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कामयाबी निरंतर चलने वाली यात्रा है: विनीता जैन

सेहत और सौंदर्य की चाह ने इंसान को हमेशा नई खोजों के लिए प्रेरित किया है। हज़्ाारों साल पुरानी आयुर्वेदिक थेरेपीज़्ा को स्विस टेक्नोलॉजी से जोड़ा है बायोटिक की चेयरपर्सन विनीता जैन ने, जो आज एक सफल एंटरप्रेन्योर हैं। सखी की संपादक प्रगति गुप्ता के साथ एक ख़्ाास मुलाकात में

By Edited By: Published: Thu, 24 Sep 2015 04:17 PM (IST)Updated: Thu, 24 Sep 2015 04:17 PM (IST)
कामयाबी निरंतर चलने वाली यात्रा है: विनीता जैन

सेहत और सौंदर्य की चाह ने इंसान को हमेशा नई खोजों के लिए प्रेरित किया है। हज्ाारों साल पुरानी आयुर्वेदिक थेरेपीज्ा को स्विस टेक्नोलॉजी से जोडा है बायोटिक की चेयरपर्सन विनीता जैन ने, जो आज एक सफल एंटरप्रेन्योर हैं। सखी की संपादक प्रगति गुप्ता के साथ एक ख्ाास मुलाकात में उन्होंने बांटे इस लंबे और रोमांचक सफर के अनुभव।

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सफलता स्त्री-पुरुष में भेदभाव नहीं करती। जो भी करें, उसे जज्बे और समर्पण से करें तो कामयाबी ज्ारूर मिलती है, यह कहना है बायोटिक की चेयरपर्सन विनीता जैन का। प्रकृति में छिपे सेहत व सौंदर्य के अद्भुत खज्ााने को ढूंढने की कोशिश की है विनीता जैन ने। वह इस सफलता का श्रेय अपनी मां को देती हैं। गीता के निष्काम कर्मयोग को मानने वाली सहज-सौम्य विनीता जैन से उनके घर पर हुई एक ख्ाास मुलाकात, जिसमें उन्होंने कामयाबी की इस लंबी यात्रा के अनुभव बांटे।

विनीता जी, इस कॉलम में हम आपकी सफलता की यात्रा के बारे में बात करना चाहते हैं। यह यात्रा कैसे और कहां से शुरू हुई? आपके सपने क्या थे? किस तरह की चुनौतियां थीं?

मेरा जन्म कोलकाता में हुआ। मेरे ग्रैंडफादर के आसाम और दार्जिलिंग में टी गार्र्डंस थे। वहां बचपन बीता। वहीं मौका मिला आयुर्वेद पढऩे का। वहां ऋषि-मुनि थे, जो गुफाओं में रहते थे। हमारा परिवार उनकी देखभाल करता था। वे आयुर्वेद, योग और ध्यान के मास्टर थे। मैंने संस्कृत में आयुर्वेद पढा। चरक संहिता, सुश्रुत संहिता पढी, योग और ध्यान सीखा। फिर 20 की उम्र में मेरी शादी हुई और मैं दिल्ली आ गई। यहां से ग्रेजुएशन के बाद मैं एमबीए की पढाई के लिए स्टैन्फर्ड गई। स्विट्ज्ारलैंड से स्विस बायोटेक्नोलॉजी पढी। हेल्थ और ब्यूटी के लिए आयुर्वेद को स्विस बायोटेक्नोलॉजी के साथ कंबाइन किया। मैंने ईस्ट-वेस्ट की श्रेष्ठ पद्धतियों को मिला कर नया विज्ञान पैदा किया। इस तरह 1992 में बायोटिक की स्थापना की...।

हज्ाारों साल पुराने आयुर्वेद को आज की ज्ारूरतों से कैसे जोडा आपने?

