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स्टूडेंट्स की महिमा न्यारी

रोचक अनुभवों से भरपूर स्टूडेंट लाइफ का भी अलग ही मज़ा होता है। आइए मिलते हैं कुछ ऐसे ही दिलचस्प विद्यार्थियों से।

By Edited By: Published: Sat, 10 Sep 2016 12:24 PM (IST)Updated: Sat, 10 Sep 2016 12:24 PM (IST)
स्टूडेंट्स की महिमा न्यारी
पढते तो सभी हैं, बस तरीके का फर्क होता है। किसी को सचमुच पढऩे का शौक होता है तो कोई केवल पास होने के लिए पढता है। कोई ज्ञान हासिल करने के लिए कॉलेज जाता है तो कोई केवल मौज-मस्ती के लिए। रोचक अनुभवों से भरपूर स्टूडेंट लाइफ का भी अलग ही मजा होता है। आइए मिलते हैं कुछ ऐसे ही दिलचस्प विद्यार्थियों से। रट्टू तोता ऐसे स्टूडेंट बिना सोच-समझे केवल रट कर पास होने में यकीन रखते हैं। ये परीक्षा में किसी तरह माक्र्स तो ले आते हैं पर इन्हें किसी भी विषय की समझ नहीं होती। अगर इनसे पढाई के बारे में बातचीत की जाए तो पांच मिनट में ही इनकी कलई खुल जाती है। इनमें कॉमन सेंस का भी अभाव होता है। इसलिए रिटन एग्जैम में भले ही ये रटकर पास हो जाएं पर इंटरव्यू में नर्वस हो जाते हैं। पढाकू ऐसे छात्र हमेशा किताबों में ही सिर घुसाए नजर आते हैं। परीक्षा में 95% अंक लाने वाले ऐसे छात्र अपने बाकी के 5 % की चिंता में जान हलकान किए रहते हैं, रिजल्ट आने के बाद ये जरा भी खुश नजर नहीं आते। इन्हें तो हमेशा यही चिंता सताती रहती है कि आखिर बाकी के 5 मॉक्र्स टीचर ने कैसे काट लिए। आमतौर पर दसवीं और बारहवीं के छात्र इस आदत के शिकार होते हैं। मनमौजी ऐसे स्टूडेंट केवल घूमने-फिरने और मौज-मस्ती के लिए कॉलेज जाते हैं। पढाई में इनकी कोई खास रुचि नहीं होती। क्लासेज बंक करके मूवी देखने जाना इनकी आदत में शुमार होता है है। ये क्लास रूम के बजाय अकसर कैंटीन में पाए जाते हैं पर तेज दिमाग के होते हैं। थोडा पढकर भी इन्हें सब कुछ जल्दी याद हो जाता है और ये ठीक-ठाक अंकों से पास भी हो जाते हैं। ब्यूटी क्वीन हर कॉलेज में ऐसी लडकियां दूर से ही पहचान ली जाती हैं। ये फैशन की चलती-फिरती दुकान नजर आती हैं। इन्हें देखकर आसानी से यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि आजकल फैशन में नया क्या चल रहा है। अपने हाव-भाव और चाल-ढाल से ये हमेशा दूसरों का ध्यान अपनी ओर खींचने की कोशिश करती हैं। कॉलेज में इनके चाहने वालों की लंबी वेटिंग लिस्ट होती है और जिस रोज ये कॉलज नहीं आतीं, लडके मायूस हो जाते हैं। फर्रेबाज चोरी मेरा काम, ऐसे छात्रों का यही नारा होता है। इनके पास परीक्षा में चोरी करने की एक से बढकर एक नायाब तरकीबें होती हैं। चीटिंग करने के लिए ये जितनी कडी मेहनत से बारीक अक्षरों में फर्रे तैयार करते हैं, अगर उतनी ही मेहनत परीक्षा से कुछ दिनों पहले की होती तो अच्छे नंबरों से पास हो गए होते। चोरी करना इनकी फितरत है, जिसे छोड पाना इनके लिए नामुमकिन है। सीजनल स्टूडेंट इस श्रेणी में ज्यादातर वैसे छात्र होते हैं, जो सिर्फ डिग्री लेने के लिए कॉलेज जाते हैं। प्रॉक्सी अटेंडेंस पर गुजारा करने वाले ऐसे स्टूडेंट अपनी आर्थिक जरूरतें पूरी करने के लिए पहले से ही कहीं पार्ट टाइम जॉब कर रहे होते हैं। इसी वजह से ये रोजाना कॉलेज नहीं जा पाते। नोट्स के लिए इन्हें किसी दयावान दोस्त पर निर्भर रहना पडता है। टेक्स्ट बुक से इनका कोई वास्ता नहीं होता, एग्जैम का शेड्यूल आते ही ये क्वेश्चन-आंसर बुक्स खरीद कर ले आते हैं और पिछले पांच वर्षों में आने वाले सवालों पर गहरी रिसर्च करने के बाद तुक्के से हर सब्जेक्ट के लिए सिर्फ आठ-दस सवालों के जवाब देने की तैयारी कर लेते हैं। ये कयास लगाने में माहिर होते हैं और सिर्फ परीक्षा के एक महीने पहले तुक्के से की गई तैयारी से पास भी हो जाते हैं। इसीलिए कमजोर छात्र परीक्षा से पहले इनके आगे-पीछे घूमते नजर आते हैं और इन्हीं के साथ ग्रुप स्टडी करना चाहते हैं। लडाकू इस प्रजाति के छात्र ज्य़ादातर यूनिवर्सिटी हॉस्टल में पाए जाते हैं। पढाई-लिखाई से इनका दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं होता। दूसरे छात्रों को डराना-धमकाना, जबरन चंदा वसूलना और राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाना इनका प्रिय शगल होता है। लंबी-तगडी कद-काठी वाले ऐसे छात्र जिस रास्ते से गुजरते हैं, जूनियर्स इन्हें देखकर सहम जाते हैं। पूरे कैंपस में इन्हीं की दादागिरी चलती है। ज्य़ादातर छात्रों के बीच होने वाले आपसी विवादों का निबटारा भी इन्हीं की अदालत में होता है। हॉस्टल पर अपना कब्जा जमाए रखने के लिए ये किसी एक सब्जेक्ट से पोस्ट ग्रेजुएशन कर लेने के बाद किसी दूसरे विषय में एडमिशन ले लेते हैं। इतना ही नहीं, कुछ लोग तो झूठा मेडिकल सर्टिफिकेट बनवा कर बीमारी के बहाने से एग्जैम भी ड्रॉप कर देते हैं। आलेख : विनीता, इलस्ट्रेशन : श्याम जगोता

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