विफलता ने दिया सबक- अनुराग कश्यप
भारतीय सिनेमा को नया आयाम देने वाले अनुराग कश्यप की फिल्में रीअल लाइफ की वास्तविकता को रील लाइफ के ज़रिये दर्शकों से जोडऩे का काम कर रही हैं। अनुराग की फिल्मों ने बॉलीवुड को इंटरनेशनल लेवल तक प्रसिद्घि दिलाई है।
भारतीय सिनेमा को नया आयाम देने वाले अनुराग कश्यप की फिल्में रीअल लाइफ की वास्तविकता को रील लाइफ के जरिये दर्शकों से जोडऩे का काम कर रही हैं। अनुराग की फिल्मों ने बॉलीवुड को इंटरनेशनल लेवल तक प्रसिद्घि दिलाई है।
फिल्म 'देव डी, 'ब्लैक फ्राइडे और 'गुलाल के जरिये दर्शकों और फिल्म समीक्षकों की प्रशंसा बटोर चुके निर्देशक अनुराग कश्यप को उनकी फिल्म 'गैंग्स ऑफ वासेपुर से बडी पहचान मिली। वेनिस फिल्म समारोह में ज्यूरी मेंबर रहे अनुराग से उनके जीवन से जुडे 9 सवाल।
1. लीक से हटकर फिल्में बनाने का आइडिया आपको कैसे आया?
मैं कॉलेज के दिनों में जीवन को लेकर बहुत गंभीर नहीं था। मुझे समझ नहीं आता था कि मैं असल में करना क्या चाहता हूं। उन दिनों मैं अपने कॉलेज की एक लडकी से एकतरफा प्यार करता था, जिसकी बाद में शादी हो गई। उसके बाद मेरा दिल ऐसा टूटा कि मैं एक साल तक उस सदमे में रहा। फिर मैंने लिखना शुरू किया। वही स्ट्रगल मुझे यहां तक लेकर आया।
2. संघर्ष के दिन कैसे गुजारे?
सात साल तक मैं अपनी स्क्रिप्ट्स लेकर घूमता रहा और हर जगह से निराशा हाथ लगी। जहां जाता था, सब यही कहते कि तुम्हारी स्टोरीज में दम नहीं है। उन सात सालों के रिजेक्शन ने जिंदगी का असली मतलब समझाया। फिर राम गोपाल वर्मा ने मुझे पहला क्रेडिट दिया फिल्म 'सत्या के लिए और सिलसिला चल निकला।
3. राम गोपाल वर्मा से आपकी मुलाकात कैसे हुई?
राम गोपाल वर्मा एक नए राइटर को ढूंढ रहे थे और मनोज बाजपेयी ने मेरी मुलाकात उनसे करवाई। उनके साथ काम करते हुए बहुत कुछ सीखने को मिला।
4. कॉलेज के दिनों में आप क्या बनना चाहते थे?
कॉलेज के दिनों में मैं साइंटिस्ट बनना चाहता था। उस समय मुझे करियर का कोई आइडिया नहीं था।
5. घर-परिवार से आपको कितना सपोर्ट मिल सका?
मैं यूपी के छोटे से शहर से दिल्ली पढऩे के लिए आया था और उस समय मुझे 10 रुपये पॉकेटमनी मिलती थी। एक दिन मैंने अपने पापा से कहा कि मुझे छह हजार रुपये महीने चाहिए। उन्होंने बिना कोई सवाल किए मुझे उतने रुपये भिजवाना शुरू कर दिया। मुंबई आकर भी लंबे समय तक उनका सपोर्ट मुझे मिलता रहा।
6. आपकी शुरुआती फिल्मों को
भारत में बैन कर दिया गया था, ऐसा क्यों हुआ?
हां, मेरी फिल्म 'पांच को बैन कर दिया गया था, क्योंकि उसमें ड्रग्स, मारधाड आदि चीजों को दिखाया गया था। नतीजा यह हुआ कि प्रोड्यूसर्स ने मेरे टॉपिक पर इंटरेस्ट लेना कम कर दिया।
7. आख्िारकार फिल्म 'गैंग्स ऑफ वासेपुर ने आपको बॉलीवुड में बडी सफलता दिलाई। इस फिल्म का आइडिया आपको आया कैसे?
मैं बिहार की पृष्ठभूमि पर एक फिल्म बनाना चाहता था लेकिन कोई सटीक आइडिया नहीं मिल रहा था। इसी बीच वर्ष 2008 में मेरी मुलाकात जीशान कादरी से हुई, जिन्होंने 'गैंग्स ऑफ वासेपुर की स्टोरी लिखी। बहुत रिसर्च करने पर पता चला कि कोल माफिया किसी समय में बहुत फैला हुआ था। स्टोरी अच्छी लगी और फिल्म स्टार्ट हो गई।
8. आपकी फिल्में अधिकतर जीवन के डार्क शेड्स पर केंद्रित होती हैं, ऐसा क्यों होता है?
मैंने असफलता का स्वाद कई बार चखा है। यह मेरे संघर्षों, विफलताओं और अनुभवों का निचोड ही है, जो मेरी लगभग सभी फिल्मों में नज्ार आता है।
9. आपको अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्घि मिली, इस सफलता को कैसे देखते हैं?
फिल्म 'पांच को विदेशों में रिलीज करने की अनुमति मिली और वह वहां सफल भी हुई। 'गुलाल को भी कांस फिल्म फेस्टिवल में दिखाया गया। अंतरराष्ट्रीय स्तर की सफलता ने मेरा खोया आत्मविश्वास जगा दिया।
वंदना यादव