Move to Jagran APP

...ताकि न रहे कोई भ्रम

प्रेग्नेंसी में स्वाभाविक घबराहट की वजह से कई बार वह भ्रांतियों को मानने पर मजबूर हो उठती है। जानें प्रेग्नेंसी से जुड़े मिथकों और सच्चाइयों के बारे में।

By Edited By: Published: Fri, 03 Jun 2016 03:21 PM (IST)Updated: Fri, 03 Jun 2016 03:21 PM (IST)
...ताकि न रहे कोई भ्रम

गर्भावस्था का समय एक स्त्री के लिए बेहद संवेदनशील समय होता है, जिसमें ्रगलती की कोई गुंजाइश नहीं होनी चाहिए। इस दौरान एक भी ्रगलत कदम होने वाले बच्चे के लिए नुकसानदेह हो सकता है इसलिए कभी भी सुनी-सुनाई बातों पर विश्वास न करें और न ही किसी भी धारणा पर आंख मूंदकर भरोसा करें। बेहतर है कि अपने डॉक्टर से सही जानकारी लें ताकि स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सकें।

loksabha election banner

धारणा : प्रेग्नेंसी में दो लोगों के लिए खाना खाएं।

सच : गर्भवती स्त्रियों को दोगुना खाना खाने की सलाह दी जाती है क्योंकि माना जाता है कि उन्हें अपने और बच्चे दोनों के लिए खाना होगा। तार्किक आधार पर यह मिथक सही नहीं है। ऐसा करने से वे भोजन में कैलरी की मात्रा बढा देती हैं जो कि सेहत के लिहाज से गलत है। फेयरफील्ड यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ नर्सिंग में हुई रिसर्च के मुताबिक, ऐसे समय में गर्भवती स्त्री को 300 अतिरिक्त कैलरी की आवश्यकता होती है। सामान्य रूप से गर्भवती स्त्री का वजन 5-10 किलोग्राम तक बढता है लेकि न अगर आप ओवरईटिंग करेंगी तो वजन 20-25 किलोग्राम तक बढने के चांसेज हैं, जिससे नॉर्मल डिलिवरी में मुश्किल हो सकती है।

धारणा : प्रेग्नेंसी में बालों में कलर न कराएं।

सच : गर्भवती स्त्री को अकसर सलाह दी जाती है कि बालों में किसी भी तरह का केमिकल न लगाएं। डॉक्टर्स के मुताबिक पहले 3 महीनों में बालों को कलर न करें। कलर करने से स्कैल्प के रास्ते केमिकल भू्रण तक पहुंचने की संभावना रहती है क्योंकि इस समय भू्रण के अंग आकार ले रहे होते हैं।

धारणा : गर्भावस्था में व्यायाम करना सही नहीं है।

सच : कोई भी एक्सरसाइज डॉक्टर से पूछकर और एक्सपर्ट की निगरानी में ही करें। फिट होने से आपका स्टैमिना बढेगा और डिलिवरी के वक्त ज्यादा परेशानी भी नहीं होगी। जो स्त्रियां एक्सरसाइज करना पसंद नहीं करतीं, उन्हें प्रेग्नेंसी के दौरान व्यायाम करने की सलाह दी जाती है। तेज-तेज चलना सबसे सेफ एक्सरसाइज है। इसके अलावा स्विमिंग, ब्रीदिंग एक्सरसाइज, मेडिटेशन और योग से भी काफी आराम मिलता है।

धारणा : देसी घी खाने से प्रसव में आसानी होती है।

सच : घी और बटर को अच्छा ल्युब्रिकेंट माना जाता है। ये सिर्फ पेट को साफ करने का काम करते हैं। इसका यह मतलब नहीं कि इससे प्रसव पीडा कम होती हो। हां, अगर यह सोच कर आप ज्यादा घी खाने लगी हैं तो ब्लड प्रेशर और मोटापे की समस्या आपको जरूर घेर लेगी, इसलिए गर्भावस्था के दौरान संतुलित मात्रा में ही घी और तेल का सेवन करें।

