प्यार बिना क्या जीना
कॉमेडी से लेकर ऐक्शन तक सभी तरह के रोल में अपना लोहा मनवा चुके अक्षय कुमार अपनी सा़फगोई के साथ-साथ शिष्टता के लिए भी जाने जाते हैं। अक्षय से फिल्मों के इतर कुछ सवाल।
1. आप अभी जहां हैं, उसे मेहनत मानते हैं या किस्मत?
दोनों को मानता हूं। यही सच भी है, क्योंकि एक की पहल पर ही दूसरा विचार करता है।
2. अभिनय में नहीं होते तो कहां होते?
मैं पहले वेटर और कुक था। मैंने मार्शल आर्ट भी सीखी, फिर लोगों को सिखाता था, तो इनमें से ही किसी को अपनाता।
3. करियर का टर्निग प्वॉइंट?
करियर का टर्निग प्वॉइंट तो मुझे नहीं मालूम, क्योंकि करियर ठीक चलता रहा है। हां, जिंदगी के टर्निग प्वॉइंट की बात हो तो वेटरिंग से अभिनय की दुनिया में आना टर्निग प्वॉइंट साबित हुआ और इसका श्रेय मैं ऊपर वाले को देता हूं।
4. क्या बचपन से ही अभिनय के प्रति आकर्षित थे?
था तो, लेकिन यह सब आसान नहीं होता। मैंने पहले ही कहा कि इसमें मेहनत के साथ-साथ किस्मत की भी भूमिका होती है। मैं अभिनेता बन गया और लोगों ने मुझे पसंद किया तो यह मेरा नसीब है।
5. क्या आप अंधविश्वासी हैं?
नहीं, लेकिन मैं इस तरह के या ऐसी किसी बात पर सोच-समझकर फैसला लेता हूं।
6. आपको धर्म में विश्वास है?
बिलकुल है, इस बारे में गलत धारणा कभी नहीं पालता।
7. कभी ईश्वर को लेकर मन में बुरे या नेगेटिव भाव आए?
हम इंसान हैं और इंसान की फितरत है, अपने साथ गलत होने पर आहत होना, तो कभी ऐसा हुआ होगा, लेकिन मुझे याद नहीं। मैं ऐसा कभी सोच भी नहीं सकता।
8. सफलता के लिए क्या जरूरी है?
हम कई बातों को इसके लिए अहम मानते हैं। आप पहले ईमानदार बनें। ईमानदार होंगे तो हार्डवर्क करेंगे। दूसरे से अनुभव हासिल करें। सीखना बहुत जरूरी है। अच्छे-बुरे का ज्ञान भी हो, दूसरों का दिल जीतें। इन चीजों से ही आपको सफलता मिलती है।
9. आपकी नजर में जिंदगी क्या है?
जिंदगी एक ऐसा सफर है, जिसको जीते हुए हम हर दौर से गुजरते हैं, मगर खुश रहकर और हंसते रहना सही मायने में जिंदगी है।
10. और प्यार?
प्यार सही में जिंदगी है। इसके बिना क्या जीना.?.
11. आप सपने देखते हैं?
सपने तो जिंदगी को आगे ले जाने की सीढी हैं। इसे सभी देखते हैं।
12. आपकी सफलता का राज?
वही, जो पहले बताया है और मेरी किस्मत।
13. खुद को कैसे रोल में फिट पाते हैं?
जैसा कि लोग जानते हैं, मैं ऐक्शन रोल में अधिक पसंद किया जाता हूं, पर एक जैसी भूमिका लगातार नहीं कर सकता। बाकी जो रोल मिलते हैं, उनमें से अच्छा देखकर चुन लेता हूं।
14. कभी ऐसा हुआ जब गलत लगा हो?
जब में थाइलैंड में था। मामा ने साफ कहा था कि वेटर का काम करना होगा। उस दौरान मुझे काफी जिल्लत सहनी पडती थी। लेकिन अनुभव हर इंसान इसी तरह पाता है। अब मैं उन दिनों के सबक से खुश हूं।
15. पहली और सच्ची खुशी कब मिली?
जब अभिनय की दुनिया में आया। मेरी पहली तीन फिल्में सौंगध, दीदार और मिस्टर बॉण्ड बुरी तरह पिट गई। इनके बाद खिलाडी आई, जो हिट हुई। मुझे सबसे बडी खुशी तभी मिली थी। खिलाडी मुझे लोग आज भी कहते हैं। मैं भी इस नाम से खुश हूं। इसी फिल्म के प्रीमियर पर मैं अमित जी से पहली बार मिला था।
रतन
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