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ब्रह्मा विष्‍णु महेश के एक रूप होने का प्रतीक है खजुराहो का ब्रह्मा मंदिर

ब्रह्मा का मंदिर खजुराहो के सागर के किनारे तथा चौसठयोगिनी से पूर्व की ओर स्थित है। यह मंदिर वैष्णव धर्म से संबंधित है।

By Molly SethEdited By: Published: Wed, 14 Feb 2018 04:56 PM (IST)Updated: Thu, 15 Feb 2018 10:05 AM (IST)
ब्रह्मा विष्‍णु महेश के एक रूप होने का प्रतीक है खजुराहो का ब्रह्मा मंदिर
ब्रह्मा विष्‍णु महेश के एक रूप होने का प्रतीक है खजुराहो का ब्रह्मा मंदिर
विष्‍णु की मूर्ती वाला ब्रह्मा मंदिर 
ब्रह्मा मंदिर खजुराहो का दृश्य अपने आप में बेमिसाल है,जिसे देखकर ऐसा लगता है कि कोई कलाकार सागर के किनारे बैठा लहरों के साथ खेलते हुए उसमें ही समा जाना चाहता है। इस मंदिर में विष्णु मूर्ति स्थापित है, इसे श्रद्धालुओं ने बह्मा समझकर, इनका ही मंदिर कहना प्रारंभ कर दिया है। वर्तमान में इस मंदिर में चतुर्मुख शिवलिंग विराजमान है। मंदिर का शिखर बलुवे पत्थर से और शेष भाग कणाश्म से निर्मित किया गया है। यह मंदिर आकार में छोटे और अलंकरण में सादे दिखाई देते हैं। मंदिर का अधिष्टान चौसठ योगिनी मंदिर के समान सादा और सुंदर है। मंदिर तलविन्यास में अलग प्रकार की है, परंतु उर्ध्वच्छंद में समरुपता ही दिखाई देती है। 
 
अनोखी स्‍थापत्‍य कला
इस मंदिर की जंघा दो बंधोंवाली तथा सादी है और उसके उपर छत स्तूपाकार है, जो क्रमशः अपसरण करती हुई दिखती है। ब्रह्मा का बाहरी भाग स्वास्तिक के आकार का है। मंदिर का अंतर्भाग वर्गाकार है, जिसमें कणाश्म से निर्मित बारह प्रकार के सादे कुडय स्तंभ हैं। इन्हीं स्तंभों पर वितान पूर्वी प्रक्षेपन में प्रवेश द्वार है और पश्चिम की ओर एक अन्य छोटा द्वार है। पार्श्व के अन्य दो प्रक्षेपणों में पत्थर की मोटी और अलंकृत जालीदार खिड़कियां हैं। 
ब्रह्मा विष्‍णु महेश का संगम 
प्रवेशद्वार के सिरदल में त्रिदेव- ब्रह्मा, विष्णु, महेश की स्थूल मूर्तियां हैं और द्वार स्तंभ में एक अनुचर सहित गंगा और यमुना के अंकन के अतिरिक्त प्रवेशद्वार सादा बना हुआ है। इन प्रवेशद्वार में न तो प्रतिमायें हैं और न ही किसी अन्य प्रकार का अलंकरण दिखता है। ब्रह्मा मंदिर का निर्माणकाल लालगुआं महादेव मंदिर के साथ बताया जाता है, क्योंकि यह उस संक्रमण काल के मंदिर हैं, जब बलुवे पत्थर का प्रयोग प्रारंभ हो गया था, किंतु कणाश्म का प्रयोग पूर्णतया समाप्त नहीं हुआ था।
 

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