Move to Jagran APP

दांपत्य में कितना जरूरी है पर्सनल स्पेस?

आजकल ऐसा माना जाता है कि दांपत्य जीवन की खुशहाली के लिए एक-दूसरे को पूरा पर्सनल स्पेस देना चाहिए। आइए जानते हैं इस विषय पर क्या सोचती हैं दोनों पीढिय़ां।

By Edited By: Published: Thu, 23 Apr 2015 02:01 PM (IST)Updated: Thu, 23 Apr 2015 02:01 PM (IST)
दांपत्य में कितना जरूरी है पर्सनल स्पेस?

आजकल ऐसा माना जाता है कि दांपत्य जीवन की खुशहाली के लिए एक-दूसरे को पूरा पर्सनल स्पेस देना चाहिए। आइए जानते हैं इस विषय पर क्या सोचती हैं दोनों पीढिय़ां।

prime article banner

समझें आजादी की अहमियत

भारती नवनीत, वडोदरा

केवल शादी ही नहीं, बल्कि हर रिश्ते में हमें एक-दूसरे की निजी स्वतंत्रता का सम्मान करना चाहिए। पति-पत्नी हमेशा एक ही छत के नीचे रहते हैं। इसलिए दांपत्य जीवन को तनावमुक्त बनाएं रखने के लिए अपने पार्टनर की पसंद-नापसंद, शौक और उसकी निजता का सम्मान करना बेहद जरूरी है। जहां तक निजी अनुभवों का सवाल है तो मेरे पति मुझे पूरा पर्सनल स्पेस देते हैं। तीस वर्षों के दांपत्य जीवन में उन्होंने कभी मुझ पर कोई बंदिश नहीं लगाई। शादी के बाद भी अपनी रुचि से जुडे कार्यों के लिए मैं इसी वजह से समय निकाल पाती हूं क्योंकि मुझे मेरे पति से पूरा सहयोग मिलता है। बागवानी मेरी हॉबी है और मेरे पास बोनसा इ प्लांट्स का बहुत अच्छा कलेक्शन है। इसके लिए मुझे काफी समय देना पडता है, यह तभी संभव है क्योंकि इस मामले में मेरे पति का कोई हस्तक्षेप नहीं होता। मैं भी उनकी निजता का पूरा सम्मान करती हूं।

पश्चिम की अवधारणा है यह

श्रुति दासगुप्ता, गुडग़ांव

मुझे ऐसा लगता है कि पर्सनल स्पेस की अवधारणा पूरी तरह से पश्चिमी संस्कृति देन है। हमारे लिए इसके बजाय परिवार के साथ बिताए जाने वाले क्वॉलिटी टाइम की ज्यादा अहमियत है। निजी अनुभवों के आधार पर मैं पूरे विश्वास के साथ कह सकती हूं कि आजकल कामकाजी दंपतियों के पास घर-परिवार के लिए जरा भी वक्त नहीं होता। ऐसे में ऑफिस के बाद उनके लिए अपने घर और बच्चों पर ध्यान देना ज्यादा जरूरी हो जाता है। क्रिएटिव फील्ड से जुडे लोगों के लिए पर्सनल स्पेस की अहमियत हो सकती है, लेकिन आम लोगों के लिए यह जरूरी नहीं है। पर्सनल स्पेस की अवधारणा को अपनाने से हमारे समाज में व्यक्तिवादी और आत्मकेंद्रित सोच को बढावा मिलेगा।

विशेषज्ञ की राय

पर्सनल स्पेस की जरूरत कई बातों से तय होती है। मसलन, पति-पत्नी का व्यक्तित्व, उम्र, परिवार में बच्चों की संख्या और उम्र आदि कई ऐसी बातें हैं, जो उनके रिश्ते में पर्सनल स्पेस की सीमा निर्धारित करती हैं। आमतौर पर इंट्रोवर्ट पर्सनैलिटी वाले लोग एकांत पसंद करते हैं, वहीं एक्सट्रोवर्ट लोगों को अपने पार्टनर के साथ वक्त बिताना अच्छा लगता है। इसी तरह जिन लोगों में अपनी रुचियों को लेकर प्रतिबद्धता होती है, वे किसी भी हाल में थोडा वक्त अकेले अपने साथ बिताना पसंद करते हैं। वहीं कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जिनके लिए पर्सनल स्पेस की कोई अहमियत नहीं होती। जिन दंपतियों पर कई जिम्मेदारियां होती हैं, उन्हें पर्सनल स्पेस के बजाय आपसी सहयोग की ज्यादा जरूरत होती है। जहां तक पाठिकाओं के विचारों का सवाल है तो भारती जी में शुरू से ही अपनी रुचियों को लेकर कमिटमेंट की भावना रही होगी। इसीलिए उनके पति ने इसका खयाल रखा। दूसरी ओर श्रुति जॉब करती हैं और उनके बच्चे अभी छोटे हैं। ऐसे में उनके लिए घर और बच्चों के लिए समय निकालना ज्यादा जरूरी हो जाता है। हर दंपती के लिए पर्सनल स्पेस की जरूरत उसकी प्राथमिकताओं पर निर्भर करती है। वैसे, खुशहाल दांपत्य के लिए सहयोग और पर्सनल स्पेस के बीच संतुलन रखना बेहद जरूरी है।

गीतिका कपूर, मनोवैज्ञानिक सलाहकार


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.