धारणा : प्रेग्नेंसी में अचार और आइसक्रीम की इच्छा होती है।

सच : प्रेग्नेंसी के दौरान कई बार खट्टा या मीठा खाने की इच्छा होती है। इस समय स्त्रियों को एक्स्ट्रा मिनरल्स की जरूरत होती है। ऐसे में गर्भवती स्त्री को जंक फूड जैसे, आइसक्रीम आदि खाने की इच्छा होती है। मीठा खाने से सिरोटोनिन की कमी पूरी होती है, जिससे मां अच्छा फील करती है।

धारणा : पपीता खाने से गर्भपात हो जाता है।

सच : कच्चे पपीते में काइमोपपीन पाया जाता है, जो गर्भावस्था के लिए ठीक नहीं माना जाता, लेकिन पका पपीता खाया जा सकता है, क्योंकि यह विटमिन ए का अच्छा स्रोत होता है।

धारणा : गर्भावस्था में करवट के बल न सोएं।

सच : गर्भवती स्त्री को सीधे या बाईं करवट कर लेटना चाहिए। इससे खून और पोषक तत्वों का प्रवाह ज्यादा होता है। साथ ही इस ओर करवट लेने से एडियों और पांव की सूजन भी कम होने लगती है।

धारणा : गर्भ के आकार से बच्चे का जेंडर पता चलता है।

सच : गर्भ के आकार से बच्चे के लिंग का कोई संबंध नहीं है। स्टमक का शेप स्त्री के मसल्स, पेट के आकार, स्ट्रक्चर, भ्रूण की अवस्था और एब्डोमिन के चारों ओर जमा होने वाले फैट से तय होता है।

धारणा : कुछ खाद्य पदार्थों से बच्चा गोरे रंग का होता है।

सच : गर्भवती स्त्री को खाने में सफेद रंग से बनी चीजें खाने को कहा जाता है। ऐसे में दूध या दूध से बनी चीजों का सेवन कराया जाता है, जिससे स्त्रियां और किसी चीज का सेवन नहीं करतीं और एनीमिया की शिकार हो जाया करती हैं। अध्ययन के अनुसार, खाद्य पदार्थों के रंग से बच्चे के रंग का कोई संबंध नहीं है। बच्चे का रंग बस आनुवांशिकता से तय होता है।

धारणा : मोबाइल, माइक्रोवेव और कंप्यूटर से बच्चे पर बुरा असर पडता है।

सच : वैज्ञानिक तौर पर कंप्यूटर पूरी तरह से सेफ है। माइक्रोवेव का इस्तेमाल करते वक्त ध्यान रखें कि इसकी हीट आपके पेट पर न आए। इससे दूरी बनाकर आराम से काम किया जा सकता है।मोबाइल पर बात करने से भी बच्चे पर बुरा प्रभाव नहीं पडता है।

धारणा : प्रेग्नेंसी के दौरान कार की सीट बेल्ट लगाना और प्लेन में सफर करना सही नहीं होता।

सच : कुछ हद तक यह बात सही मानी जा सकती है। अगर आपकी प्रेग्नेंसी की ड्यू डेट नजदीक आ गई है तो ऐसे में सफर करना सेफ नहीं रहता। अगर डेट 6 हफ्ते से ज्यादा आगे की है, तभी फ्लाइट लेना सेफ है। एयरपोर्ट की सिक्योरिटी चेकिंग से भी बच्चे को कोई नुकसान नहीं होता। अगर सफर लंबा हो तो पैर फैलाकर बैठें। कार की सीट बेल्ट के लिए भी कहा जाता है कि इसे पेट पर बांधने से गर्भ पर प्रेशर पडता है, इसके लिए बेल्ट को सीने की ओर लाकर साइड में कर लें।

