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परीकथा सी थी हमारी शादी: जूही परमार-सचिन

टीवी शो 'कुमकुमÓ से चर्चित हुई जूही परमार को लोग आज भी कुमकुम के नाम से जानते हैं। वे बिग बॉस सीज़्ान पांच की विजेता रह चुकी हैैं। इनके हमसफर हैं सचिन श्रॉफ। वह भी टीवी शो 'सात फेरे', 'सिंदूर तेरे नाम का' के ज़्ारिये शोहरत हासिल कर चुके हैं।

By Edited By: Published: Sat, 30 Jan 2016 02:28 PM (IST)Updated: Sat, 30 Jan 2016 02:28 PM (IST)
परीकथा सी थी हमारी शादी: जूही परमार-सचिन

टीवी शो 'कुमकुम' से चर्चित हुई जूही परमार को लोग आज भी कुमकुम के नाम से जानते हैं। वे बिग बॉस सीज्ान पांच की विजेता रह चुकी हैैं। इनके हमसफर हैं सचिन श्रॉफ। वह भी टीवी शो 'सात फेरे', 'सिंदूर तेरे नाम का' के ज्ारिये शोहरत हासिल कर चुके हैं। अलग आदतों और स्वभाव वाले जूही और सचिन कैसे गृहस्थी की गाडी को संतुलित ढंग से चला रहे हैं, जानते हैं उनसे।

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टीवी सीरियल्स में अकसर नज्ार आने वाले जूही परमार और सचिन की शादी को सात साल से ज्य़ादा हो गए हैं। सचिन शांत स्वभाव वाले इंसान हैं तो जूही बातूनी और चंचल। सचिन को लगता है कि जूही ने उनके जीवन में रंग और रस घोला है। इनकी सतरंगी दुनिया कैसी है, जानते हैं इनसे ही।

सात वचनों से बंधी है शादी

सचिन : शादी में दो इंसान मिलकर ज्िांदगी को ख्ाूबसूरत बनाते हैैं। उतार-चढाव हर किसी के जीवन में आते हैं। एक-दूसरे को ख्ाुश रखना ज्ारूरी है। यूं तो ज्िांदगी तीन अक्षरों से मिल कर बना शब्द है, मगर इनमें ढेर सारे रंग हैं। सुख-दुख दोनों में साथ निभाना ही शादी है। जीवनसाथी हमारी ख्ाुशियों को दुगना करता है और तकलीफ को समेट देता है।

जूही : शादी एक ज्िाम्मेदारी है। शादी में हम सात फेरे लेते हैं, एक-दूसरे से वादा करते हैं। उन सातों वचनों को हर मोड पर निभाना होता है। सात फेरों के समय किए गए वादों को सच्चे मन से निभाना ही शादी है। मेरा मानना है कि सात सरगम की तरह शादी भी सात वचनों से बंधी है।

सच्चाई भा गई

जूही: हमारी पहली मुलाकात एक शूटिंग के दौरान हुई थी। सात साल तक दोस्ती रही। फिर एक दिन इन्होंने मेरे सामने शादी का प्रस्ताव रखा और मैंने भी हां कह दिया। इसके पांच महीने बाद हमारी शादी हो गई। मेरे लिए रिश्ते का मतलब ही शादी है। लडके हमेशा रिश्तों को लेकर डरे रहते हैैं। वे आठ से दस साल तक अफेयर रखते हैैं। शादी के नाम पर उन्हें झिझक होने लगती है। सचिन ने मेरे सामने सीधे शादी का प्रस्ताव रखा। मुझे इनकी अदा भा गई। मुझे लगा कि वे आज के लडकों जैसे नहीं हैं। रिश्तों को अहमियत देने वाले इंसान हैैं, पारिवारिक हैैं। हमने अपने परिवारों में इस बारे में बात की। सब तैयार हो गए। हमारी शादी हो गई।

सचिन : हां, शुरुआत तो वहीं से हुई थी। सेट पर जूही से पहली बार मिला। उसके बाद भी मुलाकातें हुईं। मुझे उनका स्वभाव पसंद था। मैं शांत स्वभाव का इंसान हूं। जूही चुलबुली हैं। उनकी यही ख्ाूबी मुझे पसंद आई। मुझे लगा कि मेरे जीवन की हर कमी को ये पूरा कर सकती हैैं।

