केदारनाथ में लंबी लगी 25 जून की रात
केदारनाथ की उस काली रात को भले ही दो साल बीत चुके हैं और चोराबाड़ी ग्लेश्यिर के बीच बनी झील में भी अब कीचड़ ही बचा है। बावजूद इसके बारिश होते ही यात्रियों के दिलो दिमाग पर वही मंजर हावी हो जाता है। बीते बृहस्पतिवार को चौबीस घंटे से लगातार
रुद्रप्रयाग, [बृजेश भट्ट]। केदारनाथ की उस काली रात को भले ही दो साल बीत चुके हैं और चोराबाड़ी ग्लेश्यिर के बीच बनी झील में भी अब कीचड़ ही बचा है। बावजूद इसके बारिश होते ही यात्रियों के दिलो दिमाग पर वही मंजर हावी हो जाता है। बीते बृहस्पतिवार को चौबीस घंटे से लगातार हो रही बारिश के दौरान वहां ठहरे तकरीबन दो सौ श्रद्धालुओं के लिए 25 जून की रात सबसे लंबी साबित हुई। बादलों की गरज के बीच लोग भोले बाबा का नाम जपते रहे। इस बीच नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (निम) के कर्मचारी सहमे हुए लोगों की हौसलाफजाई करते रहे।
झारखंड के 45 वर्षीय प्रभु माथुर पेशे से इंजीनियर हैं। दो बच्चों और पत्नी के साथ पहली बार केदारनाथ आए माथुर शुक्रवार को हेलीकॉप्टर से गुप्तकाशी पहुंचे तो सुकून की सांस ले भगवान को धन्यवाद दिया। बोले 'बीती रात बेहद लंबी थी। लगातार हो रही बारिश के साथ आंखों के आगे दो साल पहले टीवी पर देखे मंजर आ रहे थे।' माथुर ने बताया कि रात टेंट में बादलों की गर्जना और मंदाकिनी की दहाड़ दिल दहलाती रही।
ग्रेटर नोएडा की एक निजी फर्म में कार्यरत 56 साल के ओमवीर सिंह भी बृहस्पतिवार को केदारनाथ में थे। शुक्रवार सुबह वह भी हेलीकॉप्टर से गुप्तकाशी पहुंचे। वह कहते हैं कि बृहस्पतिवार की दोपहर वह बारिश में ही केदारनाथ पहुंचे। शाम होते ही ठंड काफी बढ़ गई। ओमवीर बताते हैं कि शाम की आरती में शामिल होने तक तो सब ठीक रहा, लेकिन रात को टेंट में घुसते ही अज्ञात आशंका मन में घर करने लगी। इसी कारण रात को वह सो नहीं पाए। उन्होंने बताया कि इस दौरान नेहरू पर्वतारोहण संस्थान के कर्मचारी बीच बीच में आकर लोगों को दिलासा दे रहे थे, लेकिन इससे भी भय कम नहीं हुआ। केदारनाथ में तैनात निम के सूबेदार रणजीत सिंह ने बताया कि खतरे जैसी कोई बात नहीं थी, लेकिन यात्री कुछ घबराए हुए थे।