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थोड़ा वक्त तो दो इस रिश्ते को

व्यस्तता और आपाधापी के बीच अमूमन दंपती अपना 'मी टाइम' भूलने लगे हैं। शेयरिंग न होने से दूरियां बढऩे लगी हैं। ज़्ारा सा वक्त दांपत्य को बड़े ख़्ातरे से उबार सकता है। ज़्ारूरी है कि रिश्ते के लिए समय निकालें, ताकि ज़्िांदगी की राह में सचमुच हमराही बन सकेें।

By Edited By: Published: Thu, 20 Aug 2015 03:23 PM (IST)Updated: Thu, 20 Aug 2015 03:23 PM (IST)
थोड़ा वक्त तो दो इस रिश्ते को

व्यस्तता और आपाधापी के बीच अमूमन दंपती अपना 'मी टाइम' भूलने लगे हैं। शेयरिंग न होने से दूरियां बढऩे लगी हैं। ज्ारा सा वक्त दांपत्य को बडे ख्ातरे से उबार सकता है। ज्ारूरी है कि रिश्ते के लिए समय निकालें, ताकि ज्िांदगी की राह में सचमुच हमराही बन सकेें।

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तुम्हारे पास मेरे लिए कभी समय नहीं होता...., इस दौर के कपल्स की आम शिकायत है यह। शादी नई हो या पुरानी, एक-दूसरे के लिए वक्त निकालना ज्ारूरी है। मगर वक्त की कमी तब ज्य़ादा खलती है, जब शादी नई हो और दंपती एक-दूसरे को समझने की प्रक्रिया से गुज्ार रहे हों। यूं तो यह छोटी सी शिकायत है, मगर कई बार इससे पार्टनर आहत महसूस करने लगता है।

मार्केटिंग के फील्ड में कार्यरत सुनिधि की शादी को डेढ साल हुआ है। पति-पत्नी अलग-अलग शिफ्ट में कार्यरत हैं। वीकेंड पर दोनों के पास समय होता है। मगर सुनिधि की शिकायत है कि छुट्टी के दिन भी पति दोपहर तक सोते रहते हैं। फिर अख्ाबार आगे होता है या टीवी का रिमोट। कई बार तो ज्ारूरी बातें भी शेयर नहीं कर पाती। उन्हें न शॉपिंग के लिए वक्त है, न सामाजिकता निभाने के लिए, न मूवी देखने या साथ में डिनर करने के लिए। नए शहर में अकेली सारी ज्िाम्मेदारियां पूरी करती सुनिधि शादी के दो साल में ही कुम्हला गई है। पेरेंट्स के घर में भाई-बहन, रिश्तेदारों के अलावा दोस्त थे। शादी करके दूसरे शहर आ गई। अब यहां पति के पास समय ही नहीं होता।

बीपीओ में सीनियर पोज्ाीशन में कार्यरत मानस की शादी को 10 साल हो गए हैं। आठ साल की बेटी है। पिछले कई वर्षों से नाइट शिफ्ट में काम करते हैं। रुटीन अव्यवस्थित होने से कई हेल्थ प्रॉब्लम्स ने भी घेर लिया। पत्नी पहले जॉब करती थीं, सास-ससुर बेटी को देखते थे। एडजस्टमेंट समस्याओं के चलते सास-ससुर से अलग घर ले लिया, मगर बेटी की परवरिश और काम के बीच तालमेल नहीं बिठा सकी और नौकरी छोड दी। नौकरी छोडते ही कुंठा, चिडचिडाहट और अकेलेपन से घिर गई वह। मानस चाह कर भी समय नहीं दे पाए। दोनों के बीच दूरियां ऐसी बढीं कि मामला फेमिली कोर्ट में है। पत्नी छह महीने से बेटी के साथ अलग हैं। काउंसलिंग के दौरान 32 पृष्ठों वाला शिकायती पत्र पढ कर मानस हैरान हो गए। उन्होंने पत्नी को पूरी आज्ाादी दी, कभी रोक-टोक नहीं की, फिर रिश्ते में इतनी दूरियां कैसे आ गईं? थोडा कुरेदने पर महसूस करते हैं कि सचमुच कई सालों से पत्नी को समय नहीं दे सके। करियर की ज्िाम्मेदारियों को संभालते गए, लेकिन घर के प्रति ज्िाम्मेदारियां नहीं निभा सके।

