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ये प्यार का बंधन है

प्यार भले ही एक छोटा सा शब्द हो लेकिन इसके मायने गहरे हैं । प्यार में एक साथी को जब दूसरे के कंधे की जरूरत होती है तो वह हर बाधा को तोड़ उसके साथ खड़ा नजर आता है।

By Edited By: Published: Wed, 10 Aug 2016 02:29 PM (IST)Updated: Wed, 10 Aug 2016 02:29 PM (IST)
ये प्यार का बंधन है
अभिनेता इनामुल हक देश के प्रतिष्ठित नाट्य संस्थान एनएसडी से पासआउट हैं। वह मुंबई में वर्षों से लेखन और अभिनय में सक्रिय हैं। 'कॉमेडी सर्कस'और अन्य सिटकॉम की भी पटकथा लिखते रहे हैं। हाल में फिल्म 'एयरलिफ्ट' में इराकी सैन्य अधिकारी की भूमिका में उन्हें काफी सराहना मिली। इनामुल और उनकी हमसफर शिब्ली अनवर उत्तर प्रदेश के सहारनपुर से ताल्लुक रखते हैं। दोनों की प्रेम कहानी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। तकरार, इंकार और रूठने-मनाने के बाद उनका रिश्ता परवान चढा। अब दोनों की शादी को आठ साल होने को हैं। उन्हें एक बेटा इवान भी है। निजी और पेशेवर संघर्ष के बाद अब हक परिवार खुशहाल जिंदगी जी रहा है। पहली मुलाकात शिब्ली अनवर : हम लोग मूल रूप से सहारनपुर से ताल्लुक रखते हैं। हमारी मुलाकात इंडियन पापुलर थिएटर एसोसिएशन (इप्टा) में हुई थी। मेरे पापा इप्टा के प्रेसिडेंट थे। जब मैंने वहां जॉइन किया, यह पहले से वहां कार्यरत थे। उस समय इनामुल किसी और लडकी से मुहब्बत करते थे। दिलचस्प बात यह है कि इनके लवलेटर्स लिखने में मैं इनकी मदद करती थी। आखिर में उसने इंकार कर दिया। ये डिप्रेशन से घिर गए। उस वक्त मैंने बतौर दोस्त इनका साथ दिया। मुझे पता था कि यह एकतरफा प्यार है। फिर इन्होंने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा जॉइन कर लिया और दिल्ली चले गए। इनामुल हक : दिल्ली आने पर मैं उस लडकी के बजाय शिब्ली को मिस करने लगा। तब मुझे एहसास हुआ कि जिसे मैं प्यार समझ रहा था, असल में वह महज अट्रैक्शन था। वह कच्ची उम्र का फैसला था। बहरहाल, शिब्ली ने सिर्फ दोस्त बनने की बात कही थी। शुरुआत में मैंने उनकी बात मान ली थी। जैसे-जैसे समय बीता, मुझे लगा कि हम सिर्फ दोस्त नहीं रह सकते। मैंने इन्हें अपने इश्क में गिरफ्तार करने की ठान ली थी। आखिर में इन्हें भी इसका एहसास हुआ। शादी में लगे तीन साल इनामुल हक : हम दोनों एक ही जाति और धर्म से थे। मेरे परिवार वालों को कोई समस्या नहीं थी बल्कि उन्हें संतुष्टि थी कि लडकी और उसका परिवार संभ्रांत हैं। इनकी मम्मी को लव मैरिज पर एतराज था। इनकी मम्मी को मनाने में तीन साल लग गए। हालांकि, इनके पापा बडे कूल थे। मैंने उन्हें बता दिया था कि मैं शिब्ली से प्यार करता हूं। उन्हें इस रिश्ते से कोई एतराज नहीं था। हमारी शादी वर्ष 2008 में हुई। शिब्ली अनवर : दरअसल, हम जिस जगह से ताल्लुक रखते हैं, वहां पर लव मैरिज को आसानी से स्वीकृति नहीं मिलती है लेकिन मैं इस बात को लेकर सुनिश्चित थी कि एक दिन मम्मी मान जाएंगी और ऐसा ही हुआ। मैंने मम्मी से स्पष्ट कहा था कि अगर आप शादी के लिए रजामंद होंगी तभी मैं शादी करूंगी। मैं भले शादी न करूं लेकिन उनके फैसले के खिलाफ नहीं जाऊंगी। शादी के बाद का बदलाव इनामुल हक : मंगनी के समय मैं पंकज पराशर के यहां काम करता था। मेरी तनख्वाह 15 हजार रुपये महीना थी। मैं बतौर लेखक काम करता था। शादी से पहले की जिंदगी और शादी के बाद में बडा अंतर होता है। मैं हमेशा से मानता हूं कि बदलाव प्रकृति का नियम है और इसी के आधार पर हमारे नजरिये बदलते रहने चाहिए। शिब्ली अनवर : हम दोनों एक-दूसरे को बेहद अच्छे से जानते हैं। हमारे बीच अच्छी अंडरस्टैंडिंग है। हर सुख-दुख में ये मेरे साथ रहे। किसी समस्या पर महज एक फोन कॉल की दूरी पर रहते थे। पैसे की किल्लत या करियर की सफलता हमारे रिश्ते में कभी अडचन नहीं बनी। इवान ने बदली जिंदगी शिब्ली अनवर : मेरी प्रेग्नेंसी कॉम्प्लिकेटेड थी। मैंने सुना था कि डिलिवरी के बाद डिप्रेशन की समस्या आती है। डिलिवरी के बाद मुझे भी उससे जूझना पडा। मैं वाकई छोटी-छोटी बातों पर डर जाती थी। बडा मुश्किल होता था ऐसे में खुद को संभालना। तब समझ नहीं आया कि हॉर्मोनल बदलाव के कारण ऐसा हुआ। इनामुल हक : मैं हरदम इनके साथ घर पर ही था। मुझे इनमें ये बदलाव समझ ही नहीं आया। मुझे बस इतना लगता था कि ये चिडचिडी हो गई हैं। मैं कोई भी बात करने से पहले सोचता था कि करूं या नहीं क्योंकि क्या पता कौन सी बात का बतंगड बन जाए। अब मैं समझ गया हूं कि ऐसा हॉर्मोनल बदलाव के कारण होता था। दूसरी डिलिवरी के समय मैं इस बारे में ध्यान रखूंगा। एक-दूसरे को देते हैं आजादी शिब्ली अनवर : इन्होंने मुझे बाहर काम करने से कभी भी नहीं रोका। ये तो मुझे किचन में काम करने से भी मना करते हैं। कहते हैं कि अपने समय का सदुपयोग करो लेकिन मुझे खाना बनाना अच्छा लगता है। अभी इवान छोटा है और ऐसे में उसे छोडकर बाहर जाना मुझे कभी ठीक नहीं लगा। वैसे भी ऐसा करने से हम दोनों का ही शेड्यूल खराब हो जाता। इनामुल हक : हम दोनों बच्चे के साथ ज्य़ादा से ज्य़ादा समय बिताने की कोशिश करते हैं और ऐसा हो पाने के लिए शिब्ली का अहम योगदान है। शादी की सफलता का राज इनामुल हक : मुझे घरेलू काम करने में झिझक नहीं होती। मैं पोछा अच्छा लगाता हूं। अगर घर में रहता हूं और बाई छुट्टी पर होती है तो मैं ही घर में पोछा लगाता हूं। इसे मैं ऐसे देखता हूं कि जिम में जाकर एक घंटे वर्कआउट करने से अच्छा है कि घर में खाली बैठा हूं तो क्यों न घर का काम कर लूं। बहरहाल, हमारे बीच झगडे आम मियां-बीवी की तरह मामूली बातों पर होते हैं। खास बात यह है कि शिब्ली बिलकुल डिमांडिंग नहीं हैं। मैं जिस प्रकार से अपने करियर को लेकर चल रहा हूं, वह कांटों की सेज है। मैं बहुत चूजी हूं। उसमें बहुत बार त्याग भी करना पडता है। कई बार आर्थिक तंगी से भी जूझना पडा है। मगर शिब्ली ने उफ तक नहीं की। यह मेरे लिए बहुत बडा सपोर्ट है। अगर यह डिमांडिंग होतीं तो मेरे करियर का यह ग्राफ नहीं होता। मुझे न चाहते हुए कुछ बेकार फिल्में करनी पडतीं। उससे मेरा करियर प्रभावित हो सकता था। शिब्ली अनवर : इन्हें साफ-सफाई बहुत पसंद है। अगर बाई नहीं आती तो यही घर के सारे काम निपटा देते हैं। वैसे भी ये बेहद केयरिंग हैं। रोजा के दिनों में मुझे सिर्फ डिनर बनाना होता है। बाकी जिम्मेदारी ये बखूबी संभाल लेते हैं। स्मिता श्रीवास्तव

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