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विष्णु के अवतार 'कल्कि' का यहां होगा जन्म, यहां है भगवान कल्कि का पहला मंदिर

हिंदू मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु के दसवें अवतार 'कल्कि' का अवतरण होना है। यह अवतार कलियुग के अंत में होगा। श्रीमद्भागवतपुराण में भगवान विष्णु के अवतारों की कथाएं विस्तार से लिखित रूप में मौजूद हैं। इसी पुराण के बारहवें स्कन्ध के द्वितीय अध्याय में भगवान के कल्कि का विवरण है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 07 Oct 2015 02:22 PM (IST)Updated: Fri, 11 Aug 2017 10:38 AM (IST)
विष्णु के अवतार 'कल्कि' का यहां होगा जन्म, यहां है भगवान कल्कि का पहला मंदिर
विष्णु के अवतार 'कल्कि' का यहां होगा जन्म, यहां है भगवान कल्कि का पहला मंदिर

हिंदू मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु के दसवें अवतार 'कल्कि' का अवतरण होना है। यह अवतार कलियुग के अंत में होगा। श्रीमद्भागवतपुराण में भगवान विष्णु के अवतारों की कथाएं विस्तार से लिखित रूप में मौजूद हैं।

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इसी पुराण के बारहवें स्कन्ध के द्वितीय अध्याय में भगवान के कल्कि का विवरण है। जिसमें यह कहा गया है कि 'सम्भल ग्राम' में विष्णुयश नामक श्रेष्ठ ब्राह्मण के पुत्र के रूप में भगवान कल्कि का जन्म होगा।

वह देवदत्त नाम के घोड़े पर आरूढ़ होकर अपनी कराल करवाल (तलवार) से दुष्टों का संहार करेंगे तभी सतयुग का प्रारम्भ होगा। इन्हें 'निष्कलंक भगवान' भी कहा जाता है।

यहां है भगवान कल्कि का पहला मंदिर

कलियुग के अवतार कल्कि भगवान का विश्व में यह पहला मंदिर माना जाता है। यह मंदिर राजस्थान जयपुर की बड़ी चैपड़ से आमेर की ओर जानेवाली सड़क पर हवा महल के सामने है।

मंदिर का निर्माण जयपुर के संस्थापक सवाई जयसिंह ने पुराणों में वर्णित कथा के आधार पर कल्कि भगवान के मन्दिर का निर्माण सन् 1739 ई. में दक्षिणायन शिखर शैली में कराया था।


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