धारणा : प्रेग्नेंसी में भारी भरकम वजन नहीं उठाना चाहिए।

सच: हां, यह सच है कि भारी या वजनदार चीजों को नहीं उठाना चाहिए। इससे पीठ दर्द या स्पाइनल इंजरी होने की आशंका रहती है। जमीन से कुछ उठाने के लिए अपने घुटनों को एक साथ मोडें और वजन को शरीर के करीब रखें। कमर न झुकाएं, इससे आपकी पीठ पर वजन नहीं पडेगा। एक हाथ से वजन उठाने के बजाय दोनों हाथों से उठाएं।

धारणा : धीमी धडकन हो तो लडका और तेज हो तो लडकी होती है।

सच : आजकल अल्ट्रासाउंड के दौरान कुछ लोग भ्रूण की हार्ट रेट को लेकर कयास लगाने लगते हैं। धीमी धडकन होने पर लडका होने का दावा करते हैं तो तेज होने पर लडकी का। जबकि ऐसी कोई भी स्टडी हुई ही नहीं है कि हार्ट रेट के जरिये बच्चे के लिंग का पता लगाया जा सके।

धारणा : गोल पेट हो तो लडका, चेहरे पर एक्ने हों तो लडकी होती है।

सच : बॉडी के आकार को लेकर कोई भी कयास लगाना ्रगलत है। चेहरे पर एक्ने या दाने निकल आने का मतलब लिंग से नहीं है। हो सकता है, ज्यादा दवाइयों की गर्मी से ऐसा हो रहा हो।

धारणा : बच्चे का मूवमेंट नहीं हो रहा हो तो बच्चे का विकास नहीं हो रहा है।

सच : कभी-कभी बच्चे के मूवमेंट का पता नहीं चल पाता। इसका मतलब यह नहीं कि बच्चे का विकास नहीं हो रहा है। बच्चा अपनी गति से हिलना शुरू करता है। ज्यादा परेशान हैं तो बेबी का मूवमेंट गिनें। बेबी हर 12 घंटे में 10 बार घूमता है, तो चिंता की कोई बात नहीं।

धारणा : गर्भवती स्त्री को मसालेदार व्यंजनों से दूर रहना चाहिए।

सच : मसालेदार खाने से प्री-मच्योर डिलिवरी की आशंका हो जाती है, यह बिलकुल सच नहीं है। इस दौरान कुछ चीजों को खाने से बचना चाहिए और कच्चे दूध आदि को नहीं पीना चाहिए। यह गर्भपात का कारण बन सकता है। मछली के सेवन से भी दूर रहने की नसीहत दी जाती है क्योंकि यह पेट खराब कर सकती है। इसलिए इस समय तैलीय खाने की जगह पौष्टिक आहार ही लेना उचित रहता है।

धारणा : इस दौरान सेक्स संबंधों से बचना चाहिए।

सच : जहां तक हो सके, गर्भ ठहरने के तीन महीने तक सेक्स नहीं करना चाहिए। गर्भ का पता चलते ही अपने पार्टनर का भी चेकअप करवाएं। यदि सब ठीक है तो 3 से 7 महीने तक इंटरकोर्स किया जा सकता है। ध्यान रहे, कि संबंधों के दौरान आपकी पोजिशन ऐसी होनी चाहिए, जिससे पेट पर दबाव न पडे। किसी शारीरिक परेशानी की स्थिति में तुरंत चिकित्सक को दिखाएं।

धारणा : कॉफी पीना गर्भपात का कारण बन सकता है।

सच : एक शोध के मुताबिक रोज सुबह एक प्याला कॉफी पीने से बच्चे पर नकारात्मक असर नहीं पडता। कैफीन की 200 मिलीग्राम मात्रा गर्भावस्था के लिए सुरक्षित होती है। हां, कॉफी के 3-4 कप खतरनाक हो सकते हैं

