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शादी और शरारतें

शादी के खुशनुमा माहौल में थोड़ी शरारत तो बनती है। ऐसे मौकों पर हर परिवार में कोई न कोई ऐसा दिलचस्प वाकया ज़रूर होता है, जिसे लोग ताउम्र याद रखते हैं। यहां कुछ पाठिकाएं अपने ऐसे ही अनुभव बांट रही हैं, सखी के साथ।

By Edited By: Published: Tue, 20 Dec 2016 05:06 PM (IST)Updated: Tue, 20 Dec 2016 05:06 PM (IST)
शादी और शरारतें
बदल गया माहौल मेरी छोटी बहन बहुत हंसमुख है। उसकी लव मैरिज हुई है। विदाई के वक्त सब रो रहे थे लेकिन उसके चेहरे पर शिकन भी न थी। कार तक ले जाते हुए मेरी मौसी ने उसे चिकोटी काटी और धीरे से कहा, 'अपने आंसुओं से बाबुल की देहरी तो ठंडी करती जाओ।' यह सुनकर वह जोर से चिल्लाई, 'चिकोटी क्यों काट रही हैं मौसी, रोना नहीं आ रहा तो कैसे रोऊं?' यह सुनते ही वहां मौजूद लोग हंस पडे और विदाई का गमगीन माहौल खुशनुमा हो गया। आज भी ससुराल जाते समय जब उसका मन उदास होता है तो हम उसे उसकी विदाई की याद दिला कर हंसा देते हैं। -नीना सिंह सोलंकी, भोपाल चट मंगनी पट ब्याह बात उन दिनों की है, जब मैं अपनी भाभी के भाई की शादी में उनके मायके गई थी। वहां माहौल बडा ही खुशनुमा था। मैं भी लोगों के साथ पूरी मस्ती में डांस कर रही थी। अचानक मुझे ऐसा लगा कि कोई लडका मुझे लगातार घूर रहा है। फिर भी मैंने उसे इग्नोर कर दिया। इसके बाद भी पूरे विवाह समारोह में मुझे ऐसा लग रहा था कि उसकी नजरें मेरा ही पीछा कर रही हैं। अगले दिन सुबह मेरे पिता ने मुझसे पूछा, 'बेटा क्या यह लडका तुम्हें पसंद है?' अचानक ऐसा सवाल सुनकर मैं चौंक गई और समझ नहीं आया कि उनसे क्या कहूं। फिर बाद में मुझे मालूम हुआ कि मेरे पति अपने परिवार के साथ मुझे शादी के लिए देखने आए थे। हालांकि हम दोनों के परिवार वालों ने हम पर शादी के लिए कोई दबाव नहीं डाला और हमसे कहा कि पहले तुम दोनों आपस में बातचीत करके एक-दूसरे को समझ लो, तभी कोई निर्णय लेना। जब हम दोनों ने एक-दूसरे को पसंद कर लिया तो उसी शादी के रिसेप्शन में हमारी सगाई और दो महीने बाद शादी हो गई। -वीना साधवानी, थाणे (महाराष्ट्र) जब दूल्हे का सूट बदल गया मेरे देवर की शादी थी। वरमाला से थोडी देर पहले उन्होंने मुझे पास बुलाकर धीरे से कहा, 'भाभी आपके पतिदेव तो आज बडे चमक रहे हैं तो मैंने कहा, क्यों न चमकें भला, आखिर उनके भाई की शादी जो है।' इसके बाद भी उन्होंने दो-तीन बार मेरे सामने यही बात दोहराई पर मैं समझ नहीं पा रही थी कि देवर जी बार-बार एक ही बात क्यों बोल रहे हैं। तभी अचानक मैंने सामने से पतिदेव को आते देखा तो मुझे सारा माजरा समझ में आ गया। दरअसल इन दोनों भाइयों की कद-काठी बिलकुल एक जैसी है और जल्दबाजी में वह दूल्हे का सूट पहनकर चले आए थे। - रेखा दीक्षित, वडोदरा बारातियों की शरारत लगभग छह महीने पहले मैं अपनी सहेली की शादी में गई थी। उसके पति बहुत मोटे हैं पर उसके भाई बेहद दुबले-पतले हैं। यह देखकर बारातियों को शरारत सूझी, उन्होंने कहा कि हमारे यहां लडकी का भाई दूल्हे को गोद में उठा कर मंडप तक ले जाता है। लडकी के भाइयों ने बडी मुश्किल से दूल्हे को मंडप तक पहुंचाया और यह दृश्य देखकर दूल्हे के जीजा ने कहा, 'देखो ट्रक के लगेज को लोग कंधे पर ले जा रहे हैं।' यह सुनते ही वहां मौजृूद लोग जोरों से हंस पडे। - पल्लवी अग्रवाल, गाजियाबाद लोग धोखे में पड गए हमारी शादी के महीने भर बाद पतिदेव के करीबी दोस्त की शादी में हम दोनों अपनी वेडिंग ड्रेस पहनकर गए थे। वहां किसी ने मजाक में दूल्हे की पगडी इन्हें पहना दी। तभी दुलहन की सहेलियां दूल्हे को ढूंढती हुई आईं और जबरन इनका हाथ पकड कर इन्हें मंडप तक ले गईं। जब असली दूल्हा सामने आया तब जाकर गलतफहमी दूर हुई। ये बातें याद करके हम आज भी हंसते हैं। - रीता माटा, दिल्ली

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