प्यार की दुनिया में पहला कदम
स्त्री-पुरुष का सबसे करीबी और सहज रिश्ता है शादी। इसकी सफलता कई बातों पर निर्भर करती है, जिनमें सेक्सुअल इंटीमेसी भी महत्वपूर्ण आधार है। जरूरी है कि इसे लेकर स्वस्थ और सकारात्मक सोच को बढ़ावा दिया जाए। इस एहसास को खुल कर जिएं, समर्पित प्रेमी बनें, तभी अच्छे दंपती और
स्त्री-पुरुष का सबसे करीबी और सहज रिश्ता है शादी। इसकी सफलता कई बातों पर निर्भर करती है, जिनमें सेक्सुअल इंटीमेसी भी महत्वपूर्ण आधार है। जरूरी है कि इसे लेकर स्वस्थ और सकारात्मक सोच को बढावा दिया जाए। इस एहसास को खुल कर जिएं, समर्पित प्रेमी बनें, तभी अच्छे दंपती और बेहतर पेरेंट्स बन सकेेंगे।
यह डिजिटल है। इधर सगाई होती है और उधर फेसबुक पर मैरिटल स्टेटस अपडेट हो जाता है। व्हॉट्सऐप और फेसबुक पर शेयर की जाने वाली तसवीरों पर सैकडों लाइक्स मिल जाते हैं। कोर्टशिप के दो-चार महीनों में शॉपिंग के न जाने कितने ठिकाने खोज लिए जाते हैं, फोन बिल लंबे होते जाते हैं और सिनेमाहॉल, कैफेटेरिया या रेस्तरां की कॉर्नर वाली सीट्स हर वीकेेंड रिज्ार्व होने लगती हैं। शादी की डिज्ााइनर ड्रेसेज्ा से लेकर गहनों और एक्सेसरीज्ा तक की ख्ारीदारी को लेकर अंतहीन बहसें होती रहती हैं।
लेकिन बोल्ड और बिंदास दिखने वाली पीढी आज भी 'एस' शब्द पर स्वस्थ बातचीत करने में हिचक महसूस करती है। भारतीय घरों में यह एक वर्जित विषय है। इससे संबंधित तमाम ऑडियो-विज्ाुअल सामग्री को बेडरूम के किसी ख्ाास कोने में ढका-छुपा कर रखा जाता है।
यह एक बडा कारण है, जो शादी के बाद युवा अपनी सेक्सुअल लाइफ को लेकर एक्साइटमेंट के साथ ही घबराहट, बेचैनी और भय से भी घिर जाते हैं। कई भ्रामक धारणाएं भी दिमाग्ा को मथती हैं। यूं तो आजकल एक क्लिक पर सब कुछ मुहैया है, मगर वैवाहिक जीवन में निभाया जाने वाला सेक्स संबंध शादी के बाहर मिलने वाले सेक्स ज्ञान, किताबों या फिल्मों में बताए-दिखाए जाने वाले वर्णनों व दृश्यों से बहुत अलग होता है।
जो जानना है ज्ारूरी
वैवाहिक जिंदगी का महत्वपूर्ण हिस्सा है सेक्स। शुरुआत से ही सही नज्ारिया रखा जाए और भ्रम से बचा जाए तो आगे का जीवन सुखद बीतेगा। सबसे पहले कुछ धारणाओं से मुक्त हो जाएं।
फिल्मों से बाहर निकलें
सत्तर के दशक की लडकियां फिल्म 'कभी-कभी के एक गीत से प्रेरित दिखती थीं। नब्बे के दशक वाली पीढी 'रोजा के नवविवाहित दंपती जैसा प्रेम चाहती थी तो इसके बाद जन्मी पीढी 'जस्ट मैरीड जैसी फिल्मों को आदर्श मानती है। ऑनस्क्रीन कपल्स जिस तरह प्रेम में डूबे नज्ार आते हैं, वास्तविक जीवन में वैसा नहीं होता। सेक्स संबंध एक प्रैक्टिस है। ज्ारूरी नहीं कि पहली बार सेक्स वह ख्ाुशी और संतुष्टि दे, जिसके बारे में तमाम फिल्में और किताबें ज्ञान देती दिखती हैं। कई बार यह दर्द भरा अनुभव हो सकता है। कई दिन तक चलने वाले शादी-कार्यक्रमों से हुई थकान के बाद यह ठीक-ठीक नहीं कहा जा सकता कि वेडिंग नाइट में सेक्स संबंध बनेंगे ही या बने भी तो सब कुछ अपेक्षाओं के अनुरूप ही होगा।
क्या करें
एक-दूसरे की करीबी महसूस करें। बातचीत करते रहें। साथी की हिचक दूर करने की कोशिश करें, ताकि वह कंफर्टेबल हो सके और उसका भरोसा जगे।
सिलसिला बातों का
ंंसेक्सुअल बातें...! यह बात अजीब लगती है, लेकिन अच्छा संवाद ही हेल्दी सेक्स लाइफ की बुनियाद है। थेरेपिस्ट मानते हैं कि शादी के शुरुआती दौर में सेक्स को लेकर एक-दूसरे की डिज्ाायर्स, अपेक्षाओं और पसंद-नापसंद के बारे में बात की जानी चाहिए। बात न कर सकें तो बॉडी लैंग्वेज के ज्ारिये अपनी बात दूसरे तक पहुंचा सकते हैं।
क्या करें
शेयरिंग से प्यार बढता है। शादी के शुरुआती दौर में सेक्स के स्तर पर कठोर या आलोचक नज्ारिये से बचें, तभी जीवनसाथी के प्रति दोस्ती और बराबरी का भाव पनपेगा।
