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बेटी मेरी ताकत है: करिश्मा कपूर

करिश्मा कपूर ने दो दशक लंबे फिल्मी करियर में 50 से अधिक फिल्में करते हुए खुद को एक कामयाब ऐक्ट्रेस के रूप में स्थापित किया। न सिर्फउन्होंने अपने अभिनय से दर्शकों को लुभाया, बल्कि एक अच्छी मां के रूप में भी मिसाल कायम की। छह साल तक बॉलीवुड से दूरी बनाए रखने के बाद उन्होंने डैंजरस इश्क से वापसी की। आज उनके पास फिल्में भले ही न हों, लेकिन ब्रैंड एंडोर्समेंट में जरूर सक्रिय हैं। आइए उनके करियर और निजी जीवन पर सखी के साथ डालते हैं एक नजर।

By Edited By: Published: Fri, 06 Jun 2014 02:11 PM (IST)Updated: Fri, 06 Jun 2014 02:11 PM (IST)
बेटी मेरी ताकत है: करिश्मा कपूर

नब्बे की दशक की सबसे हॉट और हिट कही जाने वाली करिश्मा कपूर आज भी उतनी ही मेंटेन और खूबसूरत नजर आती हैं। वह आज भी पहले की तरह ऐक्टिव और क्रिएटिव हैं। साथ ही अपनी फिटनेस पर ध्यान भी देती हैं। लोग उन्हें लोलो के नाम से भी जानते हैं। उन्होंने फिल्म प्रेम कै दी से बीटाउन में प्रवेश किया और उसके बाद कई हिट फिल्में दीं। 2003 में शादी के बाद उन्होंने कुछ समय के लिए फिल्मों से ब्रेक लिया। उनका फिलहाल कोई फिल्म न करने का इरादा नहीं है, लेकिन भविष्य में इस योजना पर काम करने से इनकार भी नहीं है।

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हीरोइन सेंट्रिक किरदार

तू हवा है, फिजा है, जमी की नहीं, तू घटा है तो फिर क्यों बरसती नहीं, उडती रहती है तू पंछियों की तरह .. जी हां फिल्म फिजा के इस गाने से ही पता चल जाता है कि करिश्मा ने बाद के करियर में ज्यादातर महिला केंद्रित फिल्में कीं। उन्होंने पुरुष केंद्रित फिल्मी परंपरा को तोडते हुए शक्ति, फिजा और जुबैदा जैसी फिल्मों में अपने अभिनय का लोहा मनवाया। निजी तौर पर भी करिश्मा एक स्ट्रॉन्ग वूमन और मां हैं। वह यंग मदर्स के लिए मिसाल हैं। वह कहती हैं कि हमारी मां ने हम दो बहनों को कभी भाई की कमी महसूस नहीं होने दी। हमें शुरू से ही इतना मजबूत बनाया गया कि जीवन की किसी भी परीक्षा या कसौटी पर हम खरे उतरेंगे।

बेटी मेरी ताकत

गर्ल चाइल्ड पर जोर देते हुए वह कहती हैं कि लडकियों के बिना कोई भविष्य ही नहीं। बेटी समायरा मेरी ताकत है। मेरे लिए बेटा-बेटी में कोई भेद नहीं। समायरा व कियान दोनों बराबर हैं। यह हर मां पर निर्भर करता है कि वह बच्चों की परवरिश कैसे करती है। बेटियों को शुरू से ही स्ट्रॉन्ग बनाना जरूरी है। यंग मदर्स सोचती हैं कि बेटियों को संभालना और अतिरिक्त सुरक्षा देना जरूरी है, जबकि ऐसा सोचना गलत है। उन्हें आत्मनिर्भर बनने दें। किसी बात का भय उनके मन में बैठने न दें। बराबरी का दर्जा दें। यह दर्जा लडकियों को खुद भी लेना आना चाहिए। इसके लिए जरूरी है खुद पर भरोसा और खुद से प्यार।

आज भी हैं सक्रिय

पारिवारिक परेशानियों को झेलते हुए करिश्मा के चेहरे और फिगर पर कोई फर्क नहीं पडा। वह आज भी अपने दोनों बच्चों की परवरिश में खुशी-खुशी व्यस्त हैं और कुछ समय पहले उन्होंने फिटनेस को लेकर एक किताब भी लिखी थी। इस किताब का नाम था माई यम्मी मम्मी गाइड। इस किताब में पोस्ट प्रेग्नेंसी वजन को नियंत्रित करने की बात लिखी गई थी। ऐसा उन्होंने अपने अनुभव से लिखा था। तभी तो वो आज भी पहले जैसी ही फिट और हॉट नजर आती हैं।

इला श्रीवास्तव


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