बुद्ध पूर्णिमा पर जाने बुद्ध के एक विशिष्ट मंदिर के बारे में
आज बुद्ध पूर्णिमा है इस अवसर पर आइये जानते हैं कुशीनगर में उनके प्रमुख मंदिर महापरिनिर्वाण विहार के बारे में।
अनोखी प्रतिमा
महापरिनिर्वाण विहार या निर्वाण मंदिर कुशीनगर का प्रमुख आकर्षण है। इस मंदिर में महात्मा बुद्ध की 6.10 मीटर लंबी लेटी हुई प्रतिमा स्थापित है। कहते हें कि 1876 में खुदाई के दौरान यह प्रतिमा प्राप्त हुई थी। यह प्रतिमा चुनार के बलुआ पत्थर को काटकर बनाई गई है। प्रतिमा के नीचे खुदे अभिलेख के अनुसार कह सकते हैं कि इस प्रतिमा का संबंध पांचवीं शताब्दी से है। ऐसा भी कहा जाता है कि हरीबाला नामक बौद्ध भिक्षु गुप्त काल के दौरान यह प्रतिमा मथुरा से कुशीनगर लाया था।
बुद्ध पूर्णिमा पर होता है विशेष उत्सव
बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर में स्थित इस महापरिनिर्वाण विहार पर एक माह का मेला लगता है। यद्यपि यह तीर्थ गौतम बुद्ध से संबंधित है, लेकिन आस-पास के क्षेत्र में हिंदू धर्म के लोगों की संख्या ज्यादा है और यहां के विहारों में पूजा-अर्चना करने वे बड़ी श्रद्धा के साथ आते हैं। इस विहार का महत्व बुद्ध के महापरिनिर्वाण से जुड़ा होने के कारण काफी ज्यादा है। मंदिर का स्थापत्य अजंता की गुफाओं से प्रेरित है। इस विहार में भगवान बुद्ध की लेटी हुई यानि भू-स्पर्श मुद्रा में 6.1 मीटर लंबी मूर्ति है। जो लाल बलुई मिट्टी की बनी है। यह विहार उसी स्थान पर बनाया गया है, जहां से यह मूर्ति निकाली गयी थी। विहार के पूर्व हिस्से में एक स्तूप है। यहां पर भगवान बुद्ध का अंतिम संस्कार किया गया था। यह मूर्ति भी अजंता में बनी भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वाण मूर्ति की प्रतिकृति है।