शादी का शाही अंदाज्ा

जूही : हमारी शादी को सात साल हो गए हैैं। अब तक के सफर की सबसे ख्ाास याद हमारी शादी ही है। जयपुर की टॉप पचास शादियों में से एक है हमारी शादी। शाही ठाठ-बाट के साथ हुई शादी किसी राजमहल की शादी से कम नहीं थी। अब सोचती हूं तो मुझे किसी परीकथा सा लगता है सब कुछ। सच कहूं तो अब लगता है कि शादी में इतना पैसा ख्ार्च करना बर्बादी है। बाद में तो सिर्फ यादें रह जाती हैैं। ख्ौर, मुझे शौक था। मेरा सपना था, जिसे मेरे माता-पिता ने पूरा किया। हमारे दोस्त आज भी मेरी शादी को याद करते हैैं। कहते हैं, ऐसी शादी कहीं नहीं देखी।

सचिन : जूही से पूरी तरह सहमत हूं। सच में हमारी शादी शानदार थी। हमने राजसी अंदाज्ा से शादी की। मेरे लिए तो वह पिक्चर परफेक्ट शादी थी।

रूठना-मनाना तो चलता है

जूही : जिस शादी में लडाई न हो, वो शादी कैसी! हमारी भी लडाइयां होती हैैं। मैैं इनसे कभी-कभार नाराज्ा हो जाती हूं। तीन दिन बाद ही सही, सचिन मुझे मनाते हैैं। सचिन की यही ख्ाूबी है, जो अब धीरे-धीरे खोने लगी है। अब ये मुझे नहीं मनाते, मैं ख्ाुद ही मान जाती हूं। मेरी बुरी आदत यह है कि मुझे सब कुछ याद रहता है। सारी बातें सिरे से याद रहती हैं। मेरी आंख के सामने फिल्म की रील चलती है। मेरा दिमाग्ा कंप्यूटर की तरह है। सचिन को पहले तो कुछ याद नहीं रहता, फिर अपनी बात को सही साबित करने के लिए वह झूठ भी बोलते हैं। यही बुराई है, जो मुझे पसंद नहीं है। मुझे झूठ से सरासर नफरत है। शायद सारे पति ऐसे ही होते हैैं।

सचिन : जूही की कंप्यूटर जैसी याददाश्त का फायदा भी है-नुकसान भी। इनकी तेज्ा मेमरी से मुझे मदद मिलती है। साथ ही ये सबका बहुत ध्यान रखती है, जो अच्छी बात है। बुरी बात यह है कि ग्ालती होने पर लगातार माफी मांगती हैैं। मैैं जूही की माफी से परेशान हो जाता हूं। वैसे यही बात है, जो हमें एक दूसरे के करीब बनाए रखती है।

बेटी है जान हमारी

जूही : बेटी के पैदा होने के बाद हम ज्य़ादा करीब आए हैैं। हम अब पहले बेटी की ख्ाुशियों के बारे में सोचते हैैं। हर फैसला साथ में करते हैैं। बच्चे के आने से शादी एक स्तर आगे बढ जाती है। हमारे लिए बेटी से बढ कर कुछ भी नहीं है। बच्चा माता-पिता के रिश्ते को मज्ाबूत करता है। ऐसा माना जाता है कि बेटी पिता के करीब होती है। मेरी बेटी ने इसे ग्ालत ठहराया है। समायरा मां की बेटी है। उसकी हर आदत मेरी जैसी है। सिर्फ खाने के मामले में वह अपने पिता की तरह है। उसे मीठा और फल खाना पसंद है।

सचिन : जूही समायरा के लिए चिंतित रहती हैैं। बेटी को ज्ारा सी चोट लग जाए तो रोने लगती हैं। मां की तरह समायरा भी मिनी कंप्यूटर है। उसे भी हर चीज्ा याद रहती है।

