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ऐक्टिंग में पैशन जरूरी : सौम्या टंडन

वर्ष 2007 में आई फिल्म 'जब वी मेट' में ठेठ पंजाबी लड़की की भूमिका में दिखी सौम्या टंडन छोटे पर्दे का चर्चित चेहरा हैं। एंड टीवी के कॉमेडी शो 'भाभी जी घर पर हैं' में वह एक मॉडर्न स्त्री का किरदार निभा रही हैं। सौम्या से एक बातचीत।

By Edited By: Published: Thu, 21 Jan 2016 04:41 PM (IST)Updated: Thu, 21 Jan 2016 04:41 PM (IST)
ऐक्टिंग में पैशन जरूरी : सौम्या टंडन

वर्ष 2007 में आई फिल्म 'जब वी मेट में ठेठ पंजाबी लडकी की भूमिका में दिखी सौम्या टंडन छोटे पर्दे का चर्चित चेहरा हैं। एंड टीवी के कॉमेडी शो 'भाभी जी घर पर हैं में वह एक मॉडर्न स्त्री का किरदार निभा रही हैं। सौम्या से एक बातचीत।

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साफ उच्चारण, मीठी आवाज्ा और विनम्र स्वभाव वाली सौम्या टंडन नैचरल ऐक्टर हैं। टीवी के पहले रीअलिटी डांस शो 'डांस इंडिया डांस के तीनों सीज्ान होस्ट करने वाली सौम्या को इंडियन टेलीविज्ान का बेस्ट एंकरिंग अवॉर्ड मिल चुका है। अभी वह कई सीरियल्स और कमर्शियल्स में काम कर रही हैं। कॉमेडी सीरियल 'भाभी जी घर पर हैं में वह अनीता मिश्रा की भूमिका में है।

मिस कानपुर अनीता मिश्रा जैसा किरदार निभाने का अनुभव कैसा रहा?

कोई भी शो स्क्रिप्ट, डायरेक्शन और ऐक्टिंग के बलबूते हिट होता है। इस सीरियल में मैं एक मॉडर्न स्त्री की भूमिका में हूं, जो ग्रूमिंग क्लासेज्ा चलाती है। इसमें ऐक्टिंग करनी ही नहीं है। आम स्त्रियां घर पर पति से जिस तरह बात करती हैं, वैसे ही बोलना है। टीवी पर अभी तक स्त्रियों की स्टीरियोटाइप्ड छवि दिखती रही है, जबकि मेरे इस रोल में कई लेयर्स हैं। इसीलिए दर्शक इसे पसंद कर रहे हैं। इसके लिए मैं डायरेक्टर शशांक बाली को धन्यवाद देना चाहती हूं।

पिछले 10 वर्षों में कितना चेंज दिखता है आपको छोटे पर्दे पर?

बचपन में हम श्याम बेनेगल जैसे डायरेक्टर्स के सीरियल्स देखते थे। ऐतिहासिक चरित्रों और साहित्यिक कृतियों पर धारावाहिक बनते थे। आज रघुवीर यादव, रजत कपूर, नसीरुद्दीन शाह जैसे ऐक्टर्स टीवी पर नहीं हैं। यह एक चलताऊ माध्यम बन चुका है।

आपने मॉडलिंग से शुरुआत की है। क्या ऐक्टिंग के लिए सुंदर चेहरा और परफेक्ट बॉडी ज्ारूरी है?

मैं वर्ष 2006 में एक मैगज्ाीन की कवर गर्ल थी, मॉडलिंग कर रही थी। मगर मुझे लगता है कि ऐक्टिंग में परफेक्ट बॉडी, कद और ख्ाूबसूरती जैसा पैमाना बेमानी है। हां, ऐक्टिंग के साथ चेहरा भी सुंदर हो तो यह अच्छा कॉम्बिनेशन हो सकता है। फिल्म इंडस्ट्री में नसीरुद्दीन शाह, ओम पुरी, शबाना आज्ामी, नवाजुद्दीन सिद्दीकी, इरफान ख्ाान जैसे कलाकार ऐक्टिंग के दम पर ही टिके हैं। पैशन के बिना ऐक्टिंग नहीं हो सकती।

हर कलाकार की इच्छा होती है थिएटर करना... आपने भी थिएटर किया है?

मैं उज्जैन में पढी हूं। वहां कालिदास समारोह होता था। मैंने हिंदी-संस्कृत के कई नाटक किए। मशहूर रंगकर्मी हबीब तनवीर ने एक बार मेरी तारीफ की थी। यह मेरे लिए बडी उपलब्धि थी। मौका मिला तो थिएटर करना चाहूंगी। मैं रत्ना पाठक और रजत कपूर जैसे लोगों के साथ काम करना चाहती हूं। हालांकि मुंबई की व्यस्तता में थिएटर के लिए वक्त निकालना थोडा मुश्किल होता है।

इम्तियाज्ा अली जैसे डायरेक्टर और शाहरुख्ा ख्ाान जैसे ऐक्टर के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?

इम्तियाज्ा यूटीवी की टीम के साथ मुझे तब मिले थे, जब वह 'रॉक स्टार की प्लैनिंग कर रहे थे और उन्हें कश्मीरी चेहरे वाली लडकी की तलाश थी। वह प्रोजेक्ट लेट हो गया। इस बीच 'जब वी मेट आई। इसमें मैं करीना की बहन के किरदार में हूं। इम्तियाज्ा से मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला। दूसरी ओर शाहरुख्ा ख्ाान के साथ मैंने शो 'ज्ाोर का झटका धीरे से में एंकरिंग की। वह बहुत विनम्र हैं, स्त्रियों का सम्मान करते हैं। उन्होंने मुझे स्टेज पर खुल कर बोलने का मौका दिया। कई ऐक्टर्स ऐसा करते हुए असुरक्षित महसूस करते हैं। वह रिहर्सल के बाद पूछते थे कि क्या उनका काम सही है? वह मेरे बेस्ट को-होस्ट रहे हैं।

आपकी फ्यूचर प्लैनिंग क्या है?

अभी तो शुरुआत है। बहुत कुछ करना है। लर्निंग प्रोसेस तो चलता रहता है। टीवी कर रही हूं, अच्छी स्क्रिप्ट्स मिलीं तो फिल्में भी करूंगी। अपने नए वेंचर 1018 एमबी.कॉम पर भी सक्रिय हूं। इसके माध्यम से लोग अपने नज्ादीकी थिएटर में चलने वाली पसंदीदा फिल्में बुक कर सकते हैं।

इंदिरा राठौर


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