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जहां अकेलेपन में भी सुकून है

आप जहां भी रह रहे हों वह सिर्फ ईंट-पत्थर से बना मकान नहीं बल्कि आपका घर होता है। घर से दूर रहने वालों को उदास रहने के बजाय अपने बैचलर्स होम को संवार कर उसे परफेक्ट होम बनाना चाहिए।

By Edited By: Published: Sun, 04 Sep 2016 12:06 PM (IST)Updated: Sun, 04 Sep 2016 12:06 PM (IST)
जहां अकेलेपन में भी सुकून है
बैचलर्स होम सुनने में जितना अच्छा लगता है, उसे व्यवस्थित रखना उतना ही मुश्किल होता है। जहां अपने घर में सब कुछ तय जगह पर मिल जाता था, वहीं अब हर चीज की जिम्मेदारी खुद लेनी पडती है। बिजली का बिल जमा करवाने से लेकर राशन भरवाने तक हर काम करना सीखना पडता है। जितनी आसान अकेले रहने वालों की जिंदगी लगती है, दरअसल वह होती उतनी ही कठिन है। क्या है यह बैचलर्स होम यानी कि सिंगल लडके या लडकियों के रहने वाला कमरा। वे अपनी सुविधानुसार किसी घर में किराये पर एक या दो कमरे और किचन ले लेते हैं। ये फर्निश्ड या अनफर्निश्ड कैसे भी हो सकते हैं। यहां के रूल्स-रेगुलेशंस पीजी से थोडा अलग होते हैं, साथ ही यहां सफाई और खाने-पीने की जिम्मेदारी भी अपनी ही होती है। इक कमरा न्यारा सा भले ही सारी जिंदगी उस एक कमरे में न बितानी हो, फिर भी जब तक आप वहां हैं, वह आपका ही रूम कहलाएगा। अपने बजट व सुविधानुसार उसे सजा कर रखें। ऐसे कई यंगस्टर्स हैं जो मेड या मेस के बजाय खुद खाना बनाते हैं। इसके लिए कभी वे घरवालों से रेसिपी पूछते हैं तो कभी नेट की मदद लेते हैं। ऐसे में ध्यान रखना चाहिए कि राशन समय पर भरवाते रहें वर्ना ऐसा न हो कि कुछ खाने का मन कर रहा हो और उस समय उसे बनाने की सामग्री आपके पास न हो। इनका रखें ध्यान कमरे की वॉल पर अपने मूड या व्यवहार से संबंधित वॉलपेपर लगाएं। बेड पर गहरे रंग की बेडशीट बिछाएं। स्टोरेज के लिए ज्यादा अलमारियां न हों तो एक ट्रंक खरीद लें। रूम लेते समय सिक्योरिटी से कभी समझौता न करें। दीवार पर कुछ चिपकाने से पहले मकान मालिक से परमिशन जरूर लें। मेरा कमरा मेरा सुकून एक निजी कंपनी में कार्यरत ब्रजेश मिश्रा ने एक रूम किराये पर ले रखा है, जिसमें अटैच्ड किचन और वॉशरूम की सुविधा मिली है। वे बताते हैं, 'मेरी अकसर मॉर्निंग शिफ्ट रहती है इसलिए शाम को ऑफिस से आने के बाद ही सफाई कर पाता हूं। मैं खाना खुद बनाता हूं। इससे मुझे उसकी क्वॉलिटी पर पूरा भरोसा रहता है। सजावट के नाम पर एक वॉलपेपर लगा रखा है जिसमें साफ लिखा है कि मैं बहुत व्यवस्थित नहीं हूं। शाम को थक कर जब अपने रूम पर पहुंचता हूं तो सुकून महसूस करता हूं। वहां की शांति से मेरी सारी थकान दूर हो जाती है। कभी मन करता है तो छत पर टहलने निकल जाता हूं तो कभी म्यूजिक के साथ ही शाम बिता देता हूं। प्रस्तुति : दीपाली पोरवाल

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