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मैं उड़ चली आसमां है मेरा

अब स्त्रियां हर क्षेत्र के साथ ही ट्रैवलिंग में भी अपना दमखम साबित कर रही हैं। फीमेल सोलो ट्रैवलर्स की संख्या बढ़ती ही जा रही है।

By Edited By: Published: Mon, 02 May 2016 09:35 AM (IST)Updated: Mon, 02 May 2016 09:35 AM (IST)
मैं उड़ चली आसमां है मेरा

यात्राएं व्यस्त दिनचर्या से सुकून के कुछ पल चुराने का अ'छा जरिया होती हैं। कुछ वर्षों पहले आए एक सर्वे में कहा गया था कि भारतीय स्त्रियां कामकाज से जुडी यात्राएं करना ज्यादा पसंद करती हैं। आज की स्त्रियां उस रिसर्च को गलत साबित कर रही हैं। वे काम से कुछ दिनों का ब्रेक लेकर निकल पडती हैं देश-विदेश की यात्राओं पर।

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मिलता है अनुभव

अकेले यात्रा करना न सिर्फ आसान है, बल्कि उसके कई फायदे भी हैं। वर्ष 2011 से 45 जगहों की यात्रा कर चुकीं क्रिएटिव डायरेक्टर सुचिता शाह बताती हैं, 'सोलो ट्रिप्स पर जाने से मेरा क्रिएटिव सेल्फ मजबूत होता है। ऐसी ट्रिप्स पर लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने से बचना चहिए। लोकल भीड में घुलना-मिलना सही रहता है। मैं मुंबई या गोवा में कैसे भी रहूं, इलाहाबाद और वाराणसी जाकर बिलकुल ट्रडिशनल हो जाती हूं।' उसके साथ ही सब अपने बलबूते मैनेज करने का अनुभव भी मिलता है।

करें ऐसे तैयारी

अकेले जाना है तो तैयारी भी उसी के अनुकूल करनी होगी ताकि कोई परेशानी न हो। ट्रैवलर अमिता आर्या बताती हैं, 'मैं जहां भी जाती हूं, वहां स्टे करने के लिए होटल्स में प्री-बुकिंग जरूर करवाती हूं। इन ट्रिप्स में गूगल मेरा बहुत बडा सहारा बनता है। मैं रोड ट्रिप्स बहुत एंजॉय करती हूं।' प्री-बुकिंग्स के साथ ही वहां के लोकल लोगों के व्यवहार और रहने-खाने के तौर-तरीकों को भी पहले ही समझ लें। इससे वहां पहुंचने के बाद अनजानों की तरह भटकना नहीं पडेगा।

सुरक्षा भी है जरूरी

अकेले ट्रैवल करते समय सुरक्षा के लिहाज से इन बातों का ध्यान रखें :

-जितना हो सके, लेट नाइट घूमने से बचना चाहिए। जहां भी हों, अपनी फैमिली को सूचित करते रहें।

-कभी लगे कि कोई पीछा कर रहा है तो सचेत हो जाएं।

-पासपोर्ट हर जगह लेकर बेशक न घूमें, पर उसकी फोटोकॉपी अपने पास जरूर रखें।

- सारा कैश एक ही जगह न रखें। उसे अलग-अलग बैग्स में रखें।

सफर सुहाना तभी होगा, जब वह सुरक्षित होगा। आत्मविश्वासी व निडर होकर उसे यादगार बनाएं।

सुलझती हैं पहेलियां

सोलो ट्रिप्स से आपका आत्मविश्वास बढता है और स्वतंत्र रूप से उन पलों को भरपूर जीनेे का समय मिलता है। अगर अपनी फॉरेन ट्रिप पर मैं किसी के साथ गई होती तो शायद उतना खुलकर एंजॉय न कर पाती, जितना कि मैंने किया। ऐसी ट्रिप्स में मन की कई उलझनों का निदान भी हो जाता है, क्योंकि वहां सिर्फ आप और आपके ख्ायाल होते हैं। सुरक्षा के लिए चिली स्प्रे अपने पास जरूर रखें। सस्ते या शहर से दूर बसे होटल में न रुकें।

ऋतुमा चतुर्वेदी, प्रोफेसर

मिलता है आत्मज्ञान

अगर खाने-पीने और अलग-अलग संस्कृतियों को जानने के शौकीन हों तो यात्राएं बेस्ट मीडियम होती हैं। मैं एक ही टूर कंपनी से अपने लिए बुकिंग करवाती हूं, इससे विश्वास बना रहता है। अपने पास इमर्जेंसी नंबर्स हमेशा रखने चाहिए। टैक्सी बुक करते समय उसका नंबर जान-पहचान वालों को भेजना सही रहता है। बिना घबराए पूरी ट्रिप को एंजॉय करना चाहिए। यह किसी मेडिटेशन से कम नहीं होती।

आनिंदिता बैनर्जी, असिस्टेंट मैनेजर


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