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बारिश की उस शाम ने लव स्टोरी बना दी: मानव गोहिल-श्वेता क्वात्रा

ग्लैमर की दुनिया में शोहरत है तो कड़ी प्रतिस्पर्धा भी। पर्दे की जिंदगी और असल जीवन में कई बार सामंजस्य बिठाना मुश्किल होता है। यही वजह है कि रिश्तों में अलगाव की ख़्ाबरें अकसर सुनाई देती हैं। मगर इसी चमचमाती दुनिया में कई जोड़े ऐसे भी हैं, जो अपने रिश्तों

By Edited By: Published: Thu, 23 Apr 2015 12:13 AM (IST)Updated: Thu, 23 Apr 2015 12:13 AM (IST)
बारिश की उस शाम ने लव स्टोरी बना दी: मानव गोहिल-श्वेता क्वात्रा

ग्लैमर की दुनिया में शोहरत है तो कडी प्रतिस्पर्धा भी। पर्दे की जिंदगी और असल जीवन में कई बार सामंजस्य बिठाना मुश्किल होता है। यही वजह है कि रिश्तों में अलगाव की ख्ाबरें अकसर सुनाई देती हैं। मगर इसी चमचमाती दुनिया में कई जोडे ऐसे भी हैं, जो अपने रिश्तों को ख्ाूबसूरती से निभा रहे हैं। ऐसे ही दंपती हैं मानव गोहिल और श्वेता क्वात्रा। अपने रिश्ते के बारे में क्या ख्ायालात हैं इनके, जानें इनसे।

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टीवी के चर्चित कलाकार हैं मानव गोहिल और श्वेता क्वात्रा। श्वेता मानव से करियर के मामले में सीनियर हैं। दोनों की मुलाकात धारावाहिक 'कहानी घर-घर की के सेट पर हुई। मानव अभी सब टीवी के 'यम हैं हम धारावाहिक में यम की दमदार भूमिका में नजर आ रहे हैं। इस जोडे की नन्ही सी बेटी है जारा। इनकी लव स्टोरी कैसे शुरू हुई और जारा के आने के बाद क्या-क्या बदलाव आए जिंदगी में, जानते हैं इनसे।

कैसे हुई मुलाकात?

मानव : धारावाहिक 'कहानी घर-घर की के सेट पर पहली बार मिले थे हम। दोस्ती हुई, जो धीरे-धीरे प्यार में बदली। पूरा िकस्सा श्वेता सुनाएंगी। शादी के लिए तो मैंने ही प्रपोज किया था काफी फॉर्मल ढंग से। श्वेता दिल्ली की आधुनिक लडकी हैं और मैंने पत्नी के रूप में पारंपरिक छवि वाली लडकी की कल्पना की थी, जिसमें श्वेता फिट नहीं बैठती थीं। इसलिए मेरे प्रपोजल पर उन्हें आश्चर्य भी हुआ।

श्वेता : मैं शुरू से स्वतंत्र मिजाज की लडकी रही हूं। मॉडलिंग करना चाहती थी। इसीलिए दिल्ली से मुंबई आई। वर्ष 1998 में 'फेमिना लुक ऑफ दि ईयर प्रतियोगिता में भाग लिया। यहीं से पहला ब्रेक मिला। धीरे-धीरे टीवी की दुनिया में शिफ्ट हुई। साथ काम करने के दौरान मानव और मेरे बीच अच्छी अंडरस्टैंडिंग बन गई थी। जल्दी ही हम बहुत अच्छे दोस्त बन गए।

दोस्ती लव स्टोरी में कैसे बदली?

श्वेता : हमारी लव स्टोरी काफी रोमैंटिक है। बरसात की एक शाम थी। इतना ख्ाुशनुमा मौसम हो तो मैं घर में बैठ ही नहीं सकती, मौज-मस्ती करना चाहती हूं। पंजाबी हूं और दिल को जो अच्छा लगता है-वही करती हूं। मानव थोडा सीरियस िकस्म के हैं। मैंने तुरंत मानव को कॉल किया और मूवी चलने की जिद की। बारिश के मौसम में बाइक पर घूमने से मजेदार क्या हो सकता है! मैं जितनी क्रेजी थी, उतना ही मानव चिंतित थे कि कहीं बारिश तेज हो गई तो...! मैंने उन्हें समझाया कि कुछ नहीं होगा, भीग जाएंगे बस...। मानव शरमाते-सकुचाते से आए। हम बाइक से चंदन थिएटर की तरफ गए, तय किया कि 'लगान देखेंगे। रास्ते में ही मूसलाधार हो गया। हम बुरी तरह भीग गए। थिएटर पहुंचने तक इतनी सर्दी लगने लगी कि मैं कांपने लगी। फिर सोचा कि कुछ ड्रिंक वगैरह लें तो कुछ गर्मी आए। मेरी बात पर मानव सोच में पड गए। ख्ौर, हमने एकाध पैग लिया और फिर थिएटर में घुसे। मूवी शुरू हुई तो मुझे महसूस हुआ कि मानव को थोडा चढ गई है। जब-जब आमिर ख्ाान के बल्ले से चौके-छक्के लगते, मानव सीट पर उछलने लगते। लोग हमारी तरफ देखते तो मैं असहज हो जाती। मगर बरसात की उस शाम ने हमारी लव स्टोरी बना दी।