धारणा : गर्म तासीर वाले खाद्य पदार्थों के सेवन से गर्भपात का खतरा बढ जाता है।

सच : गर्म तासीर वाले खाद्य पदार्थों जैसे खजूर और पिन्नी को आमतौर पर गर्भावस्था में खाने की सलाह दी जाती है। अगर कोई प्रॉब्लम न हो तो ये पदार्थ सुरक्षित भी हैं और इनसे गर्भपात जैसी कोई समस्या भी नहीं होती।

धारणा : घर में अपने इष्ट या रोल मॉडल की तसवीर लगाने से बच्चे में उनके गुण आते हैं।

सच : घर में खूबसूरत तसवीर लगाने से बच्चा सुंदर होगा, यह बात भ्रामक है। सच्चाई यह है कि बच्चों के नैन-नक्श जीन की संरचना पर निर्भर करते हैं यानी ये उन्हें माता-पिता से मिलते हैं।

धारणा : गर्भवती स्त्री को सूर्य या चंद्रग्रहण नहीं देखना चाहिए।

सच : यह बात पूरी तरह ्रगलत है। ग्रहण एक स्वाभाविक भौगोलिक घटना है। इससे बच्चे के जन्म पर कोई प्रभाव नहीं पडता।

धारणा : एल्कोहॉल से बच्चे को नुकसान होता है।

सच : गर्भावस्था के दौरान एल्कोहॉल लेने से बच्चे में जन्मजात विकृतियां आ सकती हैं और उसकी सोचने-समझने की शक्ति भी प्रभावित हो सकती है। अत: इसके सेवन से बचना चाहिए।

धारणा : पेरासिटामोल टैब्लेट लेने से बच्चे पर बुरा असर पडता है।

सच : अभी तक ऐसी कोई रिसर्च नहीं आई है। फिर भी प्रेग्नेंसी के दौरान जो भी दवा लें, वह अपनी गाइनी से पूछकर ही लें।

धारणा : सीने में जलन होने से बच्चे के सिर में बालों का पता लगता है।

सच : गर्भावस्था में सीने में जलन होना आम बात है। इससे बच्चे के सिर पर बाल उगने का सवाल ही नहीं। यह पूरी तरह से भ्रामक बात है।

एक नजर

इस बात में कोई दो राय नहीं है कि धूम्रपान करने से मां बनने की क्षमता प्रभावित होती है।

जो स्त्रियां शाकाहारी हैं, उन्हें अपनी डाइट में पर्याप्त मात्रा में फोलिक एसिड, जिंक और विटमिन बी-12 लेने की जरूरत हेाती है। शरीर में इन पोषक तत्वों की कमी भी गर्भधारण में रूकावट पैदा करती है।

मानसिक तनाव भी गर्भधारण की क्षमता को प्रभावित करता है इसलिए अगर आप 'यादा स्ट्रेस लेती हैं तो इससे बचें।

पेस्टिसाइड्स, हर्बिसाइड्स, मेटल जैसे लेड सहित कुछ रासायनिक तत्व ऐसे होते हैं, जिनके संपर्क में आने से गर्भधारण की क्षमता प्रभावित होती है, इसलिए जहां तक हो सके, इसके सीधे संपर्क में आने से बचें।

सच है कि 32 साल के बाद स्त्री के गर्भधारण करने की क्षमता कम होने लगती है। इसलिए गर्भधारण में ज्यादा देर नहीं करनी चाहिए। अगर कोई स्त्री प्राकृतिक तौर पर गर्भवती नहीं हो पा रही है तो उसे तुरंत ही किसी विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए।

इनपुट्स : गायनिकोलॉजिस्ट डॉ. हेलई गुप्ता, पारस ब्लिस हॉस्पिटल, नई दिल्ली और गायनिकोलॉजिस्ट डॉ. रेनुका सिन्हा अदीवा हॉस्पिटल, नई दिल्ली

गीतांजलि


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.