जुझारू 'प्रिटी गर्ल'
कभी हिंदी फिल्मों में ऊंचे पायदान पर रह चुकी अभिनेत्री प्रीति जिंटा का इन दिनों सिल्वर स्क्रीन से लुका-छिपी का खेल चल रहा है। हाल ही में वे सैफ अली खान स्टारर 'हैप्पी एंडिंग' में कैमियो भूमिका में नजर आईं थीं। उनकी व्यक्तिगत जिंदगी भी हाल के बरसों में बहुत
कभी हिंदी फिल्मों में ऊंचे पायदान पर रह चुकी अभिनेत्री प्रीति िजंटा का इन दिनों सिल्वर स्क्रीन से लुका-छिपी का खेल चल रहा है। हाल ही में वे सैफ अली खान स्टारर 'हैप्पी एंडिंग' में कैमियो भूमिका में नजर आईं थीं। उनकी व्यक्तिगत िजंदगी भी हाल के बरसों में बहुत अच्छी नहीं रही। एक नजर उनके करियर ग्राफ पर।
बिजनेसमैन नेस वाडिया के साथ प्रीति की नजदीकी गहरी हुई और बात शादी तक जा चुकी थी, लेकिन दोनों के रिश्ते परवान नहीं चढ सके। पिछले साल आइपीएल मैच के दौरान प्रीति-नेस के बीच फिर से खटपट हुई। बात पुलिस तक पहुंच गई। फिल्म बिरादरी से भी बहुत कम लोग प्रीति के साथ खडे हुए। उन कडवी यादों को भुलाने के लिए बीते दिनों प्रीति का अधिकांश वक्त अमेरिका में गुजरा। प्रीति जुझारू शख्सीयत हैं। इन दिनों िजंदगी भले उनकी कडी अग्निपरीक्षा ले रही हो, लेकिन वे बहुत जल्द बाउंस बैक करेंगी। सूत्रों के मुताबिक उनकी प्राथमिकता फिल्मों से ज्य़ादा आइपीएल हो रही है। वे किंग्स इलेवन पंजाब टीम में अपनी हिस्सेदारी भी बढाने की दिशा में अग्रसर हैं।
बनी बिजनेस वुमन
प्रीति के अतीत के पन्नों को पलटें तो उनके फिल्मी करियर की शुरुआत 1998 में मणिरत्नम की सफल फिल्म 'दिल से' के साथ हुई थी। उन्होंने 'क्या कहना', 'दिल चाहता है', 'चोरी-चोरी चुपके-चुपके', 'कल हो ना हो', 'कोई मिल गया', 'वीर जारा', 'सलाम नमस्ते', आदि उल्लेखनीय फिल्में दीं। आइपीएल उनकी िजंदगी की किताब का अहम अध्याय है। उससे वे अभिनेत्री से बिजनेस वूमन की भूमिका में आईं, जिसे उन्होंने खूब एंजॉय किया। खुद उनकी जुबानी, 'मैंने अपनी उस भूमिका को पूरी तरह एंजॉय किया। पूरे आइपीएल के दौरान मैं किसी को ऐक्ट्रेस प्रीति से रूबरू होने का मौका नहीं देती। मैं वहां जींस और टी-शर्ट पहने अलग अंदाज में रहती हूं। मैं चौबीस घंटे सिर्फ टीम के बारे में सोचती और उनका उत्साहवद्र्धन करती रही हूं। मैंने सुबह से लेकर शाम तक अपनी टीम के साथ बहुत पसीना बहाया। मेरी टीम मेरा परिवार बन गई है। मेरा मानना है कि जब आप किसी काम को लेकर जुनूनी हों तभी उसे करें। मैं क्रिकेट को लेकर जुनूनी और जज्बाती दोनों ही हूं।
बिंदास स्वभाव
प्रीति असल िजंदगी में चुलबुली, बिंदास और नटखट स्वभाव की हैं। वे बताती हैं, मैं बचपन में बहुत शैतान थी। मेरे सारे दोस्त लडके थे। लडकों के साथ खेलना और शैतानियां करना मेरी आदत थी। मेरे दोनों भाइयों की वजह से लडकों से मेरी दोस्ती हुई। मेरे भाई और उनके दोस्त जो शरारतें करते थे, मैं उसमें नंबर वन रहती थी। ऐसे में जाहिर सी बात है कि मुझे थप्पड भी खूब पडते थे। मैं पढाई में तो अच्छी थी ही, खेल-कूद एवं स्कूल की एक्स्ट्रा-करिक्युलर ऐक्टिविटीज में भी जमकर हिस्सा लेती थी। मैं किताबी कीडा नहीं थी। मेरे टीचर हैरान हो जाते थे कि मैं खेल-कूद के साथ इतने अच्छे माक्र्स कैसे लाती हूं? उस समय टीवी, कंप्यूटर और इंटरनेट नहीं था। हम लोग आउटडोर गेम ज्य़ादा खेलते थे। मेरे पापा ने मुझे लडकी की तरह कभी ट्रीट नहीं किया।
एक समय पर एक काम
प्रीति एक बार में एक ही काम करने में यकीन रखती हैं। उनके मुताबिक, जहां तक फिल्मों की बात है तो हाल के बरसों में मेरे फिल्मी करियर को काफी नुकसान या यूं कहें कि साइडट्रैक हुआ है। मैंने काफी फिल्में छोडी भी थीं, क्योंकि आइपीएल बहुत बडा इंवेस्टमेंट रहा है। मैं सीखना चाहती थी। जब मैं फिल्मों में नई आई थी तब मैंने सब कुछ छोडकर सिर्फ फिल्में की थीं। ऐसे में, जब क्रिकेट में आई तो थोडा समय तो क्रिकेट में लगाना ही था।
अमित कर्ण