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Kamada Ekadashi 2024: भगवान विष्णु की पूजा के समय जरूर करें ये आरती, तीर्थ यात्रा समान प्राप्त होगा पुण्य

यह पर्व भगवान विष्णु को समर्पित होता है। अतः इस दिन विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। साथ ही एकादशी व्रत रखा जाता है। सनातन शास्त्रों में एकादशी व्रत का महत्व बताया गया है। इस व्रत के पुण्य प्रताप से ब्रह्म वध का भी दोष समाप्त हो जाता है। साथ ही जन्म-जन्मांतर में किए गए सारे पाप मिट जाते हैं।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarPublished: Fri, 19 Apr 2024 06:00 AM (IST)Updated: Fri, 19 Apr 2024 06:00 AM (IST)
Kamada Ekadashi 2024: भगवान विष्णु की पूजा के समय जरूर करें ये आरती

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Kamada Ekadashi 2024: कामदा एकादशी हर वर्ष चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के अगले दिन मनाई जाती है। इस वर्ष 19 अप्रैल यानी आज कामदा एकादशी है। यह पर्व भगवान विष्णु को समर्पित होता है। अतः इस दिन विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। साथ ही एकादशी व्रत रखा जाता है। सनातन शास्त्रों में एकादशी व्रत का महत्व बताया गया है। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से ब्रह्म वध का भी दोष समाप्त हो जाता है। साथ ही जन्म-जन्मांतर में किए गए सारे पाप मिट जाते हैं। इसके लिए साधक एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु की विशेष पूजा करते हैं। साथ ही पूजा के अंत में एकादशी आरती करते हैं। अगर आप भी श्रीहरि विष्णु का आशीर्वाद पाना चाहते हैं, तो पूजा के समय ये आरती जरूर करें। इस आरती के सुनने एवं पढ़ने से तीर्थ यात्रा समान पुण्य प्राप्त होता है।

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एकादशी की आरती

ॐ जय एकादशी, जय एकादशी, जय एकादशी माता ।

विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता ।। ॐ।।

तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदान करनी ।

गण गौरव की देनी माता, शास्त्रों में वरनी ।।ॐ।।

मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना, विश्वतारनी जन्मी।

शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा, मुक्तिदाता बन आई।। ॐ।।

पौष के कृष्णपक्ष की, सफला नामक है,

शुक्लपक्ष में होय पुत्रदा, आनन्द अधिक रहै ।। ॐ ।।

नाम षटतिला माघ मास में, कृष्णपक्ष आवै।

शुक्लपक्ष में जया, कहावै, विजय सदा पावै ।। ॐ ।।

विजया फागुन कृष्णपक्ष में शुक्ला आमलकी,

पापमोचनी कृष्ण पक्ष में, चैत्र महाबलि की ।। ॐ ।।

चैत्र शुक्ल में नाम कामदा, धन देने वाली,

नाम बरुथिनी कृष्णपक्ष में, वैसाख माह वाली ।। ॐ ।।

शुक्ल पक्ष में होय मोहिनी अपरा ज्येष्ठ कृष्णपक्षी,

नाम निर्जला सब सुख करनी, शुक्लपक्ष रखी।। ॐ ।।

योगिनी नाम आषाढ में जानों, कृष्णपक्ष करनी।

देवशयनी नाम कहायो, शुक्लपक्ष धरनी ।। ॐ ।।

कामिका श्रावण मास में आवै, कृष्णपक्ष कहिए।

श्रावण शुक्ला होय पवित्रा आनन्द से रहिए।। ॐ ।।

अजा भाद्रपद कृष्णपक्ष की, परिवर्तिनी शुक्ला।

इन्द्रा आश्चिन कृष्णपक्ष में, व्रत से भवसागर निकला।। ॐ ।।

पापांकुशा है शुक्ल पक्ष में, आप हरनहारी।

रमा मास कार्तिक में आवै, सुखदायक भारी ।। ॐ ।।

देवोत्थानी शुक्लपक्ष की, दुखनाशक मैया।

पावन मास में करूं विनती पार करो नैया ।। ॐ ।।

परमा कृष्णपक्ष में होती, जन मंगल करनी।।

शुक्ल मास में होय पद्मिनी दुख दारिद्र हरनी ।। ॐ ।।

जो कोई आरती एकादशी की, भक्ति सहित गावै।

जन गुरदिता स्वर्ग का वासा, निश्चय वह पावै।। ॐ ।।

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डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/जयोतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेंगी।


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