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क्या फेक है अकाउंट?

तकनीक ने हमारा काम जितना आसान किया है, उतना ही मुश्किल भी। सोशल नेटवर्किंग साइट्स के माध्यम से हम अपने दोस्तों के संपर्क में रहते हैं पर यह कई बार हमें मुसीबत में डाल देती है।

By Edited By: Published: Sat, 10 Sep 2016 09:46 AM (IST)Updated: Sat, 10 Sep 2016 09:46 AM (IST)
क्या फेक है अकाउंट?
हाल- फिलहाल फेक आईडी से हुए फ्रॉड के कई किस्से खबरों का हिस्सा बने। ऐसी साइट्स जिनका इस्तेमाल बच्चों से लेकर हर कोई करता है, वहां कुछ ऐसे शातिर यूजर्स फेक अकाउंट बना कर बैठे हैं जो आपकी जानकारी हासिल कर आपको फंसा सकते हैं। किसी ने प्यार व शादी का झांसा देकर युवतियों की भावनाओं को छला तो किसी ने बातों में उलझा कर रुपये हडप लिए। कुछ लोग तो बाकायदा ग्रुप्स या पेज बनाकर जॉब का ऑफर देकर लोगों को ठग लेते हैं। जानें कि ऐसे नकली अकाउंट्स को पहचान कर उनसे कैसे सावधान रहा जाए। कुछ पुराने केस केस 1 : रईस व्यापारी के 14 साल के बेटे ने बिना सोचे-समझे अनजानों को भी अपनी फ्रेंड लिस्ट में जगह दे रखी थी। एक दिन उसके परिजन कहीं बाहर गए थे और वह घर में अकेला था। यह बात उसने 'फीलिंग लोनली एंड अफ्रेड' लिखने के साथ ही अपडेट कर दी। उसकी फ्रेंड लिस्ट में कोई ऐसा था, जो उसको लगातार फॉलो कर रहा था। उसे बातों में बहका, पता पूछ वह उसके घर पहुंच गया और बेहोश कर नकदी व कीमती सामान लूट कर फरार हो गया। जब तक उसे ढूंढा जाता, अकाउंट डिलीट किया जा चुका था। उसका नंबर या कोई और जानकारी बच्चे के पास नहीं थी। साइबर सेल की मदद से उसकी तलाश जारी है। केस 2 : 19 वर्षीय एक छात्रा को अपनी दोस्त से बहुत जलन होती थी क्योंकि उसके कारण उसे अकसर ही घरवालों की डांट सुननी पडती थी। बदला लेने के लिए उसने अपनी दोस्त के नाम से कई सोशल साइट्स पर अकाउंट बना कर अनजान लडकों से दोस्ती कर ली। अपनी दोस्त के नाम पर उनसे फोन पर बात करने के साथ ही उन्हें उसकी तसवीरें भी भेजने लगी। इंसान कितना भी शातिर क्यों न हो, कुछ गलतियां तो कर ही बैठता है। वह भी अनजाने में अपना भेद खोल बैठी। लंबे समय बाद राज खुला तो सबके समझाने पर उसने उन अकाउंट्स को बंद किया। किसी ने कंप्लेन नहीं की थी, इसलिए पुलिस केस नहीं बना वर्ना वह फंस सकती थी। केस 3 : खुद को इंग्लैंड का निवासी बताने वाले एक शख्स ने भारतीय स्त्री से दोस्ती की। दोस्ती प्यार में बदली और शादी की बात चलने लगी। एक दिन उसने फोन कर बताया कि रिश्ते की पारंपरिक शुरुआत करने के लिए वह कुछ तोहफे भेज रहा है। कस्टम से क्लियर करवाने के लिए उस स्त्री को कुछ रुपये जमा करवाने होंगे। उस शख्स की बातों में आकर, बिना कोई जांच-पडताल किए उसने अच्छा-खासा अमाउंट उसके बैंक अकाउंट में ट्रांस्फर करवा दिया। उसके बाद भी उस व्यक्ति ने दो बार और अपने अकाउंट में रुपये जमा करवाए। जब तक वह धोखे को समझ पाती, पैसे निकालने के बाद अकाउंट व नंबर्स बंद किए जा चुके थे। केस की जांच अभी चल रही है। जल्द खुलासे का आश्वासन दिया गया है। बता दें कि वह स्त्री एक यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर है। ये तीन केसेज तो बानगी मात्र हैं। ऐसे और भी बहुत से केस हैं जिनके बारे में कभी पता चल पाता है तो कभी फेक यूजर के ज्यादा शातिर होने की वजह से वे बच भी जाते हैं। साइबर सिक्योरिटी वाले अकसर ही लोगों को सचेत