ये दोनों सच्ची घटनाएं हैं, सिर्फ नाम बदल दिए गए हैं। पहले मामले में शिकायतों का दौर अभी शुरू ही हुआ है। मगर दूसरे मामले में शिकायतों के लंबे दौर के बाद अंतत: विस्फोटक स्थितियां पैदा हो गईं और मामला घर के दायरे से बाहर चला गया। िफलहाल पति-पत्नी की काउंसलिंग चल रही है। नतीजा क्या होगा, किसी को नहीं मालूम।

समय का फर्क

अब ज्ारा 30-35 साल पहले के कपल्स की ज्िांदगी के बारे में सोचें। कम ही स्त्रियां तब नौकरीपेशा थीं। लंबी दूरियां और ट्रैफिक जाम पार करके दफ्तर में 8-10 घंटे नहीं खपाने होते थे। उस पीढी का जीवन इस लिहाज्ा से सुकून भरा था। बहुत महत्वाकांक्षाएं नहीं थीं और गलाकाट प्रतिस्पर्धा भी नहीं थीं, इसलिए जीवन सहज था। पति-बच्चों को भेजने के बाद स्त्रियों का ज्य़ादा वक्त घरेलू कार्यों में बीतता था। संयुक्त परिवार थे। इसके अलावा शॉपिंग और बातें करने के लिए सहेलियां भी होती थीं। मगर आज एकल परिवार हैं। नौकरियों के लिए अपने शहरों से दूर दूसरे शहरों में बसे लोगों के सामाजिक संबंध भी उतने गहरे नहीं हो पाते। चूंकि अन्य रिश्तों से कट जाते हैं, इसलिए भी पति-पत्नी की एक-दूसरे से अपेक्षाएं बढ जाती हैं। वे अपेक्षाएं पूरी नहीं हो पातीं तो शिकायतें बढऩे लगती हैं।

शिकायतें सुन तो लें

समय की कमी कपल्स के आपसी रिश्तों को ही नहीं, माता-पिता, बच्चों व अन्य लोगों से उनके रिश्तों को भी प्रभावित कर रही है। रिश्ते एक दिन में नहीं बनते-बिगडते हैं। यह लंबी प्रक्रिया होती है। रिश्तों में प्यार का एहसास ज्िांदा रखने के लिए एक-दूसरे को क्वॉलिटी टाइम देना ज्ारूरी है। पार्टनर की शिकायत को नज्ारअंदाज्ा करना भी ठीक नहीं। बेहतर शेयरिंग हो तो रिश्तों की ज्य़ादातर मुश्किलें दूर हो सकती हैं। हां, यह हो सकता है, पार्टनर की हर बात न मानी जा सके, लेकिन उसकी शिकायत को धैर्य से सुना जा सकता है। इसलिए रिश्तों के लिए थोडा समय ज्ारूर निकालें। यह ऐसा निवेश है, जो भविष्य में संबंधों को ख्ाुशगवार बनाए रखेगा। कुछ टिप्स व्यस्त कपल्स के लिए-

-दिनचर्या सुव्यवस्थित रखें। सुबह जल्दी उठें और रात में जल्दी सोएं। सुबह एक घंटे पहले उठने से लोगों से बातचीत करने और काम निपटाने के लिए ज्य़ादा वक्त मिल सकता है। कम से कम वीकेेंड पर दिन भर सोते रहने के बजाय जल्दी उठें। पार्टनर के साथ समय बिताएं। साथ वॉक करें, एक्सरसाइज्ा करें और घरेलू कार्यों में सहयोग दें। वीकेंड पर अच्छा सा ब्रेकफस्ट तैयार करके पार्टनर को सरप्राइज्ा दें।

