रावण के पुतले का दहन कर पीएम ने दिया धैर्य, विजय और यश का संदेश

  • Story By: जागरण न्यूज

पीएम ने कहा कि विजयदशमी पर शस्त्र पूजा का भी विधान है। शस्त्र पूजा किसी भूमि पर आधिपत्य नहीं, बल्कि उसकी रक्षा के लिए की जाती है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विजयदशमी पर कहा कि हमारी शक्ति पूजा सिर्फ अपने लिए नहीं, बल्कि पूरी सृष्टि के सौभाग्य, आरोग्य, सुख, विजय व यश के लिए की जाती है। भारत का दर्शन व विचार इन्हीं मूलभूत सिद्धांतों को जीता है। हम गीता का ज्ञान भी जानते हैं और आइएनएस विक्रांत व तेजस का निर्माण भी जानते हैं। राम की मर्यादा भी जानते हैं और अपनी सीमा की सुरक्षा करना भी।

 पीएम ने कहा कि विजयदशमी पर शस्त्र पूजा का भी विधान है। शस्त्र पूजा किसी भूमि पर आधिपत्य नहीं, बल्कि उसकी रक्षा के लिए की जाती है। पीएम मोदी मंगलवार को दिल्ली के द्वारका सेक्टर-10 में आयोजित विजयदशमी समारोह को संबोधित कर रहे थे। यहां पीएम ने रावण के पुतले का दहन कर धैर्य, विजय और यश का संदेश दिया।

 पीएम ने अयोध्या में भव्य मंदिर में बहुत जल्द श्रीराम के प्रवेश की याद दिलाते हुए देशवासियों से कहा कि आज का दिन केवल रावण दहन का नहीं है। यह वह समय है जब भारत को जातिवाद व क्षेत्रवाद के नाम पर तोड़ने और आपसी भाईचारा बिगाड़ने वाली शक्तियों का भी दहन होना चाहिए।

1. आने वाली पीढि़यों का ध्यान रखते हुए हम ज्यादा से ज्यादा पानी बचाएं।2. ज्यादा से ज्यादा लोगों को डिजिटल लेनदेन के लिए प्रेरित करें।3. अपने गांव व शहर को स्वच्छता में सबसे आगे रखें।4. ज्यादा से ज्यादा वोकल फार लोकल के मंत्र को फालो करेंगे।5. निर्माण में गुणवत्ता का ध्यान रखेंगे। खराब गुणवत्ता के कारण देश के सम्मान में कमी नहीं आने देंगे।6. पहले अपना पूरा देश देखेंगे। यात्रा करेंगे। पूरा देश देखने के बाद समय मिले तो फिर विदेश यात्रा के लिए सोंचगें।7. प्राकृतिक खेती के प्रति किसानों को जागरूक करेंगे।8. श्रीअन्न को अपने जीवन में शामिल करेंगे। इससे हमारे छोटे किसानों को और हमारी सेहत को लाभ होगा।9. योग, खेल, फिटनेस को अपने जीवन में प्राथमिकता देंगे।10. कम से कम एक गरीब परिवार का सदस्य बनकर उसका सामाजिक आर्थिक स्तर बढाएंगे। जब तक देश में एक भी गरीब ऐसा है जिसके पास रसोई गैस, बिजली पानी, उपचार की सुविधा नहीं है, तब तक हम चैन से नहीं बैठेंगे। हमें हर लाभार्थी तक पहुंचना है।

 प्रधानमंत्री ने कहा, विजयदशमी का पर्व केवल रावण पर राम की विजय का नहीं, बल्कि राष्ट्र की हर बुराई पर राष्ट्रभक्ति की विजय का पर्व बनना चाहिए। हमें समाज में बुराइयों के भेदभाव के अंत का संकल्प लेना चाहिए। आने वाले 25 वर्ष भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। पूरा विश्व आज भारत की साम‌र्थ्य को देख रहा है। अब हमें विश्राम नहीं करना है। उन्होंने कहा- हमें भगवान राम के विचारों का भारत बनाना है। विकसित, आत्मनिर्भर, विश्व शांति का संदेश देने वाला, सभी को अपने सपने पूरे करने का समान अधिकार देने वाला और लोगों को समृद्धि के साथ संतुष्टि का अहसास देने वाला भारत बनाना। यही राम राज की परिकल्पना है।