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सावन मास की शुरुआत आज से, पहले सोमवार को है अमृत योग

सावन मास की शुरुआत आज से हो रही है। ज्योतिषियों का कहना है कि इस बार सावन का प्रत्येक सोमवार जातकों के लिए विशिष्ट परिणाम देने वाला होगा।

By Preeti jhaEdited By: Published: Tue, 19 Jul 2016 02:36 PM (IST)Updated: Wed, 20 Jul 2016 04:03 PM (IST)
सावन मास की शुरुआत आज से, पहले सोमवार को है अमृत योग

सावन मास की शुरुआत आज से हो रही है। रक्षाबंधन के दिन यानि 18 अगस्त को ये समाप्त होगी। ज्योतिषियों के मुताबिक इस बार सावन का प्रत्येक सोमवार विशिष्ट योग से जुड़ा हुआ है। इससे पहले द्वादश लिंगों में सर्वश्रेष्ठ कामनालिंग बाबा वैद्यनाथ के दरबार में श्रावणी मेला मंगलवार से शुरू हो गया है। इस बार श्रावणी मेला का स्वरूप बदला-बदला है। गुरु पुर्णिमा तक जलार्पण के बाद स्पर्श करने वाले भक्त श्रावणी मेले के पहले दिन से ही अर्घा व्यवस्था के तहत जलार्पण करेंगे। सुल्तानगंज गंगाघाट से देवघर आने के बाद भी जलार्पण के लिए आठ से दस किमी लंबी कतार में लगने से इस बार निजात मिल सकती है।झारखंड के देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथधाम श्रावणी मेले को लेकर पूरी तरह तैयार है। यहां का शिव मंदिर द्वादश ज्योतिर्लिंगों में सर्वाधिक महिमा वाला माना जाता है। बैद्यनाथधाम में सावन महीने में हर दिन करीब एक लाख शिवभक्त शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं। सावन में सोमवारी के मौके पर यहां आने वाले शिवभक्तों की संख्या और बढ़ जाती है।

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श्रावणी मेले के आने के साथ शिवभक्तों के मन में बाबा के दर्शन की उमंगें हिलोरे लेने लगी हैं। वैसे आषाढ़ पूर्णिमा से ही यह मेला प्रारंभ होने के साथ सावन में जलाभिषेक के लिए देशभर से शिवभक्तों की भीड़ उमड़ेगी। वैसे कुछ वर्ष पहले तक सोमवार को जल चढ़ाने की जो होड़ रहती थी, वह अब उतनी नहीं है।

सवा महीने तक चलने वाले इस मेले में अब हर रोज कावंड़ियों की भीड़ लाखों की संख्या पार कर जाती है। इस अर्थ में यह किसी महाकुंभ से कम नहीं है। झारखंड के देवघर में लगने वाले इस मेले का सीधा सरोकार बिहार के सुलतानगंज से है। यहीं गंगा नदी से जल लेने के बाद 'बोल बम' के जयकारे के साथ कांवड़िये नंगे पाँव देवघर की यात्रा आरंभ करते हैं।

देवघर स्थित शिवलिंग का अपना खास महत्व है क्योंकि शास्त्रों में इसे मनोकामना लिंग कहा गया है। यह देश के 12 अतिविशिष्ट ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है। यह वैद्यनाथ धाम के नाम से भी जाना जाता है। ऐसे शिवभक्तों की संख्या हजारों में है जो बीस-पचीस वर्षों से हर वर्ष कांवड़ लेकर बाबा के दरबार पहुँचते हैं। ऐसे शिवभक्त अपनी तमाम कामयाबी का श्रेय शिव को देते हैं।

श्रावणी मेले में सुल्तानगंज से गंगा जल लेकर प्रस्थान करने वाले कांवड़ियों की संख्या सवा महीने में पचास लाख के करीब पहुँच जाती है।

