी व खगोलविद भी मानते है कि शनि पर्वत पर निर्जन वन में स्थापित ये मंदिर और उसकी प्रतिमा विशेष प्रभावशाली है। ऐसी भी मान्‍यता है कि महाराष्ट्र के सिग्‍णापुर शनि मंदिर में प्रतिष्ठित शनि शिला भी इसी शनि पर्वत से ले जाई गई है। इस प्रतिमा के बारे किंवदंती है कि हनुमान जी ने शनिदेव को रावण की कैद से मुक्त कराकर उन्हें यहां पर विश्राम करने के लिए छोड़ा था। यही कारण है कि मंदिर के बाहर हनुमान जी की मूर्ति भी स्थापित की गई है। 
मंदिर से जुड़ी प्रचलित कथा
प्राचीन ग्रंथों के अनुसार एक बार अन्‍य ग्रहों के साथ रावण ने शनिदेव को भी कैद कर लिया था। जब हनुमान जी सीता जी की खोज में लंका पहुंचे तो रावण द्वारा पूंछ में आग लगाने पर लंका ही जलाने का निर्णय किया। तब शनि देव से उनकी भेंट हुई और उन्‍होंने रक्षा करने का अनुरोध किया। उन्‍होंने रावण का नाश करने में मदद करने का भी वचन दिया। तब हनुमान जी ने शनिदेव को रावण की कैद से छुड़ाया। उसके बाद दुर्बल हो चुके शनिदेव ने उनसे दोबारा शक्‍ति प्राप्‍त करने तक कोई सुरक्षित स्‍थान मांगा, तब हनुमान जी ने उन्हें लंका से प्रक्षेपित करके इस क्षेत्र में प्रतिष्ठित कर दिया, तभी से यह क्षेत्र शनिक्षेत्र के नाम से प्रसिद्ध है। देश भर से भक्‍त हर शनिश्चरी अमावस्या को यहां आते हैं। 
 

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