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गहरी-लंबी दोस्ती है शादी: टिस्का चोपड़ा-संजय

'तारे जमीं पर', 'हैदराबाद ब्लूज 2', 'माया बाजार', 'फिराक', 'रहस्य' और 'किस्सा' जैसी फिल्मों में कई भूमिकाएं निभाने वाली टिस्का चोपड़ा छोटे और बड़े पर्दे का प्रख्यात नाम हैं। इनके हमसफर संजय चोपड़ा एयर इंडिया में पायलट होने के साथ ही लेखक भी हैं। इनकी शादी को 17 साल हो

By Edited By: Published: Thu, 26 Feb 2015 12:08 AM (IST)Updated: Thu, 26 Feb 2015 12:08 AM (IST)
गहरी-लंबी दोस्ती है शादी: टिस्का चोपड़ा-संजय
'तारे जमीं पर', 'हैदराबाद ब्लूज 2', 'माया बाजार', 'फिराक', 'रहस्य' और 'किस्सा' जैसी फिल्मों में कई भूमिकाएं निभाने वाली टिस्का चोपडा छोटे और बडे पर्दे का प्रख्यात नाम हैं। इनके हमसफर संजय चोपडा एयर इंडिया में पायलट होने के साथ ही लेखक भी हैं। इनकी शादी को 17 साल हो चुके हैं। दोस्ती, सहजता और समझदारी है इनके वैवाहिक जीवन की सफलता का राज। मिलते हैं इस दंपती से।

अभिनय में सक्रिय टिस्का चोपडा को बॉलीवुड से जुडे दो दशक से भी ज्यादा समय हो चुका है। कई फिल्मों में इनके अभिनय की सराहना हुई। टिस्का की शादी एयर इंडिया में पायलट संजय चोपडा से हुई। उनकी किताब 'ऐक्टिंग स्मार्ट पिछले साल प्रकाशित हुई थी, जबकि संजय की दो किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं।

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शादी की सफलता का राज

संजय : शादी के ये 17 साल कैसे बीत गए, पता ही नहीं चला। इसका राज हमारी कंपैनियनशिप ही है। हम अच्छे दोस्त हैं, ख्ाुल कर एक-दूसरे से विचार साझा करते हैं। एक-दूसरे की भावनाओं की कद्र है हमें, साथ ही दोनों के काम और जिम्मेदारियों का एहसास भी है। मेरे ख्ायाल से दोस्ती हो या शादी, आपसी विश्वास और प्यार जरूरी है। अपने विचारों को दूसरों पर थोपें नहीं तो आप भी ख्ाुश रहेंगे और दूसरा भी।

टिस्का : हम दोनों ही शांत मिजाज वाले हैं। हमने एक-दूसरे को दिल से स्वीकार किया है। हमारे रिश्ते में शर्तें नहीं हैं। दरअसल हम एक-दूसरे के साथ बहुत कम वक्त बिता पाते हैं। महीने के 15 दिन संजय फ्लाइट पर व्यस्त रहते हैं और मैं शूटिंग्स में। मगर हम एक-दूसरे के मन की बात बिना कहे समझ जाते हैं। जब भी वक्त मिलता है, एक-दूसरे के साथ एंजॉय करते हैं।

पहली मुलाकात

संजय : मैं मुंबई के एयर इंडिया हॉस्टल में था। बगल में ही एयर होस्टेस हॉस्टल भी था। टिस्का की दोस्त रहती थीं वहां। हम तीन-चार पायलट हॉस्टल छोड कर किराये पर फ्लैट लेना चाहते थे। टिस्का की दोस्त को भी फ्लैट चाहिए था। हम उसी एरिया में फ्लैट देख रहे थे, जहां टिस्का रहती थीं। शाम के पांच बज गए थे फ्लैट की तलाश में। तभी टिस्का की दोस्त ने कहा कि उनकी ऐक्टर दोस्त इसी इलाके में रहती है, क्यों न चल कर वहां चाय पी जाए। यही थी हमारी पहली मुलाकात। पहली नजर में ही टिस्का से मैं प्रभावित हो गया। दिल में घंटी सी बजी। उनके लुक्स, बातचीत का लहजा और दुनिया के प्रति उनके नजरिये ने मुझे प्रभावित किया। फिर फोन से बातचीत शुरू हुई, मुलाकातें हुईं और हम दोस्त बन गए। मैंने 20 साल पहले शौकिया तौर पर मॉडलिंग की थी। मगर ऐक्टिंग के बारे में कभी नहीं सोचा।