स्पर्श का महत्व जानें
शुरुआती दौर में सिर्फ सेक्सुअल नीड्स पर ध्यान केंद्रित करेंगे तो भविष्य में समस्याएं होंगी। स्पर्श के ज्ारिये एक-दूसरे को जानने की कोशिश करें। सेक्सपट्र्स मानते हैं कि शादी का पहला साल सेक्सुअल स्टाइल को पहचानने का होता है। एक-दूसरे को गहराई में जाकर समझने के लिए स्पर्श करें, लेकिन स्पर्श की परिणति इंटरकोर्स में होगी ही, यह अपेक्षा न रखें। जब दंपती एक-दूसरे को स्पर्श करने में कंफर्टेबल होंगे तो उनके रिश्ते भी शारीरिक-मानसिक स्तर पर गहरे होंगे।
क्या करें
स्पर्श का कोई मौका न चूकेें। इससे एक-दूसरे के शरीर और इच्छाओं को समझने में मदद मिलती है। साथी को क्या भाता है, यह पता लगाने का एकमात्र तरीका स्पर्श है। एक-दूसरे को समझने और सम्मान देने से भावनात्मक निकटता आती है।
हताशा-कुंठा से बचें
पहली बार सेक्स संबंध बनाने का एहसास सुखद होता है, होना चाहिए, लेकिन कई बार ऐसा नहीं होता। थकान, दबाव, बेचैनी, आवेश, एल्कोहॉल...जैसे कई कारण इससे वंचित कर सकते हैं। यूएस में हुए एक सर्वे में लगभग 20 फीसद लडकियों ने माना कि उनकी सेक्सुअल डिज्ाायर्स कम हैं। दस में से चार के लिए पहला संबंध पेनफुल रहा। दस में से एक पुरुष ने प्रीमच्योर इजैक्युलेशन की शिकायत की और 20 में से एक पुरुष को इरेक्शन की समस्या रही। इन आंकडों से घबराएं नहीं, ये केवल यह बताने के लिए हैं कि शादी की शुरुआत में ऐसा हो सकता है।
क्या करें
फोरप्ले की अहमियत जानें। सेक्स संबंधों से पहले डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज्ा कारगर हो सकती है। संयत रहें, घबराहट और बेचैनी पर काबू पाएं। बातचीत करते रहें और इस बीच एक-दूसरे को स्पर्श करते रहें।
5 बातें जो हैं ज्ारूरी
जीवनसाथी के साथ पहली बार सेक्स संबंध बनाने से पहले ये 5 बातें ज्ारूर जानें-
1. धीरे चलें : शादी की प्लैनिंग, कई दिनों तक चलने वाले आयोजन, थकान, घबराहट और बेचैनी से सेहत और रिश्ते प्रभावित हो सकते हैं। सेक्स के मामले में 'धीरे चलें जैसी सलाह का पालन करना भले मुश्किल लगे लेकिन इससे कई समस्याओं और हताशा से बचा जा सकता है। थके हुए हैं और अगली सुबह किसी पूजा में बैठना है तो वेडिंग नाइट का आइडिया आगे खिसका दें। इससे मानसिक तैयारी के लिए भी थोडा समय मिल जाएगा। अच्छा हो कि इससे पहले जीवनसाथी से बात कर लें।
2. अतीत को दरवाज्ो के बाहर रखें : नए जीवन की शुरुआत कर रही हैं तो बीती यादों को कमरे से बाहर छोड दें। याद रखें, दो रिश्ते एक साथ नहीं चल सकते, चाहे वे मन में ही क्यों न हों। नए जीवन में नए उत्साह के साथ प्रवेश करें और पुरानी यादों को दहलीज्ा के बाहर छोड दें। साथी के प्रति समर्पित हों, ख्ाुद को मज्ाबूत बनाएं, ज्िांदगी में आगे बढें।
3. आप सब कुछ नहीं जानतीं : फिल्मों, किताबों, दोस्तों से मिलने वाली जानकारी के बावजूद मैरिटल सेक्स के बारे में पूरा ज्ञान नहीं मिल सकता। इसका एहसास सबसे अलग है। इसमें जो सुरक्षा है, वह किसी अन्य संबंध में नहीं। ख्ाुद को समय के साथ बहने दें। स्लेट पर पहली बार अक्षर लिखने जैसी जिज्ञासा मन में लेकर शुरुआत करें। मन व शरीर पर लिखे प्यार के आडे-तिरछे अक्षर नई उमंगों से भर देंगे।
4. दर्द से न घबराएं : पहली बार सेक्स संबंध हर्ट कर सकता है, इससे न घबराएं। अपनी पहली एरोबिक्स क्लास को याद करें। पहली बार व्यायाम करने पर मांसपेशियों में दर्द होता है। सेक्स संबंध भी व्यायाम की तरह है। समय के साथ दर्द सामान्य हो जाता है। यदि दर्द असामान्य है तो डॉक्टर से सलाह लें।
5. सेक्स सब कुछ नहीं : इंटीमेसी का अर्थ हमेशा सेक्स नहीं होता। यह मानसिक, भावनात्मक, आध्यात्मिक स्तर पर जुडाव की शुरुआत है। एक अजनबी के प्यार में पडऩा और उसके प्रति समर्पित हो जाना, यह शादी में ही संभव है।
इंदिरा राठौर