इत्मीनान से रहती हूं: दीपिका पादुकोण
परिवार को अपना सब कुछ मानने वाली दीपिका ने कई तरह की परेशानियों का मजबूती से सामना करने के बाद इंडस्ट्री में अपनी अलग पहचान कायम की है।
टॉप अभिनेत्रियों की दौड में शामिल दीपिका अपने काम को लेकर समर्पित हैं। किरदार में खुद को ढाल देना उनकी खासियत है। उन्हें कभी खुद की तस्दीक करने की जरूरत नहीं पडी। वे फिल्मों के चुनाव के प्रति सजग हैं और निजी जीवन में भी जिम्मेदार हैं।
परिवार को अपना सब कुछ मानने वाली दीपिका ने कई तरह की परेशानियों का मजबूती से सामना करने के बाद इंडस्ट्री में अपनी अलग पहचान कायम की है। लोगों की बातों से विचलित हुए बगैर उनका फोकस सिर्फ अपने काम पर ही रहता है। वे रिश्तों को बखूबी निभाना जानती हैं, इस खासियत की बदौलत इंडस्ट्री में सभी से उनके अच्छे संबंध बने रहते हैं।
मां से हूं मैं
कुछ चीजों का पता सिर्फ महसूस करने से ही चल पाता है। उसी तरह से कई बार डिप्रेशन का भी कोई स्पष्ट लक्षण नहीं होता। वह बस इंसान को अंदर से बिखेर देता है। करियर की ऊंचाई पर होने के बावजूद दीपिका 2013 में डिप्रेशन का शिकार हो गई थीं। ऐसे समय में उनकी मां ने उनका हाथ थामे रखा। दीपिका के जीवन का यह सच आज भी उन्हें भयभीत कर देता है। दीपिका कहती हैं, 'एक दिन अचानक सुबह उठकर मैंने भीतर से खाली महसूस किया। मैं सेट पर काम करती और फिर अपने कमरे में आकर रोती। मुझे निजी जीवन या करियर में कोई परेशानी नहीं थी। फिर भी कुछ था, जो मुझे भीतर से आघात पहुंचा रहा था। ऐसे कठिन वक्त में परिवार के साथ ने मुझे नई उम्मीद बंधाई। इन्हीं चीाों ने मुझे बेहतर इंसान बनाया है।
सफलता है सफर
एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में सफलता का कोई फॉम्र्युला नहीं होता है। वास्तव में यह एक जर्नी है। दीपिका अपनी असफल फिल्म को प्रिय मानती हैं। 'ब्रेक के बाद, 'कार्तिक कॉलिंग कार्तिक और 'लफंगेे परिंदे से जुडने का उन्हें रंच मात्र भी अफसोस नहीं है। वे कहती हैं, 'उतार-चढाव चलते रहेंगे। असफल फिल्मों में भी मैं दमदार रही हूं और इत्मीनान से अपने पथ पर आगे बढ रही हूं। मैं हर हाल में ऐक्टिंग से जुडे रहना चाहती हूं। मैं अपने काम को बहुत एंजॉय करती हूं। अपनी फिल्मों का चुनाव तार्किक ढंग से करती हूं। काम के प्रति निष्ठा बेहद जरूरी है। मेरा मानना है कि कलाकार दर्शकों को धोखा नहीं दे सकते हैं, इसलिए स्क्रीन पर किरदार को बखूबी प्रस्तुत करना ही मेरे लिए प्रमुख है। दर्शक अपने सही कलाकार को पहचानते हैं।
लोगों का काम है कहना
लोगों के कहने और सोचने की िफक्र दीपिका कभी नहीं करती हैं। अभिनेता रणबीर कपूर के साथ उनका रिश्ता जग जाहिर हैं और मिलना-बिछडना इस रिश्ते की पूंजी है। अलगाव के बावजूद दोनों एक साथ स्क्रीन शेयर करते हैं। इस पर वह तर्क देती हैं, 'मैं खुश हूं कि हमारा तालमेल बेहतर है। हम रोज बात नहीं करते हैं पर एक-दूसरे के लिए खास हैं। हम दोस्त हैं और एक-दूसरे की भावनाओं का सम्मान करते हैं। खैर, रणबीर के बाद दीपिका की बेरंग जिंदगी में रणवीर सिंह ने रंग भरे। रणवीर खुलेआम अपने प्यार का इजहार करते हैं और दीपिका भी इशारों में अपनी भावनाएं जाहिर कर चुकी हैं। उनके रिश्ते की खुशबू पर्दे पर मिठास घोल देती है।
परिवार से दूर
कुछ पाने के साथ कुछ खोना भी पडता है। नाम और शोहरत अपनों से दूर भले ही कर देती है पर सारे सदस्य भावनात्मक तौर पर जुडे रहते हैं। दीपिका इसे सही मानती हैं। उन्होंने बताया, 'मैं ऐक्टर हूं। काम के सिलसिले में मुझे परिवार से दूर रहना पडता है। मेरे माता-पिता बेंगालुरू में रहते हैं। वैसे हम साथ समय बिताने की कोशिश करते हैं। उन्होंने कभी मुझसे कोई शिकायत नहीं की। हमेशा आगे बढने के लिए प्रोत्साहित ही करते हैं। मेरे करियर में उनका योगदान उल्लेखनीय है। मैंने हर फैसला खुद से लिया है पर मेरे लिए परिवार का साथ होना मायने रखता है। परिवार ही मेरी ताकत है।'
प्राची दीक्षित