शादी और बच्ची होने के बाद जिंदगी में बदलाव आया?

मानव : शादी के बाद तो नहीं, मगर बेटी जारा के आने के बाद हमारी जिम्मेदारियां बढ गईं। अब हमारे सारे फैसले जारा के इर्द-गिर्द घूमते हैं। उसके ही हिसाब से सोना-जागना, घूमना-फिरना सब होता है। मैंने देखा कि मां बनने के बाद श्वेता बहुत ही चुस्त हो गई हैं, मगर बेटी को लेकर वह बहुत पजेसिव हैं। बेटी के मामले में उनका धैर्य टूट जाता है। उसे लेकर थोडा ज्य़ादा ही चिंतित रहती हैं।

श्वेता : बेटी के आने के बाद हमारी जिंदगी बहुत बदल गई। हम पहले से ज्य़ादा ख्ाुश रहते हैं। हालांकि हमारी दोस्ती में कोई बदलाव नहीं आया है। हम आज भी उतना ही प्यार करते हैं, जितना पहले करते थे। लेकिन अब जारा हमारी जिंदगी का हिस्सा है तो हमारा प्यार उससे भी बंट गया है। पेरेंट्स बनने के बाद हमारी आपसी समझ बढी है।

एक ही फील्ड में होने के कारण काम का दबाव एक सा होता है। घर की जिम्मेदारियां कैसे संभालते हैं?

मानव : श्वेता की पहली प्राथमिकता जारा है। बच्ची होने के बाद उन्होंने काम भी कम कर दिया है। मैं आउटडोर शूटिंग्स पर होता हूं तो वही घर और जारा की जिम्मेदारियां संभालती हैं।

श्वेता : बेटी मेरी पहली प्राथमिकता है। हममें से कोई भी इतना काम नहीं करता कि घर के लिए समय कम पडे। सबसे अच्छी बात यह है कि हम हमेशा एक-दूसरे के संपर्क में रहते हैं। जब भी दोनों को समय मिलता है, एक-दूसरे को कॉल या मेसेज करना नहीं भूलते। शाम को बेटी के सोने के बाद हम एक-दूसरे के साथ क्वॉलिटी टाइम बिताते हैं। पूरे दिन के बारे में बात करते हैं, घर-परिवार की कोई जिम्मेदारी या समस्या होती है तो उस पर बात करते हैं।

बहस या नोक-झोंक होती है? ग्ाुस्सा किसे ज्य़ादा आता है?

मानव : हर पति-पत्नी की तरह हमारे बीच भी नोक-झोंक होती है। ग्ाुस्सा श्वेता ज्य़ादा करती हैं और बहुत छोटी-छोटी बातों पर उन्हें ग्ाुस्सा आता है। किसी मुद्दे पर दोनों की राय अलग हो तो बहस हो जाती है, लेकिन यह देर तक नहीं टिकती, जल्दी ही झगडा सुलझ जाता है।

श्वेता : झगडा तो हम नहीं करते, लेकिन हां, बहस होती है। कई बार एक-दूसरे से असहमति होती है। मगर अब हम लडते नहीं हैं। जब से बौद्ध दर्शन को स्वीकार किया है, हमारे जीवन में शांति आ गई है। वक्त के साथ हम परिपक्व भी होते हैं, इसलिए रिश्तों में थोडी स्थिरता भी आ जाती है। इसलिए झगडे की गुंजाइश कम हो गई है।

तोहफा देते हैं एक-दूसरे को? कोई यादगार उपहार....