इस पर हमने काफी सोचा कि आयुर्वेद को कैसे 21वीं सदी में लाया जा सकता है। इस शास्त्र में हेल्थ और ब्यूटी के बारे में विधिपूर्वक बताया गया है। आयुर्वेद का अर्थ है- जीवन का विज्ञान। इसमें स्वास्थ्य और सौंदर्य को लंबे समय तक बनाए रखने का ज्ञान है। यह बहुत प्राचीन पद्धति है, तब से साइंस बहुत आगे बढ चुकी थी। इसे आधुनिक बनाने के लिए हमने इसमें स्विस बायोटेक्नोलॉजी को मिलाया। आज बायोटिक एक ब्रैंड है। पांच साल पहले हमने 'बायो वेलनेस और 'वेदा लाइफ डिपार्टमेंट शुरू किया। वुमन एंटरप्रेन्योरशिप को बढावा देने के लिए 'वेदा लाइफ की शुरुआत हुई। मकसद था कि स्त्रियों को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाया जाए। तभी वे अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा और मूल्य दे सकेेंगी। हमने कई योजनाएं शुरू की हैं। वे दस हज्ाार रुपये से बिज्ानेस शुरू कर सकती हैं। आज हमारी कंपनी का टर्नओवर एक बिलियन डॉलर है। मैं चाहती हूं कि लोग जानें कि हर स्त्री एंटरप्रेन्योर हो सकती है। उसके पास जितना भी समय हो, उसमें काम कर सकती है...।

लेकिन इस आत्मनिर्भरता के लिए परिवार का सहयोग भी ज्ारूरी है....

बिलकुल, परिवार के सपोर्ट के बिना तो कुछ भी नहीं हो सकता। परिवार पहली प्राथमिकता है। लेकिन कुछ करना हो तो रास्ते निकल आते हैं। हर स्त्री जानती है कि घर-बाहर के बीच बैलेंस कैसे बिठाए।

और अगर हम पूछें कि विनीता जी यह बैलेंस कैसे बिठाती हैंं?

मेरे दो बच्चे हैं। छोटे थे तो मैंने भी उनकी देखभाल की, उनकी पढाई पर ध्यान दिया। परिवार के लोग काम के प्रति आपका समर्पण, लगन और मेहनत देखते हैं तो वे सहयोग ज्ारूर देते हैं। एक स्त्री जब बिज्ानेस में आगे बढती है तो दूसरों को भी रोज्ागार देती है। इससे देश की इकोनॉमी बढती है।

स्त्री होने के नाते मुश्किलें आई? ख्ाासतौर पर परंपरागत परिवारों में स्त्री कैसे अपनी जगह बना सकती है?

मैंने हमेशा परिवार को समय दिया। मैं मानती हूं कि घर-बाहर की दुनिया एक साथ संभाली जा सकती है। अपनी बात प्यार से समझाने की कला आनी चाहिए। आप सही काम कर रहे हैं, यही समझाने की ज्ारूरत है। स्त्री होने के नाते घरेलू ज्िाम्मेदारियों को नज्ारअंदाज्ा नहीं कर सकते। बच्चे भी जब देखते हैं कि उनकी मां सही उद्देश्य के लिए काम कर रही है तो वे भी सहयोग देते हैं।

एक छोटे से पौधे को सींच कर आपने इतना बडा किया, आपके पति जब यह देखते हैं तो उन्हें फख्र होता होगा?

बिलकुल....इस कंपनी को पूरी तरह मैंने बनाया है और इसे प्रोफेशनल ढंग से चलाया है। मैं ही इसकी चेयरपर्सन हूं और सारे बडे निर्णय मेरे ही टेबल पर लिए जाते हैं।

इतनी ज्िाम्मेदारियों के बीच अपने लिए समय निकाल पाती हैं? कभी ऐसा तो नहीं लगा कि ख्ाुद को भूल बैठी हैं?

मुझे कभी नहीं लगा कि मैंने ख्ाुद को खोया है। मेरे पास काफी समय है। योग व ध्यान करती हूं। पढऩे का शौक है। बच्चों के साथ यात्राएं करती हूं। हर काम के लिए समय निकाला जा सकता है। जब जिस काम को करें, उस पर फोकस करें। यह नहीं कि ध्यान कहीं है और काम कहीं कर रहे हैं। काम अच्छी तरह करें तो मंज्िाल मिल ही जाती है।

आपके इस जज्बे का प्रभाव आपके बच्चों पर भी पडा है?

मेरे दो बच्चे हैं। एक बेटा-एक बेटी। यही कहती हूं कि ज्िांदगी में कुछ करना ज्ारूरी है। पढाई करो, कुछ भी करो, लेकिन अपना लक्ष्य बनाओ। वे जो चाहें-कर सकते हैं। मेरी शादी बिज्ानेस फेमिली में हुई। चैरिटी करती या बिज्ानेस। मैंने कंपनी शुरू की, क्योंकि इससे मैं दूसरों को रोज्ागार दे सकती थी। आज मेरी कंपनी में पांच हज्ाार लोग हैं। इनमें कुछ बहुत बडी सैलरी वाले हैं। हमारे प्रोडक्ट्स दुनिया भर में बिकते हैं। हर व्यक्ति को अपने जुनून के लिए काम करना चाहिए।

बोर्डरूम में स्त्री की भूमिका को लेकर आप क्या सोचती हैं?

