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Janmashtami 2022: भगवान विष्णु का आठवां अवतार हैं श्रीकृष्ण, जानिए जन्म से जुड़ी पौराणिक कथा

Janmashtami 2022 हिंदू पंचांग के अनुसार जनमाष्टमी का व्रत हर साल भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस व्रत में भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा की जाती है। जानें उनके जन्म से जुड़ी पौराणिक कथा।

By Priyanka SinghEdited By: Published: Thu, 18 Aug 2022 09:55 AM (IST)Updated: Fri, 19 Aug 2022 07:54 AM (IST)
Janmashtami 2022: भगवान विष्णु का आठवां अवतार हैं श्रीकृष्ण, जानिए जन्म से जुड़ी पौराणिक कथा
Janmashtami 2022: भगवान विष्णु का आठवां अवतार हैं श्रीकृष्ण

नई दिल्ली, Janmashtami 2022:  हिंदू धर्म में जन्माष्टमी का विशेष महत्व है। इस पर्व को देशभर में बहुत ही धूनधाम से मनाया जाता है। मथुरा, वृंदावन, द्वारका आदि जगहों पर, तो जन्माष्टमी का अपना एक अलग ही रंग होता है। इस बार जन्माष्टमी का पर्व दो दिन मनाया जा रहा है।

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भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। उनके जन्मोत्सव को लोग बढ़े हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। हर साल की तरह इस साल की जन्माष्टमी का ये त्योहार दो दिन मनाया जाएगा। दो दिन श्री कृष्ण के जन्म का उत्सव मनाने के पीछे की वजह और क्या है इन दोनों दिनों की मान्यता, जानते हैं यहां...

कैसे मनाते हैं श्री कृष्ण जन्माष्टमी?

जन्माष्टमी पर भक्त श्रद्धानुसार उपवास रखते हैं। भगवान श्रीकृष्ण की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। बाल गोपाल का जन्म मध्य रात्रि में हुआ था इसलिए जन्माष्टमी की तिथि की मध्यरात्रि को घर में मौजूद लड्डू गोपाल की प्रतिमा का जन्म कराया जाता है फिर उन्हें स्नान कराकर सुंदर वस्त्र धारण कराए जाते हैं। पुष्प अर्पित कर धूप-दीप से वंदन किया जाता है। कान्हा को भोग अर्पित किया जाता है। उन्हें दूध-दही, मक्खन काफी पसंद है इसलिए भगवान को भोग लगाकर सबको प्रसाद बांटा जाता है।

भगवान श्रीकृष्ण के जन्म से जुड़ी कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, द्वापर युग में मथुरा के उग्रसेन राजा का बेटा कंस और बेटी देवकी थी। देवकी का विवाह वासुदेव के साथ कर दिया गया पर उसी समय आकाशवाणी हुई कि देवकी का आठवां पुत्र ही कंस का वध करेगा।

आकाशवाणी के बाद कंस ने वासुदेव और देवकी को कारागार में कैद कर लिया। कंस, देवकी और वासुदेव की सात संतानों को मार चुका था। जब आठवां बच्चा होने वाला था। उसी समय वासुदेव और देवकी के सामने भगवान श्री विष्णु प्रकट हुए और उन्होंने कहा कि वे देवकी के गर्भ में आठवें पुत्र के रूप में जन्म लेंगे। इतना ही नहीं, भगवान विष्णु ने कहा कि वे उन्हें नंद बाबा के यहां छोड़ आएं और वहां अभी-अभी जन्मी कन्या को कंस को लाकर सौंप दें। वासुदेव ने भगवान विष्णु के बिताए अनुसार वैसा ही किया। कंस ने जैसे ही कन्या को मारने के लिए हाथ उठाया आकाशवाणी हुई कि कंस जिसे मारना चाहता है, वो तो गोकुल पहुंच चुका है। आखिर में श्री कृष्ण ने कंस का वध कर दिया।

छप्पन भोग से भगवान श्रीकृष्ण को करते हैं प्रसन्न

जन्माष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण को छप्पन भोग भी लगाया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि छप्पन भोग से भगवान श्रीकृष्ण प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। एक पौराणिक कथा के अनुसार, इंद्रदेव के प्रकोप से ब्रजवासियों को बचाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाया था, तब उन्हें लगातार सात दिन भूखा रहना पड़ा था। इसके बाद उन्हें सात दिनों और आठ पहर के हिसाब से 56 व्यंजन खिलाए गए थे। माना जाता है इस घटना के बाद से ही श्रीकृष्ण को 56 भोग लगाने की परंपरा शुरू हुई।

Pic credit- freepik


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