मानव : हां, बिलकुल हमें एक-दूसरे को टेक्नोलॉजी गिफ्ट करना बहुत अच्छा लगता है। मैरिज एनिवर्सरी पर मैंने श्वेता को कार दी।

श्वेता : जारा के रूप में दुनिया का सबसे अनमोल तोहफा मानव ने मेरी झोली में डाला है। इसके आगे सारे उपहार छोटे हैं। जारा मेरे लिए सबसे यादगार और बेशकीमती उपहार है।

दांपत्य जीवन की सफलता किन बातों पर निर्भर करती है?

मानव : शादी पति-पत्नी को परिपक्व बनाने और विकास करने का अवसर देती है। यह व्यक्ति को जिम्मेदार बनाती है, लेकिन कई बार इसमें मी टाइम निकालना मुश्किल होता है। मेरा मानना है कि जब भी यह लगे कि शादी की गाडी ग्ालत ट्रैक पर जा रही है, तुरंत मुडें और सोचें कि कहां गडबड है और उसे ठीक करने की कोशिश करें।

श्वेता : शादी हमें बेहतर इंसान बनाती है और संबंधों का सही अर्थ समझाती है। शादी में न तो व्यक्तित्व खोएं, न दूसरे पर ज्य़ादा निर्भर रहें। शादी सिर्फ एडजस्टमेंट नहीं है। यदि हम इसे समझौता मानने लगें तो भविष्य में समस्याएं होंगी। सुखी दांपत्य के लिए समझौता जरूरी शर्त नहीं है। दूसरे की समस्याओं को समझने, संवाद करने, एक-दूसरे के सुख-दुख को शेयर करने से रिश्ता ज्य़ादा मजबूत हो सकता है।

ग्लैमर की दुनिया में शादियां बहुत टूटती हैं। इसकी क्या वजह हो सकती है?

मानव : मैं आपकी बात से कुछ हद तक सहमत हूं। इस दुनिया में इतना दबाव और परेशानियां हैं कि कई बार लोग उनके आगे घुटने टेक देते हैं। जो ऐसा करते हैं, उनके रिश्तों में समस्याएं आने लगती हैं।

श्वेता : अब लडकियां इतनी बोल्ड हैं कि कुछ भी ग्ालत होने पर साहस से उसका सामना करती हैं। तलाक बहुत मुश्किल फैसला होता है किसी के लिए भी, जब तक वाजिब वजह न हो, कोई इतना कडा निर्णय नहीं लेता। स्त्री होने के नाते मैं महसूस करती हूं कि कोई भी स्त्री अब्यूसिव रिलेशनशिप में नहीं रह सकती। यदि रोज अपमान, मार-पीट और गालीगलौज हो तो इसे कैसे झेला जा सकता है? इसमें माफ करने या भूलने जैसा उपदेश नहीं दिया जा सकता। ऐसी स्थिति में तो कडा कदम उठाना ही होगा। मुझे लगता है, अभी जितनी भी शादियां टूट रही हैं, उनमें ज्य़ादातर अब्यूसिव रिलेशनशिप ही है।

युवाओं को रिश्तों के कुछ टिप्स देना चाहेंगे?

मानव : कोई भी रिश्ता परफेक्ट नहीं होता। जैसे-जैसे रिश्ता आगे बढता है, परिपक्वता आती है, साथ-साथ चुनौतियों का सामना करने की क्षमता विकसित होती है। हर रिश्ते में थोडा धैर्य जरूरी है।

श्वेता : संवाद किसी भी रिश्ते की बुनियाद है। इसलिए समस्याओं को लेकर खुल कर बात करें। मन में सुलझाने की इच्छा है तो परेशानी सुलझ जाएगी। मंशा साफ रखें, स्थिति को सुलझाएं-उसे उलझाएं नहीं।

एक-दूसरे के किन गुणों ने आकर्षित किया?

मानव : श्वेता बहुत मजबूत लडकी हैं। इन्हें अपनी सीमाएं पता हैं। ये बहुत केयरिंग और समझदार हैं। इन्होंने हर स्थिति में मेरा साथ दिया और यही वे गुण थे, जो मुझे इनके करीब लाए।

श्वेता : मानव भावनात्मक रूप से बहुत स्थिर इंसान हैं। वह कभी भी अपना आपा नहीं खोते, न कठिन स्थितियों में धैर्य खोते हैं। वह बहुत शांत और विनम्र हैं। लोगों के साथ उनका व्यवहार भी बहुत उदारता वाला होता है। इस ख्ाासियत ने मुझे इनकी ओर आकर्षित किया।

इंदिरा राठौर


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