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शादी के चंद सबक

पति-पत्नी एक-दूसरे के प्रति कैसा व्यवहार रखें, रिश्ते और परिवार के बीच संतुलन कैसे बिठाएं और कैसे शादी को सफल बनाएं... इसके लिए समाज में कई नियम हैं। मगर समय के साथ कई धारणाएं टूट रही हैं और कुछ नए नियम भी बन रहे हैं। ऐसी ही चंद धारणाओं और

By Edited By: Published: Tue, 20 Oct 2015 04:23 PM (IST)Updated: Tue, 20 Oct 2015 04:23 PM (IST)
शादी के चंद सबक

पति-पत्नी एक-दूसरे के प्रति कैसा व्यवहार रखें, रिश्ते और परिवार के बीच संतुलन कैसे बिठाएं और कैसे शादी को सफल बनाएं... इसके लिए समाज में कई नियम हैं। मगर समय के साथ कई धारणाएं टूट रही हैं और कुछ नए नियम भी बन रहे हैं। ऐसी ही चंद धारणाओं और उनकी सच्चाइयों से रूबरू करा रही है सखी।

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शादियां स्वर्ग में तय होती हैं...। शादी के बारे में सबसे चर्चित आम धारणा यही है, लेकिन इस धारणा का दूसरा पहलू यह है कि शादी तय कहीं भी हो, उसे निभाना तो इसी धरती पर पडता है।

आज रिश्ते जिस रफ्तार से दरक रहे हैं, उससे कई पुरानी धारणाएं ध्वस्त होती दिख रही हैं। कहीं ऐसा तो नहीं कि शादी को लेकर जो ढेरों मिथक हैं, वे वास्तविकता के धरातल पर गलत साबित हो रहे हों? या फिर लोगों की ज्िांदगी में आने वाले बदलाव इतने बडे हैं कि शादी के पुराने स्वरूप के साथ उनका तालमेल नहीं बैठ पा रहा है?

शादी करो, एक-दूसरे से प्यार करो, जीवन साथ मिल कर जिओ, बच्चों और परिवार की ख्ाातिर साथ चलो...बडा सीधा सा अर्थ रहा है शादी का। हमारे दादा-दादी, नाना-नानी, उनके माता-पिता और हमारे माता-पिता ने यही किया। फिर आख्िार यह रिश्ता इतना जटिल कैसे बन गया कि इस पर दुनिया भर में सर्वे और शोध करने पडें! शादी को बचाने के लिए लेख लिखने पडें और आए दिन काउंसलर्स को दंपतियों की सिटिंग्स लेनी पडें!

यह सच है कि हर व्यक्ति रिश्तों को बचाना चाहता है। इसके बावजूद ज्िांदगी में हमेशा अपना चाहा नहीं हो पाता। शादी के बारे में भी ऐसा कहा जा सकता है। शादी यकीनन ज्िांदगी का सबसे करीबी रिश्ता है, लेकिन इसके बारे में भी कुछ ठोस सच्चाइयों को पहले ही देख-समझ लें तो रिश्ता बेहतर हो सकता है।

धारणा 1

प्यार में बिना कहे ही बहुत सी चीज्ों समझ ली जाती हैं।

सच यह है

जो मन की बातें बिना कहे समझ ले, ऐसा पार्टनर सिर्फ किताबों या फिल्मों में मिलता है। इच्छाओं, ज्ारूरतों, अपेक्षाओं को खुलकर बताने के बाद भी ज्ारूरी नहीं कि पार्टनर हर बात को वैसे ही समझेगा, जैसा आप समझाना चाहते हों। समझ भी ले तो वह उसे पूरा करेगा, इसकी कोई गारंटी नहीं। वास्तविकता यह है कि साथी को अपने एहसासों-इच्छाओं के बारे में बताएं और इस हकीकत को जान लें कि बिना बताए वह कुछ नहीं समझेगा। आपकी बातों से वह समझ सकता है कि रिश्ते से आपकी अपेक्षाएं क्या हैं। रिश्ते में तनावमुक्त रहने के लिए संवाद ही एकमात्र ज्ारिया है।

धारणा 2

दोनों को बराबर काम करना चाहिए।

सच यह है

हो सकता है कि यह बात फेमिनिज्म के कुछ ख्िालाफ जाए, लेकिन सच्चाई यही है कि शादी में हमेशा 2+2=4 नहीं होता। कई बार एक पार्टनर अपना 80 प्रतिशत देता है, मगर दूसरा 20 प्रतिशत ही दे पाता है। इसकी कई वजहें हो सकती हैं। काम के लंबे घंटे, बीमारी, तनाव या दबाव, थकान...। पत्नी/पति को ऑफिस से आते-आते रात के 9-10 बज जाएं और पार्टनर चाहे कि वह आकर किचन संभाल ले तो यह अपेक्षा शादी के लिए ठीक नहीं। घरेलू कार्यों का बराबर बंटवारा कई बार व्यावहारिक नहीं होता। यह बात सच है कि काम बांटने से दंपती ख्ाुश रहते हैं, लेकिन इस नियम को पत्थर की लकीर बना कर नहीं चला जा सकता। शादी में फिफ्टी-फिफ्टी के फेर में रहेंगे तो दुखी रहेंगे और दुखी करेंगे। शादी तभी अच्छी चलती है, जब पार्टनर को ख्ाुश रखने की इच्छा पति-पत्नी दोनों में समान रूप से हो। कौन परिवार के लिए ज्य़ादा करता है? कौन ज्य़ादा ज्िाम्मेदारियां उठाता है....इन बातों पर बहुत सोचने से रिश्ते को नुकसान होता है।