पढ़ें : कांवड़ यात्रा कब शुरू हुई, किसने की, क्या उद्देश्य है, जानिए अनजाना तथ्य

सुलतानगंज से देवघर की दूरी 98 किलोमीटर है। इसमें सुइया पहाड़ जैसे दुर्गम रास्ते भी शामिल हैं, जहाँ से नंगे पाँव गुजरने पर नुकीले पत्थर पाँव में चुभते हैं मगर मतवाले शिवभक्तों को इसकी परवाह कहाँ रहती है। धर्मशास्त्रों में शिव के जिस अलमस्त व्यक्तित्व का वर्णन है, कमोवेश उनके भक्त कांवड़ियों में भी श्रावणी मेले में यह नजर आता है। वैसे हठयोगी शिवभक्तों की भी कमी नहीं है।

इतनी लंबी दूरी तक दंड प्रणाम करते पहुँचने वाले शिवभक्तों की कमी नहीं है। वहीं एक ही दिन में इस यात्रा को पूर्ण करने वाले भी हजारों में हैं। देवघर के धार्मिक पर्यटन के लिए उमड़ रहे सैलाब पर अब बिहार सरकार की भी नजर पड़ी है। राज्य सरकार ने इस वर्ष कांवड़ियों के लिए कच्ची सड़क का निर्माण कराया है।

इसके पूरा हो जाने से जहाँ सुलतानगंज से देवघर की दूरी 17 किलोमीटर कम हो जाएगी, वहीं नंगे पाँव पैदल यात्रा भी सुगम होगी।

श्रावणी मेले में इधर के कुछ वर्षों में बड़ी तब्दीलियाँ आई हैं। बीस वर्ष पहले तक कांवड़ लेकर पदयात्रा करने वालों में मध्य आयु वर्ग के पुरुषों की संख्या ज्यादा होती थी लेकिन अब ऐसी बात नहीं है। पिछले कुछ वर्षों में महिलाओं और नौजवानों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। धार्मिक आस्था और गहरी होने के अलावा इसमें एक अलग तरह के पर्यटन का आनंद भी है। देवघर में श्रावणी मेले के दौरान कांवड़ियों की सात से आठ किलोमीटर लंबी कतार लग जाती है। घंटों खड़ा रहने के बाद कुछ पल के लिए मंदिर में प्रवेश मिलता है।

ज्यादा भीड़ के मद्देनजर 'अरघा' व्यवस्था

1 अगस्त से प्रारंभ होने वाले सावन महीने में अधिक भीड़ जुटने की संभावना के मद्देनजर बाबा पर जलार्पण के लिए 'अरघा' की व्यवस्था रहेगी। अरघा के जरिए ही शिवभक्त जलार्पण करेंगे। इसके अलावा मंदिर प्रांगण में बड़ा जलपात्र भी रखा रहेगा, जिसमें नि:शक्त, असहाय, वृद्ध वैसे कांवड़िए जो भीड़ से बचना चाहते हैं, वे इस जलपात्र में जल डालेंगे। उनका जल पाइप लाइन सिस्टम के जरिए सीधे बाबा के शिवलिंग पर चढ़ेगा, जिसका सीधा प्रसारण वे टेलीविजन स्क्रीन पर देख सकेंगे।

जल चढ़ाने के लिए ऑनलाइन बुकिंग

बाबा मंदिर प्रबंधन बोर्ड प्रयोग के तौर पर जलार्पण के लिए विशेष व्यवस्था कर रही है। इसके तहत दूर-दराज से आने वाले श्रद्धालु बाबा मंदिर की वेबसाइट पर लॉगऑन कर एक परिवार के छह सदस्यों के लिए एक बार में ऑनलाइन बुकिंग करा सकते हैं। ऐसे परिवारों को 101 रुपये का शुल्क देना होगा, जिन्हें जलार्पण की विशेष सुविधा मिलेगी।

भक्तों के लिए रजिस्ट्रेशन कार्ड अनिवार्य

यहां आने वाले सभी भक्तों को प्रवेश निबंधन कार्ड लेना अनिवार्य होगा। इसके लिए कांवड़िया पथ सरासनी में काउंटर बनाए गए हैं। कांवड़ियों की सुविधा के लिए इस बार व्यवस्था को और पुख्ता किया गया है।