टिस्का : जी, तब मैं मुंबई में एक सिंगल बेडरूम और किचन वाले फ्लैट में अकेले रहती थी। पहली बार संजय घर आए तो चाय के दो-तीन दौर चले। बातचीत में पता चला कि हम दोनों नॉर्थ इंडिया के हैं और हमारा बैकग्राउंड भी काफी मिलता-जुलता था। हमारी दोस्ती का पता पेरेंट्स को चला तो उन्होंने शादी के लिए दबाव डालना शुरू कर दिया। हमारी योजना 1-2 साल बाद शादी करने की थी। मगर हम उसी साल, यानी 19 दिसंबर 1997 को शादी के बंधन में बंध गए। तब मेरा करियर उतार-चढाव भरा था। कई बार लगता था कि ग्ालत प्रोफेशन में आ गई। संजय ने मुझे थिएटर करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि तुम अभिनेत्री हो, जो भी काम मिले-करो, यह मत सोचो कि अमुक काम ही करना है। मैंने वही किया।

वक्त को लेकर झगडे

टिस्का : हमारे पास समय नहीं होता, यही सबसे बडा रोना है। दो साल की बेटी भी है तो और ज्यादा झगडा होता है। हमारा प्रोफेशन बहुत समय मांगता है। हर चीज प्लान करनी होती है हमें। संजय दिल के बहुत साफ हैं। जो दिल में होता है, बोल देते हैं। नीरस माहौल को भी ख्ाुशनुमा बना देते हैं।

संजय : नोक-झोंक तो हर मियां-बीवी में होती है। रिश्तों में मिठास इसी से आती है। मैं छोटी-छोटी बातों को नजरअंदाज करता हूं। टिस्का भी प्यार व स्नेह से भरपूर हैं। सपने में भी किसी को चोट नहीं पहुंचा सकतीं।

प्रोफेशन अलग-पसंद एक

संजय : हमारे काम अलग-अलग हैं मगर पसंद एक सी है। हम दोनों क्रिएटिव हैं। मैं लिखने-पढऩे का शौकीन हूं। टिस्का मुझे प्रोत्साहित करती हैं। हमें संगीत का शौक है, हालांकि मुझे वाद्य संगीत ज्यादा पसंद है।

टिस्का : संजय रोमैंटिक हैं, मैं प्रैक्टिकल। वह समय के पाबंद हैं, मैं नहीं। शायद अलग इंडस्ट्री की वजह से ऐसा है। हमें फिल्म देखने और पढऩे का शौक है। अलग-अलग जगहों पर घूमने और वहां की संस्कृति से रूबरू होने का भी शौक है हमें। हालांकि पिछले डेढ साल से हम बाहर नहीं जा पाए हैं। हमारी मजबूती व कमजोरियां अलग-अलग हैं, इसी वजह से सही संतुलन बना हुआ है।

शादी का अर्थ

टिस्का : पति-पत्नी साइकिल के दो पहिये हैं। आगे कौन है और पीछे कौन, यह महत्वपूर्ण नहीं है। जरूरी यह है कि दोनों मिलकर सफर तय कर रहे हैं। शादी कॉन्ट्रैक्ट है ताउम्र साथ चलने का। हर रिश्ते में उतार-चढाव आते हैं, इनसे फर्क नहीं पडता।

संजय : शादी लंबी-गहरी दोस्ती है, जिसे निभाना दोनों की जिम्मेदारी है। यह साझेदारी, धैर्य और जीवन की दुश्वारियों से जूझना सिखाती है। हम ख्ाुद को समझ पाते हैं।