मुझे लगता है कि बोर्डरूम में स्त्रियों की भूमिका बढऩी चाहिए। इसमें खानापूर्ति नहीं हो। अभी बोर्डरूम में कम स्त्रियां हैं। अच्छा है कि सरकार इसे लेकर जागरूक हुई है।

आप इतनी बडी टीम के साथ काम कर रही हैं। स्त्री होने के नाते कोई मुश्किल तो नहीं हुई?

कभी नहीं। मुझे लगता है कि स्त्री सब कुछ कर सकती है। लेकिन वह जिस भी फील्ड में हो, उसकी पूरी नॉलेज होनी चाहिए। अपने काम के प्रति समर्पित होना ज्ारूरी है। कोई भी विद्वान बन कर नहीं पैदा होता। लगातार प्रयासों और मेहनत से योग्यता हासिल की जा सकती है।

आपने एक मुकाम हासिल किया है, क्या आप चाहेंगी कि आपकी बेटी भी ऐसा ही मुकाम हासिल करे?

बच्चों पर मैंने कभी दबाव नहीं डाला। उनका जो मन हो, जो भी पैशन हो, वह करें। हां, उन्हें सही करने को ज्ारूर प्रेरित करती हूं और चाहती हूं कि जो भी करें, उसे मेहनत से करें।

हेल्थ और ब्यूटी में बायोटिक प्रोडक्ट्स कितने कारगर हैं?

हम हिमालय से हब्र्स इकट्ठा करके फैक्टरी में लाते हैं। स्पेशल एडवांस स्विस कोल्ड एक्स्ट्रैक्शन प्रोसेस से हब्र्स की क्वॉलिटी बढाते हैं। स्किन शरीर का सबसे महत्वपूर्ण और बडा हिस्सा है। इस पर जो भी लगाएं, उसकी क्वॉलिटी अच्छी होनी चाहिए। जिस तरह डाइट का ख्ायाल रखते हैं, वैसे ही स्किन का भी रखना चाहिए। हम स्विस टेक्नोलॉजी की मदद से अपने प्रोडक्ट्स को क्वॉलिटी दे पाते हैं। बायोटिक में फेयरनेस, एंटी एजिंग, हेयरफॉल, एक्ने, डैंड्रफ जैसे सारे ट्रीटमेंट हैं। अपनी प्रॉब्लम के हिसाब से इन्हें इस्तेमाल करें तो उम्र को पीछे ले जा सकते हैं। हर बच्चा अच्छी स्किन लेकर पैदा होता है, लेकिन देखभाल में कमी और ग्ालत प्रोडक्ट्स से त्वचा ख्ाराब हो जाती है। हमारे प्रोडक्ट्स समस्या तो सुलझाते हैं, लंबे समय तक इनके इस्तेमाल के कई लाभ भी हैं।

मार्केट में आज इतने हर्बल प्रोडक्ट्स हैं, टफ कंपिटीशन है। अपने प्रोडक्ट्स को ख्ाास बनाने के लिए पैकेजिंग, क्वॉलिटी और मार्केटिंग स्कीम्स में आपकी क्या भूमिका रहती है?

बायोटिक प्रोफेशनल कंपनी है। हिमाचल में इसकी फैक्टरी है और आर एंड डी सुविधाएं स्विट्ज्ारलैंड में हैं। मैं प्रोडक्ट क्वॉलिटी को लेकर सतर्क रहती हूं। हमारे अलग-अलग डिपार्टमेंट हैं, जो प्रोडक्ट को हर स्तर पर जांचते-परखते हैं। हमारे पास आयुर्वेद के डॉक्टर्स, डर्मटोलॉजिस्ट्स और साइंटिस्ट्स के अलावा बेहतरीन प्रोफेशनल्स की टीम है।

प्रोडक्ट कंट्रोल कैसे मैनेज करते हैं?

लोगों को ट्रेनिंग देते हैं। हमारे प्रोड्क्ट्स पैक्ड और सीलबंद होते हैं। आज कई होटल्स में ये प्रोडक्ट्स इस्तेमाल किए जा रहे हैं। रिसर्च के बाद ही हम किसी चीज्ा को अपनाते हैं। बायोटिक में हमेशा प्रोफेशनल कल्चर रहा है। हमारे प्रोडक्ट्स रूस, यूएस, ऑस्ट्रेलिया और यूरोप के कई हिस्सों में जाते हैं।

क्या कभी कोई अकादमी शुरू करेंगी?