रास्ते में कृत्रिम बारिश का भी इंतजाम

कांवड़िया पथ में कांवड़ियों की सुविधा के लिए कृत्रिम वर्षा की व्यवस्था की गई है। कांवड़िया राह से गुजरते हुए बनावटी बारिश में स्नान कर सकेंगे। इस दौरान कांवड़ियों के पैरों पर पानी डाला जाएगा, ताकि उन्हें शीतलता का अहसास हो।

सुरक्षा के मद्देनजर कई जगह CCTC कैमरे

मेले में सुरक्षा को लेकर 2,000 से ज्यादा सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया है। भीड़ नियंत्रण के लिए पिछले वर्ष त्वरित कार्य बल (RAF) के जवानों को लगाया गया था, लेकिन इस बार यह कमान सीआरपीएफ के जवान संभालेंगे। मंदिर के अलावा आसपास के इलाके में 50 से अधिक सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। मेला परिसर में 23 स्थानों पर सूचना केंद्र की स्थापना की गई है।

भक्तों की भीड़

देवघर में सालोंभर शिवभक्तों की भारी भीड़ लगी रहती है, लेकिन सावन में यह पूरा क्षेत्र केसरिया वस्त्र पहने शिवभक्तों से पट जाता है। भगवान भोलेनाथ के भक्त 105 किलोमीटर दूर बिहार के भागलपुर के सुल्तानगंज में बह रही उत्तर वाहिनी गंगा से जल भरकर पैदल यात्रा करते हुए यहां आते हैं और शिव का जलाभिषेक करते हैं। वैसे कई श्रद्धालु सीधे बाबा की नगरिया आकर बाबा बैद्यनाथ की पूजा कर खुद को धन्य मानते हैं।

मुख्यमंत्री के आदेश

श्रावणी मेला में मुख्यमंत्री के आदेश के बाद दुमका से देवघर के बीच लगने वाले टोल टैक्स पर रोक लगा दी गई है। श्रावणी मेला में टोल टैक्स लागू रहने से जाम होने की संभावना बनी रहती है। 19 जुलाई 2016 से 20अगस्त 2016 तक दुमका शहर में नो इन्ट्री एवं टोल टैक्स के आदेश को स्थगित किया गया है।

सड़क पर सोने की इजाजत नहीं

मेला के दौरान मंदिर तक आने वाले सभी मुख्य पथों को हर हाल में अतिक्रमण से मुक्त रखा जाएगा। किसी भी श्रद्धालु को किसी भी हालत में सड़कों पर सोने की इजाजत नही है। उनके ठहराव के लिए बासुकीनाथ धाम मेला परिसर में सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग द्वारा सात बड़े हवादार पंडाल बनाये गये हैं।

अलग-अलग रंग के पास

मेला में घुसपैठ की संभावना के चलते कई व्यवस्थाएं की गई हैं। अधिकारियों को अपने कर्तव्य स्थल पर समय से पूर्व आने और लॉग बुक पर अपने आने-जाने का समय निश्चित रूप से अंकित करना होगा। वरीय दण्डाधिकारी, दण्डाधिकारी, पुलिस पदाधिकारी, डाकबम, पंडा समाज तथा अन्य कर्मियों के लिए अलग-अलग रंग के पास निर्गत किए गए हैं। किसी भी हालत में किसी अन्य को मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी।

मंदिर के पास है स्वास्थ्य शिविर

कांवरियों की समुचित देखभाल के लिए मंदिर के पास ही स्वास्थ्य शिविर लगाया गया है। इसमें 24 घंटे चिकित्सक उपस्थित रहेंगे। शिविर में पर्याप्त मात्रा में दवाइयां एवं सात एम्बुलेंस भी मौजूद रहेंगी। सिंह द्वार के पास भी एक स्वास्थ्य शिविर होगा, जिसमें स्ट्रैचर की व्यवस्था रहेगी।

[ प्रीति झा ]


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