धारणा 3

पार्टनर को हर परेशानी नहीं बतानी चाहिए।

सच यह है

परेशानियों से अकेले लडऩा मुश्किल होता है। जबकि साथ मिल कर किसी भी समस्या का हल ढूंढा जा सकता है। शादी में शेयरिंग ज्ारूरी है और यह शेयरिंग सुख-दुख में समान रूप से होनी चाहिए। कुछ ख्ाास स्थितियों में पार्टनर को हर बात नहीं बताई जा सकती। मसलन, अगर वह तनाव, बीमारी या किसी प्रोफेशनल समस्या से जूझ रहा हो, लेकिन सामान्य स्थितियों में शेयरिंग से रिश्ता मज्ाबूत होता है लेकिन यह भी ज्ारूरी है कि दांपत्य जीवन की परेशानियां किसी तीसरे से शेयर करते हुए सतर्क रहें। जैसे पार्टनर के करियर या आर्थिक पक्ष से जुडी कोई समस्या बिना उसे विश्वास में लिए तीसरे से न बांटें, इससे वह आहत हो सकता है।

धारणा 4

शादी इंसान को पूर्ण करती है।

सच यह है

शादी अलादीन का चिराग नहीं है कि जो चाहेंगे-मिल जाएगा। शादी हर ज्ारूरत पूरी नहीं कर सकती। इंसान को पूर्णता अपने काम और जीवन में अपने मकसद से मिलती है। इंसान सामाजिक प्राणी है। उसे दोस्तों, रिश्तेदारों से मिलने-जुलने, शौक पूरे करने, लोगों के साथ काम करने की ज्ारूरत पडती है। शादी जीवन का सबसे महत्वपूर्ण रिश्ता है, लेकिन अन्य रिश्ते भी ज्िांदगी में बहुत ज्ारूरी हैं। समूह में रहने, रचनात्मक कार्य करने और अपने विचार बांटने से भी व्यक्ति को पूर्णता का एहसास हो सकता है।

धारणा 5

साथी को उसकी गलतियां बताकर उसे सुधारा जा सकता है।

सच यह है

गलतियां अवश्य बताएं, लेकिन ब्लेम गेम या नैगिंग से दूर रहें। सकारात्मक आलोचना से दूसरे की गलतियों को सुधारा जा सकता है। संवाद से चीज्ों बदलती हैं। आलोचना करते हुए पार्टनर की अच्छाइयां न भूलें और उनकी ओर भी इशारा करें। आलोचना का सही तरीका यही है। मकसद जीवनसाथी को नीचा दिखाना नहीं, बल्कि उसकी भूलों, व्यवहार या गलतियों को सुधारना होना चाहिए।

धारणा 6

साथी के प्रति फीलिंग्स न हों तो उसके प्रति प्यार भी नहीं दर्शाया जा सकता है।

सच यह है

शादी का एक सबक यह है कि कभी-कभी पार्टनर के लिए वह करें, जिसके लिए मन नहीं मान रहा। फीलिंग्स कई बार नहीं आतीं, लेकिन रिश्ते की बेहतरी इसमें है कि अपने व्यवहार से ऐसा ज्ााहिर न होने दें। हो सकता है, पार्टनर के व्यवहार, आदतों या किसी बात से दुखी या हर्ट हों, मगर बात सीधी सी है कि प्यार पाने के लिए पहले प्यार देना पडता है। सकारात्मक व्यवहार करेंगे तो पार्टनर के मन में स्नेह जगेगा। इसका परिणाम यह होगा कि आपके मन में भी उसके प्रति फीलिंग्स पैदा होने लगेंगी।

धारणा 7

शादी की सफलता के लिए ज्ारूरी है कि पति-पत्नी के विचार समान हों।

सच यह है

विचार भले ही एक जैसे न हों, लेकिन दूसरे के विचारों का सम्मान ज्ारूरी है। ऐसे कई कपल्स हैं, जो किचन में साथ खाना बनाना पसंद करते हैं या रिमोट के लिए झगडा किए बिना साथ बैठ कर क्रिकेट देखना पसंद करते हैं। मगर शादी की सफलता इस पर भी निर्भर करती है कि दंपती एक-दूसरे की पसंद, विचारों और इच्छाओं का कितना सम्मान करते हैं। यदि पति फिटनेस फ्रीक हो और पत्नी न हो, तो क्या उनकी शादी नहीं चलेगी? वैचारिक भिन्नता का सम्मान करना और तालमेल बनाए रखना रिश्ते के लिए ज्ारूरी है।

धारणा 8

पति-पत्नी एक-दूसरे के बेस्ट फ्रेेंड हों।

सच यह है

कई कपल्स को देख कर 'मेड फॉर ईच अदर वाला भाव पैदा होता है। दोस्ती का भाव ज्ारूरी है, लेकिन महज्ा दोस्ती से शादी सफल नहीं हो जाती। दोस्ती में कई बार लोग एक-दूसरे को फॉरग्रांटेड लेते हैं, जबकि शादी में इससे दिक्कत हो सकती है। दोस्ती में 'नो सॉरी, नो थैंक्यू से काम चल सकता है, लेकिन शादी में एक-दूसरे के विचारों का सम्मान करना बेहद ज्ारूरी होता है।

इंदिरा राठौर


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