-एकल परिवार है तो एक-दूसरे की ज्िाम्मेदारियां बांटें। दूसरे पर काम का बोझ बढेगा तो उसके भीतर कुंठा बढेगी। साथ समय बिताने का एक अर्थ एक-दूसरे का सहयोग करना भी है। समय-समय पर ऐसे सर्वे हुए हैं, जिनमें कहा गया है घरेलू कार्यों में एक-दूसरे का हाथ बंटाने वाले कपल्स औरों की तुलना में ज्य़ादा ख्ाुश रहते हैं।

-हफ्ते में कम से कम एक घंटा 'कपल टाइम निकालें। इसमें काम, बच्चों की ज्िाम्मेदारियां और दोस्तों को भूल जाएं और एक-दूसरे को क्वॉलिटी टाइम दें।

-ख्ाुशी के बहाने खोजें। बर्थडे, मैरिज एनिवर्सरी जैसी तारीख्ों याद रखें। एक-दूसरे के महत्व का एहसास कराते रहने के लिए छोटे-छोटे गिफ्ट्स और अवसरों का बडा महत्व होता है। कभी सरप्राइज्ा डिनर डेट प्लान कर लें। वीकेंड पर कहीं आसपास पिकनिक या ट्रिप पर चले जाएं।

-शिफ्ट जॉब करने वाले कपल्स को रिश्ते पर ध्यान देना ज्ारूरी है। हज्बैंड की नाइट शिफ्ट हो तो पत्नी की ज्िाम्मेदारियां बढ जाती हैं। सुबह थोडा वक्त साथ में ज्ारूर बिताएं। नाइट शिफ्ट के बाद सुबह ऑफिस से लौट कर तुरंत सोने के बजाय कुछ देर पार्टनर के साथ बिताएं। सुबह घरेलू कार्य भी ज्य़ादा होते हैं। समय की कमी है तो हेल्पर रखें या फिर कुछ कामों को छोडऩा सीखें।

-रिश्ते में दोस्ती का भाव बनाए रखें। अच्छे दोस्त लडते-झगडते और प्यार करते हैं, ग्ालती भूल कर माफ भी कर देते हैं और नि:शर्त दोस्ती निभाते हैं, हर अच्छी-बुरी बात शेयर करते हैं, बुरे वक्त में साथ निभाते हैं। कपल्स के बीच ऐसा रिश्ता हो तो दूरियां ख्ाुद सिमट आती हैं।

-अच्छी शादी में सेक्सुअल इंटीमेसी की अहमियत से इंकार नहीं किया जा सकता। अच्छी इंटीमेट सेक्सुअल क्रिया लंबे तनाव, कुंठाओं, शिकायतों और दूरियों को पल भर में मिटा सकती है। इसे जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाए रखें। उम्र और व्यस्तता का प्रभाव सेक्सुअल जीवन पर न पडऩे दें।

-जो सुनता है-वह जीतता है। यह बात वैवाहिक रिश्ते पर पूरी तरह सही साबित होती है। धैर्यपूर्वक दूसरे की बात सुन लेने से भी कई शिकायतें दूर हो जाती हैं।

-व्यस्तता का असर निजी ज्िांदगी पर न पडे, इसके लिए कोशिशें ज्ारूरी हैं। ख्ाुद को मशीन न बनने दें। छोटी-छोटी ख्ाुशियों और भावनाओं को ज्िांदगी में बचाए रखें। पार्टनर को ख्ाुशी देने की मंशा हो तो समय की कमी इतनी बडी समस्या नहीं बन सकती।

-मन में घुटते रहना रिश्ते के लिए घातक हो सकता है। थोडी नोक-झोंक ज्ारूरी है। लेकिन बहस अंतहीन झगडे में न बदले, इसका भी ध्यान रखना चाहिए।

-उदारता, समझदारी, सम्मान और भरोसा हो तो रिश्ते से कभी शिकायत नहीं होगी। काम का दबाव, व्यस्तता जैसे बहाने रिश्ते की नींव को कमज्ाोर करते हैं। हर कोई अपने सपनों को साकार करना चाहता है। सपनों के पीछे दौडऩा अच्छा है, मगर इन्हें हासिल करने के लिए रिश्तों को दरकिनार न करें, क्योंकि वे रिश्ते ही हैं, जो अंत तक साथ निभाते हैं।

इंदिरा राठौर


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