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कायदे का फायदा

ईमानदारी से टैक्स चुकाना बहुत अच्छी बात है पर उतनी ही ईमानदारी से हमें इस सच्चाई को भी स्वीकारना चाहिए कि महंगाई के इस दौर में हम सब टैक्स की छूट का पूरा लाभ उठाना चाहते हैं।

By Edited By: Published: Fri, 01 Jul 2016 01:57 PM (IST)Updated: Fri, 01 Jul 2016 01:57 PM (IST)
कायदे का फायदा
पहले जब निवेश की बात होती थी तो आम लोग एफडी से आगे नहीं सोच पाते थे लेकिन समय के साथ वित्तीय मामलों में लोगों की जागरूकता बढ रही है और वे निवेश के नए विकल्प तलाश रहे हैं। अपने लिए निवेश का चुनाव करते समय लोग आकर्षक रिटर्न के साथ अपनी जमा पूंजी की सुरक्षा भी चाहते हैं। इस लिहाज से टैक्स फ्री बॉण्ड सबसे आकर्षक निवेश है। इसमें एफडी की तरह निश्चित ब्याज मिलता है और इसे शेयर्स की तरह खरीदने-बेचने की भी सुविधा होती है। इसलिए दाम बढऩे पर उसे बेचकर लोग ज्य़ादा लाभ उठा सकते हैं। इतना ही नहीं, आयकर में मिलने वाली छूट इसे और ज्य़ादा आकर्षक बना देती है, जो निवेशकों के लिए फायदेमंद है। इसीलिए आजकल ज्य़ादातर लोग टैक्स फ्री बॉण्ड खरीदना पसंद करते हैं। कैसे काम करता है यह सरकारी कंपनियां बाजार से पूंजी जुटाने के लिए जो ऋणपत्र जारी करती हैं, उसे बॉण्ड कहा जाता है। इस पर ब्याज दर पहले से तय होती है और इसमें निवेश की अवधि 10 से 20 साल तक होती है। जैसा कि नाम से ही जाहिर है, टैक्स फ्री बॉण्ड भी निवेश का एक ऐसा ही विकल्प है, जिसके ब्याज पर कोई टैक्स नहीं लगता। कंपनियां इसे जारी करने के बाद शेयर बाजार में भी सूचीबद्ध कराती हैं, जिससे ग्राहक इन बॉण्ड्स को जरूरत पडऩे पर शेयर्स की तरह कभी भी बेच सकते हैं। कितना होगा फायदा टैक्स फ्री बॉण्ड में लगभग 6 से 8% तक तय ब्याज मिलता है। इस साल जनवरी से मार्च तक हुडको, ग्रामीण विद्युतीकरण निगम (आरईसी) भारतीय रेल वित्त निगम (आइआरएफसी) और राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) जैसे प्रमुख सरकारी प्राधिकरणों ने भी टैक्स फ्री बॉण्ड जारी किए। छूट की सीमा अगर एफडी से टैक्स फ्री बॉण्ड की तुलना की जाए तो जो लोग कम आयकर के दायरे में आते हैं, उनके लिए एफडी कराना ज्य़ादा सही रहता है। इसके विपरीत ज्य़ादा इनकम टैक्स अदा करने वालों के लिए टैक्स फ्री बॉण्ड फायदेमंद साबित होता है। मिसाल के तौर पर अगर किसी व्यक्ति के वेतन में से 10% आयकर की कटौती होती है तो आयकर चुकाने के बाद भी एफडी पर मिलने वाले ब्याज से उसे 7.2 % का फायदा होगा। वहीं अगर कोई व्यक्ति साल में 20% आयकर चुकाता है तो एफडी में निवेश के ब्याज से उसे ज्य़ादा लाभ नहीं मिल पाएगा। इसलिए अधिक आयकर के दायरे में आने वाले लोगों के लिए एफडी की तुलना में टैक्स फ्री बॉण्ड ज्य़ादा फायदेमंद साबित होता है। आसान है प्रक्रिया आमतौर पर डीमैट अकाउंट के बिना कोई भी व्यक्ति शेयर्स की खरीद-बिक्री नहीं कर सकता लेकिन टैक्स फ्री बॉण्ड को निवेशक बिना डीमैट अकाउंट के खरीद सकते हैं और निश्चित अवधि पूरी होने पर बेच सकते हैं लेकिन अगर कोई व्यक्ति इसे शेयर्स की तरह बीच में ही बेचना चाहता है तो उसके लिए डीमैट अकाउंट होना जरूरी है। हालांकि निवेशक को ध्यान रखना चाहिए कि शेयर बाजार में इसे बेचने पर उसे पूंजीगत लाभ कर (कैपिटल गेन टैक्स) चुकाना पडेगा। इसके तहत शॉट टर्म कैपिटल गेन टैक्स सामान्य दर से लगता है। एफडी में निश्चित अवधि पूरी होने से पहले पैसे नहीं निकाले जा सकते जबकि टैक्स फ्री बॉण्ड को शेयर्स की तरह बेचा जा सकता है। दूरगामी योजनाओं के लिए टैक्स फ्री बॉण्ड की अवधि लंबी होती है। इसलिए यह दूरगामी योजनाओं के लिए फायदेमंद साबित होती है। बच्चों की उच्च शिक्षा, विवाह या रिटायरमेंट के बाद की जरूरतों के लिहाज से यह निवेश का सबसे अच्छा विकल्प है। इसमें बिना किसी जोखिम के निवेशक को अच्छे लाभ की प्राप्ति होती है। इसलिए लोग इस ओर जा रहे हैं। क्या है कंपनी डिपॉजिट निजी क्षेत्र की कंपनियां एफडी की तरह कंपनी डिपॉपिज की पेशकश करती हैं, जिन पर अधिक जोखिम के साथ ज्य़ादा ब्याज मिलता है। सरकारी और निजी कंपनियां बाजार से पूंजी जुटाने के लिए नॉन कन्वर्टेबल डिबेंचर (एनसीडी ) जारी करती हैं, जो बॉण्ड की तरह होता है। यह सुरक्षित और असुरक्षित दो तरह की होती है। असुरक्षित एनसीडी में ब्याज दर ज्यादा होता है लेकिन इसमें जोखिम भी अधिक होता है। सुरक्षित श्रेणी की एनसीडी जारी करने के पहले कंपनी की ओर से उतने मूल्य की संपत्ति गारंटी के तौर पर रखी जाती है, इससे ग्राहकों का मूलधन सुरक्षित रहता है। सखी फीचर्स (वित्तीय सलाहकार एम. के. अरोडा से बातचीत पर आधरित)

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