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प्रेग्नेंसी प्लैन करने से पहले

मां बनना एक बेहद सुखद एहसास होता है। पूरी तरह से मानसिक व शारीरिक रूप से स्वस्थ होने की स्थिति में ही कंसीव करना सही होता है।

By Edited By: Published: Wed, 01 Jun 2016 04:35 PM (IST)Updated: Wed, 01 Jun 2016 04:35 PM (IST)
प्रेग्नेंसी प्लैन करने से पहले

मां बनना एक बेहद सुखद एहसास होता है। उस एहसास को जीने के लिए जरूरी है कि प्रेग्नेंसी प्लैन करने से पहले ही सभी जरूरी जांचें करवा ली जाएं। पूरी तरह से मानसिक व शारीरिक रूप से स्वस्थ होने की स्थिति में ही कंसीव करना सही होता है।

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स्वास्थ्य के प्रति बरती गई लापरवाही कभी-कभी मां व बच्चे, दोनों के लिए नुकसानदायक साबित हो जाती है। फस्र्ट प्रेग्नेंसी में तो हर बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इसलिए परिवार बढाने का निर्णय भावी माता-पिता को रूटीन ब्लड टेस्ट और डॉक्टर द्वारा बताई गई बाकी जरूरी जांचें करवाने के बाद ही लेना चाहिए। जानते हैं उनके बारे में।

रूटीन टेस्ट : प्रेग्नेंसी प्लैन करने से पहले ही रूटीन ब्लड टेस्ट जरूर करवा लें। इस टेस्ट के तहत हीमोग्लोबिन और दूसरे टेस्ट आते हैं। ब्लड ग्रुप की जांच के जरिये आर एच फैक्टर की पहचान करवाना भी बेहद आवश्यक होता है। पत्नी के आर एच नेगेटिव होने पर पति के ब्लड ग्रुप की भी जांच की जाती है। उसके अलावा अपने वजन आदि की जांच भी करवा लें। अगर कमजोर हों तो डॉक्टर की सलाह के अनुसार अपनी डाइट पर ध्यान देना शुरू कर दें।

थायरॉयड प्रोफाइल: प्रेग्नेंसी से पहले स्त्री का थायरॉयड कंट्रोल में न होने से कंसीव करने में परेशानी हो सकती है। इसको नजरअंदाज करने पर जन्म के बाद बच्चे के शारीरिक व मानसिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव पडने की आशंका रहती है। मां व बच्चे के स्वास्थ्य को देखते हुए ऐसे केस में मां को अबॉर्शन करवाने की सलाह भी दी जाती है।

थैलसीमिया कैरियर टेस्ट : किसी स्त्री के थैलसीमिया कैरियर होने पर उनके पति के थैलसीमिया की भी जांच करवाई जाती है। अगर दोनों को थैलसीमिया माइनर होता है तो बच्चे के थैलसीमिया मेजर होने का ख्ातरा रहता है। प्रेग्नेंसी के शुरुआती तीन महीने में गर्भ में ही बायोप्सी के द्वारा बच्चे के थैलसीमिया की जांच करवाई जाती है। उसके माइनर होने पर चिंता की कोई बात नहीं होती है पर मेजर होने की स्थिति में जन्म के बाद बच्चा तब तक ही जिंदा रह पाता है, जब तक कि उसका ब्लड ट्रांसफ्यूजन चलता रहे। ऐसे मामले में गर्भपात करवाने की सलाह भी दी जाती है, क्योंकि जन्म के बाद बच्चा सामान्य जीवन नहीं जी पाता है।

रूबैला टेस्ट : बच्चे के सही विकास के लिए मां का रूबैला वैक्सीन लेना बहुत जरूरी होता है। डॉक्टर्स इस वैक्सीनेशन के छह महीने के बाद प्रेग्नेंसी प्लैन करने की इजाजत देते हैं। रूबैला वैक्सीन न लगने की स्थिति में बच्चे में मानसिक व शारीरिक अस्वस्थता हो सकती है।

ब्लड शुगर टेस्ट : यह टेस्ट स्त्रियों का शुगर लेवल पता करने के लिए किया जाता है। गर्भधारण करने से पहले मां का ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल करना बहुत जरूरी होता है, वर्ना बच्चे को कई गंभीर बीमारियां होने की आशंका बनी रहती है। वह दिल, दिमाग, आंखों व स्पाइन की गंभीर बीमारियों से संक्रमित हो सकता है। साथ ही मां को भी कई तरह की परेशानियां हो सकती हैं।

अन्य जांचें : इन जरूरी जांचों के अलावा एचआईवी और हेपेटाइटिस टेस्ट को भी अनिवार्य कर दिया गया है। पति व पत्नी दोनों के पूर्णत: स्वस्थ होने पर ही उन्हें प्रेग्नेंसी प्लैन करने की सलाह दी जाती है। गर्भधारण से पहले फैमिली हिस्ट्री का पता होना भी बहुत जरूरी होता है। कभी-कभी उसकी वजह से भी किसी प्रकार की असामान्यता पाए जाने पर दंपती को सही ट्रीटमेंट के साथ ही काउंसलिंग देने की जरूरत पड जाती है।

दीपाली

(इनपुट्स : डॉ. पूनम खेरा, सीनियर कंसल्टेंट,गायनिकोलॉजिस्ट एंड ऑब्स्टेट्रीशियन, बीएलके

सुपर स्पेशैलिटी हॉस्पिटल)


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