एक नए एहसास को जी रही हूं: आमना शरीफ
टीवी सीरियल्स में संस्कारी बहू की भूमिकाएं निभाने वाली आमना शरीफ कई फिल्मों में नजर आई हैं। यूं तो उनके काम को ज्यादा नोटिस नहीं किया गया, पर इससे वह निराश नहीं हैं। अभी वह मातृत्व का आनंद ले रही हैं और परिवार को समय दे रही हैं।
टीवी सीरियल्स में संस्कारी बहू की भूमिकाएं निभाने वाली आमना शरीफ कई फिल्मों में नजर आई हैं। यूं तो उनके काम को ज्यादा नोटिस नहीं किया गया, पर इससे वह निराश नहीं हैं। अभी वह मातृत्व का आनंद ले रही हैं और परिवार को समय दे रही हैं।
एकता कपूर की खोज हैं आमना शरीफ, जो दो महीने पहले ही मां बनी हैं। लिहाजा आजकल मैटरनिटी लीव पर हैं और मदरहुड एंजॉय कर रही हैं। उनके बेटे का नाम अरेन है। रील व रीअल दोनों जिंदगियों में उनकी छवि संस्कारी बहू की तो है ही, बडे व छोटे पर्दे पर उनकी ख्ाूबसूरती व नफासत लोगों का दिल जीत लेती है। मां बनने से पहले वह आख्िारी बार 'एक विलेन में नजर आई थीं। वहां उन्होंने रितेश देशमुख की झगडालू, महत्वाकांक्षी पत्नी की भूमिका निभाई थी। फिल्मी पारी का आग्ााज उन्होंने 'आलू चाट से किया था। वहां भी उन्होंने अपने काम से लोगों को संतुष्ट किया। यह अलग बात है कि उन्हें मनपसंद भूमिकाएं नहीं मिल सकी हैं।
भूलों से लें सबक
बकौल आमना, 'मैं वर्तमान में जीती हूं। पुरानी बातों का ज्य़ादा अफसोस नहीं करती। मेरा मानना है कि जिंदगी में अपनी भूलों से सबक लेकर आगे बढऩा चाहिए। मेरी सोच सकारात्मक है। समय बहुत तेजी से बीत जाता है। मुझे बस यही ख्ाुशी है कि इतने वर्षों से दर्शकों ने मुझे प्यार दिया और उनकी चाहत में कमी नहीं आई। यह उनका प्यार ही है कि जो हमें यहां तक ले आया है। इन सालों के अनुभव बहुत मजेदार और सुखद हैं। देखिए, मैंने वही काम किया, जिसमें मुझे कंफर्ट फील हुआ। रहा सवाल टीवी का तो मैंने पहले ही तय किया था कि मैं टीवी के लिए केवल चुनिंदा शो करूंगी। हाल के दिनों में टीवी का दायरा बढा है। तभी मुझे लगा कि जहां से मेरी वापसी हुई है, वहां मुझे एक बार फिर जाना चाहिए। इस वजह से मैंने टीवी पर 'होंगे जुदा न हम से कमबैक किया। मैं ऐक्टर हूं। हमेशा कुछ नया करना मेरा लक्ष्य है। अब मैं चाहती हूं कि लोग 'कहीं तो होगा व 'कशिश की कशिश को भूल जाएं और सिर्फ आमना को याद रखें।
नजरिये का फर्क
आमना कहती हैं, 'हमें अपनी सोच हमेशा सकारात्मक रखनी चाहिए। समय या प्रसंग अच्छे या बुरे नहीं होते। यह हमारी सोच है, जो बीते अनुभवों को अच्छा या बुरा बनाती है। मैंने हमेशा सुखद स्मृतियों को जिया, उन्हें सहेजा और संजोया। अगर हम अपने वर्तमान से असंतुष्ट और नाख्ाुश रहते हैं तो जिंदगी के कडवे अनुभवों को याद करते हैं। इसके विपरीत अगर आज हम संतुष्ट हैं और सकारात्मक सोच रखते हैं तो आगे यही सुखद अनुभव हमें याद आते हैं। यह हमारे नजरिये पर निर्भर करता है कि हम दुखी रहें या सुखी।
ऐक्टिंग में उम्र का रोल
मैंने तय किया था कि मां बनने के बाद कुछ समय सिर्फ परिवार को दूंगी। यह ख्ाुद में बडी भूमिका है। लिहाजा मैंने काम से ब्रेक लेना मुनासिब समझा। रहा सवाल शादी व मां बनने के बाद काम करने या न करने का तो वह निजी फैसला होता है। उसका इंडस्ट्री से ऑफर मिलने या न मिलने से कोई संबंध नहीं है। उम्र भी मायने नहीं रखती। ऐक्टिंग में उम्र का कोई रोल नहीं है। ये तो आंखें हैं जो कैमरे पर बताती हैं कि आप थक चुके हैं या अभी भी आपके भीतर स्पार्क मौजूद है। चेहरे की लाइनें कुछ नहीं बतातीं, वे तो मेकअप की परतों में गुम हो सकती हैं।
मैं बहुत नहीं सोचती, केयरफ्री रहती हूं। मुझे इससे कोई फर्क भी नहीं पडता कि मेरे बारे में दूसरे क्या सोचते हैं। मुझे अपने बारे में कुछ छिपाने की जरूरत नहीं है और मैं छिपाना चाहती भी नहीं। जरा लेजी हूं, इसलिए ज्य़ादा ईजी रहती हूं। स्न
अमित कर्ण