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सही समय का है इंतजार- इजाबेल लीथ

एक मॉडलिंग असाइनमेंट के लिए तीन साल पहले मुंबई आई इजाबेल लीथ के लिए हिंदुस्तान अब दूसरा घर बन चुका है। यूं तो अभी तक वह दो ही फिल्मों में नजर आई हैं, मगर सिर्फ शो-पीस बन कर नहीं रहना चाहतीं। इसलिए अच्छी भूमिका मिलने तक इंतजार करना चाहती हैं।

By Edited By: Published: Mon, 22 Jun 2015 02:30 PM (IST)Updated: Mon, 22 Jun 2015 02:30 PM (IST)
सही समय का है इंतजार- इजाबेल लीथ

एक मॉडलिंग असाइनमेंट के लिए तीन साल पहले मुंबई आई इजाबेल लीथ के लिए हिंदुस्तान अब दूसरा घर बन चुका है। यूं तो अभी तक वह दो ही फिल्मों में नजर आई हैं, मगर सिर्फ शो-पीस बन कर नहीं रहना चाहतीं। इसलिए अच्छी भूमिका मिलने तक इंतजार करना चाहती हैं।

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हिंदी फिल्मों का फलक विशाल है। हिंदी फिल्म इंडस्ट्री गैर-हिंदी व विदेशी मूल के कलाकारों का भी स्वागत खुले दिल से करती है। कट्रीना कैफ, नरगिस फाखरी, जैक्लिन फर्नांडीस पहले ही यहां अपनी जगह बना चुकी हैं। ब्राजील व पुर्तगाली मूल की इजाबेल लीथ भी तीन साल पहले मुंबई आईं। इरादा स्पष्ट था- मॉडलिंग और फिल्में करके परिवार को सपोर्ट करना। इसमें एक हद तक सफल भी रही हैं वह।

दो साल पहले फिल्म '16' करने के बाद पिछले साल उन्हें इरॉस के बैनर वाली फिल्म 'पुरानी जींस' मिली। हालांकि वह बॉक्स ऑफिस पर चमक बिखेरने में नाकाम रही।

इरादे हैं पुख्ता

इजाबेल लीथ कहती हैं, 'मैं निराश नहीं हूं। मेहनत करने के मेरे इरादे पुख्ता ही हुए हैं। अब मैं स्क्रिप्ट के चयन में सावधानी बरत रही हूं। फिल्म जगत में आपका करियर बुलंदियों को तभी छूता है, जब आप सही फैसले लेते हैं। यही वजह है कि 'पुरानी जींस के बाद से मैं अब तक सही स्क्रिप्ट की तलाश में हूं। महज स्किन शो या शो-पीस वाले रोल में मेरी दिलचस्पी नहीं है। इसके बावजूद कि विदेशी मूल की अभिनेत्रियों के लिए हिंदी फिल्मों में जगह बनाना मुश्किल है, मैंने उस मिजाज की ढेरों फिल्में ठुकराई हैं। मैं ढंग के कामों में यकीन रखती हूं। इसी का इंतजार कर रही हूं।

रोमन अंग्रेजी का फायदा

इजाबेल कहती हैं, 'मैं हिंदी फिल्मों को लेकर बडी पजेसिव हूं। तीन साल पहले मैं मॉडलिंग असाइनमेंट के लिए आई थी। मुझे हिंदी फिल्मों के बारे में पता नहीं था, पर उस असाइनमेंट के बाद मुझे फिल्मों व विज्ञापनों के ऑफर मिलने लगे। मुझे इस कायनात के बारे में पता चला, जो बडा मजेदार था। तीन साल पहले मुंबई आई थी तो सिर्फ पुर्तगाली बोलती थी, ढंग से अंग्रेजी भी नहीं बोलती थी। इसलिए मैंने पहले अंग्रेजी सीखी। भला हो रोमन अंग्रेजी का, जिसके कारण हम जैसे ग्ौर-हिंदी भाषी कलाकार हिंदी बोल पाते हैं।

परिवार की मदद है मकसद

मुझे भारतीय संस्कृति के साथ भी तालमेल बिठाना पड रहा है, पर अब मैं उसकी आदी हो रही हूं। कई बार कुछ अफवाहें उडती हैं। पहले ग्ाुस्सा आता था, अब आदत हो गई है। ब्राजील में मॉडलिंग करती थी। एक दिन पिता की जॉब चली गई। फेमिली को सपोर्ट करना था। पता चला कि हिंदी फिल्म जगत में स्पेन, मैक्सिको, ब्राजील की लडकियों के लिए स्पेस है। नरगिस फाखरी, कट्रीना कैफ पहले से यहां हैं। मैं उनकी तरह ऊंचाइयों को छूना चाहती थी। फेमिली को सपोर्ट करना भी मेरा मकसद था। इस इंडस्ट्री ने न केवल काम दिया, बल्कि इस देश को घूमने का नायाब मौका भी दिया। अब तो हिंदुस्तान मेरा दूसरा घर बन चुका है।

अमित कर्ण


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