करने के लिए वर्कशॉप्स आयोजित करवाते रहते हैं। क्यों पहचानना है जरूरी फेक अकाउंट को पहचानना व दूसरों के सामने लाना बहुत जरूरी होता है। हो सकता है कि एक बार धोखा खाने के बाद आप सजग हो जाएं पर दूसरों को सजग करना भी तो आपकी नैतिक जिम्मेदारी है। कई बार ऐसा होता है कि एक बार अपने काम में असफल हो जाने पर ऐसे लोग कुछ समय के लिए सोशल मीडिया से गायब हो जाते हैं पर फिर लौट भी आते हैं। हर कोई उनके चंगुल में फंसने से बच जाए, यह जरूरी नहीं होता है। कई लोग अज्ञानतावश फंस भी जाते हैं। अकसर बच्चों या लडकियों को ये अपना निशाना बनाते हैं। यदि किसी भी अकाउंट के फेक होने का संदेह हो तो दूसरों को उसकी जानकारी जरूर दें। किडनैपिंग से लेकर मर्डर और रेप तक के कारनामों को फेक अकाउंट वालों ने अंजाम दिया है। ऐसे अकाउंट्स सोसाइटी के लिए खतरा होते हैं। किसी से बदला लेने के लिए बनाए गए फेक अकाउंट्स बेहद खतरनाक होते हैं। कई मामलों में देखा गया है कि लोग अपने पार्टनर्स की जासूसी करने के लिए भी फेक अकाउंट बनाते हैं पर यह तरीका बहुत गलत है। इसका मतलब है कि आपको अपने पार्टनर व रिश्ते पर भरोसा नहीं है। कैसे पहचानें कई बार ये अकाउंट्स इतने असली लगते हैं कि इन पर संदेह करना मुश्किल हो जाता है। इनकी फोटो भी असली लगती है और बाकी जानकारियां भी। यहां तक कि इनके और आपके कई म्यूचुअल फ्रेंड्स भी होते हैं और ये दूसरों के स्टेटस व तसवीरों पर अपनी राय व्यक्त कर लोगों के बीच अपनी पहचान भी बना लेते हैं। इससे कोई इन पर जल्दी शक नहीं करता और इनकी फ्रेंड रिक्वेस्ट भी आसानी से एक्सेट हो जाती है। जिन्हें आप पर्सनली न जानते हों, उन्हें फ्रेंड लिस्ट में ऐड करने से बचना चाहिए। अगर ऐड कर भी लें तो उनसे बातचीत न करें और अपनी निजी जानकारियां उनके साथ शेयर करने से बचें। डिटेक्टिव बन अपने दोस्तों को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजने वालों के प्रोफाइल को खंगाल लें। उसके बायो को अच्छी तरह से पढें और उसके बारे में जानकारी जुटाएं। जरूरत पडे तो म्यूचुअल फ्रेंड्स से भी उसके बारे में पूछ लें। कई बार फेक अकाउंट वाले किसी की असली फोटो चुरा कर अपने प्रोफाइल में लगा लेते हैं जिससे कि वे वास्तविक नजर आएं। गूगल की मदद से भी चेक किया जा सकता है कि फोटो असली है या नहीं। यह भी देखें कि उनके दोस्त किस तरह के और कहां के हैं। ज्यादा विदेशी, दूसरे कोर्स या फील्ड वाले या अजीबोगरीब नामों वाले दोस्त नजर आएं तो अकाउंट के फेक होने की आशंका बढ जाती है। अकाउंट फेक लगने पर आप उसे ब्लॉक या रिपोर्ट कर सकते हैं। उसके अलावा अपने अकाउंट में उसकी डिटेल्स शेयर कर दूसरों को आगाह भी करें। उसके प्रोफाइल का लिंक कॉपी कर अपनी वॉल पर पेस्ट कर दें। प्राइवेसी सेटिंग्स में जाकर अपनी सिक्योरिटी को दुरुस्त कर लें। वहां आपको अकाउंट सिक्योर करने के कई विकल्प मिल जाएंगे। जिन लोगों से आप निजी तौर पर परिचित न हों, उनसे किसी भी तरह की जानकारियां बांटने से बचें। कोई भी, कभी भी आपकी बातों या तसवीरों का गलत तौर पर इस्तेमाल कर सकता है। सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर बेहद सजग रहने की जरूरत होती है, वर्ना जरा सी असावधानी बरत कर आप मुसीबत को खुली दावत दे सकते हैं। कोई समस्या होने पर घबराने के बजाय साइबर सेल की मदद लें। दीपाली पोरवाल

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