भविष्य में ऐसा हो सकता है। अभी हम दो हज्ाार लडकियों को ट्रेनिंग दे रहे हैं। दसवीं पास लडकियां सेल, रिटेल जैसी ट्रेनिंग ले रही हैं, ताकि अपना करियर बना सकें।

कामयाबी का श्रेय किसे देना चाहेंगी?

मां को। उन्होंने मेरा हौसला बढाया। मेरे माता-पिता ने मुझे आगे बढऩे को प्रेरित किया। मुझे लगता है कामयाबी कभी पूरी नहीं होती। संतुष्टि मिलती है, लेकिन एक सपना पूरा होते ही दूसरा सपना शुरू हो जाता है। कामयाबी मंज्िाल नहीं, यात्रा है।

तो अब आपकी अगली मंज्िाल क्या है?

हेल्थ और ब्यूटी के लिए नए प्रोडक्ट्स बनाना। जीवन में सुंदरता को बनाए रखना ही हमारा मकसद और रिसर्च है।

जीवन और बिज्ानेस के उतार-चढावों में कैसे संतुलित रहा जा सकता है?

हिम्मत न हारें। सवेरे से पहले अंधेरा रहता है। कठिनाइयां सबके जीवन में आती हैं। इनका सामना कैसे करें, यही सीखने की ज्ारूरत है। समस्या है तो उसका समाधान भी है। हर व्यक्ति में अपनी समस्याओं से लडऩे का हुनर है। मैं गीता के निष्काम कर्मयोग के दर्शन को मानती हूं। कर्म करें, फल की चिंता छोड दें, मेरा जीवन दर्शन यही है।

कामयाबी के पांच सूत्र

1. अध्ययन ज्ारूरी है। स्कूल-कॉलेज की पढाई पर ध्यान दें, भविष्य के बारे में सोचें। अपनी जडें मज्ाबूत करें, तभी कुछ हासिल होगा।

2. जो भी काम करें, उसे पूरे मन, लगन, एकाग्रता, समर्पण और जज्बे के साथ करें।

3. मुश्किलों में घबराएं नहीं, हर रात के बाद सुबह आती है।

4. हर समस्या का समाधान है। व्यक्ति में हुनर हो तो उसे सफलता ज्ारूर मिलती है।

5. कर्म करें, फल की चिंता छोड दें। मेहनत का फल मीठा होता है।

विनीता जैन के ब्यूटी मंत्र

बायोटिक की चेयरपर्सन ख्ाुद अपनी ब्यूटी को कैसे मेंटेन रखती हैं, यह जानना दिलचस्प और ज्ारूरी है। विनीता जैन शेयर कर रही हैं अपनी ख्ाूबसूरती के राज्ा।

सुबह आमंड ऑयल क्लींजर और हनी जैल से चेहरे की सफाई और डैंडलियन (एजलेस लाइटनिंग सीरम) लगाती हूं। इसके बाद त्वचा को मुलायम रखने के लिए मॉर्निंग नेक्टर (फ्लॉलेस स्किन लोशन) का इस्तेमाल करती हूं। शाम को घर लौटने के बाद भी यही क्रिया दोहराती हूं।

वीक्ली फेशियल

मैं हर हफ्ते होम फेशियल करती हूं। आमंड ऑयल क्लींज्ार और पपाया एक्सफोलिएटिंग फेस वॉश से चेहरे की सफाई के बाद वॉलनट प्यूरीफाइंग एंड पॉलिशिंग स्क्रब से स्किन की डीप स्क्रबिंग करती हूं। फिर क्विंस सीड नरिशिंग फेस मसाज क्रीम से चेहरे की हलके हाथों से मसाज के बाद मड यूथफुल फर्मिंग एंड रीवाइटलाइजिंग फेस पैक लगाती हूं। अंत में मॉर्निंग नेक्टर का इस्तेमाल करती हूं।

हेयर केयर के लिए भृंगराज ऑयल से सिर की मसाज करती हूं और कैल्प प्रोटीन शैंपू का इस्तेमाल करती हूं। बेसिल और पार्सले रीवाइटलाइजिंग बॉडी सोप भी मेरे लिए जरूरी है।

सखी की संपादक प्रगति गुप्ता


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