परफेक्ट कोई नहीं होता

सचिन : अब रिश्तों में गंभीरता नहीं बची। पहले टूटे रिश्तों को जोडऩे की कोशिश होती थी। अब रिश्तों को ही फेेंक दिया जाता है। वैसे हम परफेक्ट नहीं हैं, कोई हो भी नहीं सकता। सबके अनुभव भी अलग होते हैं। मेरी एक दोस्त की हाल ही में शादी हुई थी। मगर शादी टूट गई। उसके घर वाले उसे मारते-पीटते थे....। सबके हालात अलग होते हैं, इसलिए शादी के स्तर पर किसी को सलाह नहीं दी जा सकती। हम उनकी जगह पर नहीं हैं तो उनकी तकलीफ समझ भी नहीं सकते।

जूही : मैं भी यही सोचती हूं कि कोई कपल परफेक्ट नहीं होता। कुछ लोग रिश्तों के प्रति गंभीर होते हैं तो कुछ नहीं होते। मेरा मानना है कि रिश्तों में लापरवाही नहीं होनी चाहिए। उसे मन से निभाया जाना चाहिए। उतार-चढाव में समझदारी से निर्णय लेना चाहिए। वक्त से पहले हार नहीं माननी चाहिए। जिस तरह बीमारी का इलाज किया जाता है, उसी तरह शादी की समस्याएं भी सुलझाई जानी चाहिए।

सोच तो बदलती रहती है

सचिन : इंसान की सोच बदलती है। जो बातें हमें 15-20 साल पहले बुरी लगती हैं, बाद में ठीक लगने लगती हैं। जैसे मैं पहले एल्कोहॉल लेने वालों को बुरा समझता था, अब ख्ाुद पार्टीज्ा में जाता हूं तो थोडा-बहुत लेता हूं। मुझे लगता है, नई स्थितियों के हिसाब से ढलना भी चाहिए।

जूही : हर चीज्ा को नहीं अपनाया जा सकता। मैैं लिव इन को प्रमोट नहीं करती। हम ऐसे परिवार से हैं, जहां इसका समर्थन नहीं किया जाता। कुछ लोग इसे सही मानते हैं। हर किसी की सोच अलग होती है।

भरोसा ज्ारूरी है

जूही : मैैं बिलकुल आईने की तरह हूं। मैैं न झूठ बोलती हूं-न झूठ सुनना पसंद करती हूं। सफल शादी के लिए विश्वास ज्ारूरी है। जब विश्वास झूठ में बदल जाता है तो प्यार, रिश्ता, दोस्ती सब ख्ात्म होने लगता है। एक सच्चे रिश्ते के लिए दोस्ती ज्ारूरी है। हमारी शुरुआत दोस्ती से ही हुई है। हम किसी भी विषय पर बिना झिझके बात कर सकते हैं। सिर्फ पति-पत्नी का रिश्ता होने पर परदा आ जाता है। खुल कर बात करने में झिझक भी होती है। सचिन से मैैं किसी भी विषय पर बात कर सकती हूं। देखिए, मेरा मानना है कि जैसे किसी गाडी को चलाने के लिए चार टायरों की ज्ारूरत होती है, उसी तरह शादी को सफल बनाने के लिए चार चीज्ों होनी ज्ारूरी हैं- विश्वास, प्यार, दोस्ती और सम्मान। इनके बिना शादी की गाडी लडख़डाती रहेगी। एक-दूसरे से सच बोलना चाहिए। अपनी ग्ालती स्वीकार करनी चाहिए। कहीं और से पता चलने पर अधिक दुख होता है।

सचिन : मेरे लिए विश्वास की परिभाषा अलग है। पार्टनर को हर बात बताई जाए, यह ज्ारूरी नहीं। जो बातें आवश्यक नहीं हैं, उन्हें बताने का कोई फायदा नहीं। कई बार छिपाने के पीछे ख्ाास वजहें होती हैं। अपने रिश्ते की बात करूं तो जूही आईने की तरह हैैं। मैैं अपनी दुनिया में रहने वाला इंसान हूं, कम बोलना पसंद करता हूं। रिश्ते में प्यार होता है तो एक-दूसरे के प्रति चिंता भी होती है। मैं जब जूही के प्रति चिंता व्यक्त नहीं करता तो वह नाराज्ा हो जाती हैैं।

प्राची दीक्षित


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