शादी के बाद बदलाव

टिस्का : शादी के बाद अपेक्षाएं बढ जाती हैं। शादी भी एक पॉइंट पर आकर अटकती है, फिर वहां से उसका विस्तार शुरू होता है। हम एक-दूसरे के प्रति ईमानदार और साफ हैं। हमारे जीवन में कभी स्वार्थी रिश्ता नहीं रहा। रिश्ते आपकी परछाई हैं। अब लडकियां आत्मनिर्भर हैं, उनके पास विकल्प हैं। उन्हें लगता है, कोई रिश्ता नहीं चल रहा है तो आगे बढ जाएं। लडकों को भी समझना चाहिए कि लडकी घर-बाहर की जिम्मेदारियां अकेले नहीं संभाल सकतीं। जिंदगी में संतुलन बिठाना आना चाहिए

संजय : शादी के बाद बदलाव आता है। हर उतार-चढाव के बाद भी रिश्ता बरकरार है तो वह मजबूत है। लोग कहते हैं कि शादी के बाद आटे-दाल का भाव पता चलता है। यही तो परीक्षा है रिश्तों की। परफेक्ट कोई नहीं होता। दो लोग मिल कर अपनी जिंदगी को ख्ाूबसूरत बनाते हैं। दूसरे की कमियों को देखने के बजाय उसकी खूबियों को बढाएं।

भूलती नहीं कुछ यादें

संजय : हमें यात्राएं पसंद हैं। एक बार हम टोक्यो से माउंट फूजी गए थे। तापमान माइनस 20 डिग्री था। हम कोट-जैकेट ले गए थे। एक जगह बस रुकी तो हम उतरे। वहां भीषण बर्फबारी हो रही थी। हमें लगा कि रास्ता भटक गए हैं। दो घंटे तक हम परेशान रहे। जब बर्फ गिरनी बंद हुई तो देखा कि बस से हम महज 15 मीटर की दूरी पर थे। बस बर्फ से ढक चुकी थी। कई अन्य लोग भी भटक गए थे। ऐसे ही एक बार हम रोम में थे। वहां हमें बडे शातिर लोग मिले। एक लडका बोला कि क्या हमें 50 डॉलर में कैमरा चाहिए? मैंने देखा कि कैमरा वाकई अच्छा और सस्ता था तो पैसे दे दिए। उसने कैमरा डिब्बे में पैक किया। मैं एक्साइटेड होकर टिस्का को कैमरा दिखाने पहुंचा। डिब्बा खोला तो नमक के पैकेट निकले।

सफलता-विफलता

टिस्का : सफलता और विफलता फैसले लेने की क्षमता विकसित करती है। कुछ लोग विफलता से घबराते हैं तो कुछ साहस से इसका सामना करते हैं। सफलता-विफलता में एक समान रहना जरूरी है। यह करियर में ही नहीं देखी जाती, रिश्तों के स्तर पर भी महत्वपूर्ण है।

संजय : हमारे पास कई विकल्प होते हैं। सही समय पर सही विकल्प चुनने से ही सफलता मिलती है। इसे समझ लें तो सफल रहेंगे। सफलता दृष्टिकोण पर निर्भर करती है।

रचनात्मकता भरा साथ

टिस्का : अभी मैं और संजय मिलकर एक स्क्रिप्ट पर काम कर रहे हैं। फिल्म बनाने की योजना है। संजय तीसरी किताब लिख रहे हैं। उम्मीद है कि इस साल आ जाएगी। सीमित एपिसोड वाले टेली सिरीज बनाने की योजना है, मगर प्रोडक्शन हाउस खोलने की कोई योजना नहीं है।

शादी के कुछ मंत्र

टिस्का-संजय : हमारा मानना है कि जीवनसाथी का चुनाव करते समय उसके मूल्यों और कंपैनियनशिप के बारे में उसके विचारों को समझना जरूरी है। दोस्ती का भाव नहीं है तो पार्टनरशिप भी नहीं होगी। हर किसी के साथ हम हर बात शेयर नहीं कर सकते, कोई ख्ाास ही होता है, जिसके साथ सब कुछ शेयर करना चाहते हैं। जो भावनाओं को समझे, उनकी केयर करे, वही सही जीवनसाथी होता है।

स्मिता श्रीवास्तव


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