अच्छा काम मेरा पैशन है: मंजरी फडनीस
मासूम चेहरे और अपने उम्दा अभिनय से मंजरी ने लाखों दिलों में एक खास जगह बनाई है। फिल्म हिट हो या नहीं, उनके काम को नोटिस जरूर किया जाता है। उनके करियर पर एक नजर।
मासूम चेहरे और अपने उम्दा अभिनय से मंजरी ने लाखों दिलों में एक खास जगह बनाई है। फिल्म हिट हो या नहीं, उनके काम को नोटिस जरूर किया जाता है। उनके करियर पर एक नजर।
डस्ट्री में करीब दस साल पुरानी मंजरी फडनीस ने हिंदी के साथ साउथ की फिल्मों में भी काम किया है। उनकी पहली फिल्म 'रोक सको तो रोक लो थी। हालांकि फिल्म कोई खास कमाल नहीं दिखा पाई। फिर मंजरी ने राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त बंगाली फिल्म 'फालतू में काम किया। इसके बाद आई 'मुंबई सालसा, जो चली नहीं। फिर 'जाने तू या जाने ना में मेघना की भूमिका में अपने खूबसूरत और भावपूर्ण अभिनय से दर्शकों का ध्यान खींचा। साथ-साथ साउथ की फिल्में भी कीं। पिछले साल रिलीज उनकी फिल्म 'ग्रैंड मस्ती 100 करोड क्लब की फिल्म बनी। वहीं 'वार्निंग को दर्शकों ने नकार दिया। जल्दी ही वह फिल्म 'वाह ताज में नजर आएंगी।
भाषा सीखने की शौकीन
मंजरी कहती हैं, 'मुझे अलग-अलग भाषाएं सीखने में मजा आता है। तेलुगु व तमिल फिल्मों की शूटिंग से तीन-चार दिन पहले ही मैं डायलॉग मांग लेती हूं ताकि उसकी तैयारी कर सकूं। मैं पूरी तरह इन भाषाओं को नहीं बोल पाती हंू, लेकिन डायलॉग का मतलब समझ लेती हूं। साथ ही उच्चारण पर भी काम करती हूं। इससे डायलॉग बोलने में परेशानी नहीं होती और किरदार पर ध्यान भी केंद्रित कर पाती हूं। हालांकि क्षेत्रीय भाषाओं को सीखना थोडा कठिन और चैलेंजिंग होता है। पर लैंग्वेंज सीखना मेरा पैशन है। िफलहाल मैं फ्रेंच भाषा सीख रही हूं। इसके लिए मैंने क्लासेज ज्वॉइन कर रखी हैं। यह सब किसी फिल्म में काम करने के लिए नहीं, बल्कि अपने शौकके लिए कर रही हूं।
करना पडा है संघर्ष
मेरा कोई फिल्मी बैकग्राउंड नहीं है। मेरे पिता सेना में थे। इंडस्ट्री से बाहर से आने वालों को संघर्ष करना ही पडता है। यहां तक पहुंचने के लिए मुझे भी संघर्ष करना पडा। मेरी तरह नॉन फिल्मी ग्राउंड के लोगों की अगर पहली फिल्म नहीं चलती है तो दूसरा मौका मिलना ज्य़ादा मुश्किल हो जाता है। ईश्वर की कृपा से मुझे अच्छे मौके मिले। खुशकिस्मत हूं कि मैंने इंडस्ट्री की बडी शख्सीयतों के साथ काम किया है। मैंने जितनी भी हिंदी फिल्मों में काम किया वे एक-दूसरे से बेहद जुदा थीं। मैं अलग-अलग जोनर की फिल्में करना चाहती हूं।
अच्छा काम करूंगी
मैंने फैसला कर रखा है कि सिर्फ अच्छा काम करूंगी। मेरी फिल्म 'जोकोमन में एक डायलॉग था, 'मन में है विश्वास तो डर है बकवास यह काफी प्रेरणादायक है। मैं इसमें यकीन भी रखती हूं। मेरा करियर जिस गति से बढ रहा है, उससे खुश हूं। इंडस्ट्री में दस साल के अनुभव से बहुत सीखा है। हाल में मैंने अब्बास मस्तान की फिल्म साइन की है। यह कॉमेडी फिल्म है। इसमें चार हीरोइन हैं। इनमें से एक मैं हूं। मल्टीस्टारर फिल्म होने से मेरा किरदार छोटा होगा इन बातों की मैं परवाह नहीं करती। मुझे अपना काम करने में मजा आता है। किरदार छोटा या बडा होना मेरे लिए मायने नहीं रखता। वह फिल्म में कितनी अहमियत रखता है यह महत्वपूर्ण है।
स्मिता श्रीवास्तव