Move to Jagran APP

दूर हुई मुश्किल

हर स्त्री अपने जीवन में एक साथ कई भूमिकाएं निभा रही होती है। बच्चों की देखभाल और घरेलू कामकाज के दौरान उसके सामने कुछ परेशानियां आना स्वाभाविक है।

By Edited By: Published: Tue, 04 Apr 2017 01:49 PM (IST)Updated: Tue, 04 Apr 2017 01:49 PM (IST)
दूर हुई मुश्किल

हर स्त्री अपने जीवन में एक साथ कई भूमिकाएं निभा रही होती है। बच्चों की देखभाल और घरेलू कामकाज के दौरान उसके सामने कुछ परेशानियां आना स्वाभाविक है। यहां कुछ पाठिकाएं अपने ऐसे ही अनुभव बांट रही हैं सखी के साथ।

loksabha election banner

हिम्मत से काम लिया रोजी गुप्ता, भरूच बात उन दिनों की है, जब हम जम्मू से यहां नए-नए शिफ्ट हुए थे। एक रोज मेरे पति किसी जरूरी काम के सिलसिले में शहर से बाहर गए थे। मेरा आठ वर्षीय बेटा अपार्टमेंटके स्विमिंगपूल में गया था। तभी गार्ड ने मुझे सूचना दी कि उसे चोट लग गई है। मैं जल्दी से नीचे गई तो देखा कि उसका सिर फट गया था और बहुत तेजी से खूनबह रहा था। बेटे की ऐसी हालत देखकर शुरू में मुझे बहुत घबराहट हुई। समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं? किससे मदद लूं? तब पास-पडोस में किसी से भी हमारी जान-पहचान नहीं थी। मेरे पास सोचने का समय नहीं था, लिहाजा बिना वक्त गंवाए मैं खुद ही उसे स्कूटी से डॉक्टर के पास ले गई। चोट काफी गहरी थी, इसलिए उसके सिर में टांके लगाए गए। डॉक्टर ने मुझसे कहा कि अच्छा हुआ कि आप सही समय पर बच्चे को यहां ले आईं, वरना ज्यादा खून बहने की वजह से बहुत परेशानी होती। दो दिन बाद जब मेरे पति घर लौटे तो उन्हें यह देखकर बहुत अचरज हुआ कि ऐसी मुश्किल स्थिति में भी मैंने सभी कार्यों को अच्छी तरह मैनेजकर लिया। मुझे ऐसा लगता है कि मुश्किलें हमारी परीक्षा लेती हैं। अगर धैर्य से काम लिया जाए तो आसानी से उनका सामना किया जा सकता है।

सीख गई टाइम मैनेजमेंट रीटामाटा, दिल्ली बहुत पुरानी बात है। अपनी ससुराल में मैं सबसे छोटी बहू थी। इसलिए बडों का लिहाज करते हुए मैं घर के ज्यादातरकाम खुदही करने की कोशिश करती लेकिन मेरी दोनों जेठानियां घरेलू कार्यों में ज्यादा सहयोग नहीं देती थीं। लिहाजा बुजुर्ग होने के बावजूद मेरी सास हमेशा किचन में व्यस्त रहती थीं। इससे घर का माहौल तनावपूर्ण हो गया था। यह सब देखकर मुझे भी बहुत दुख होता था पर संकोचवश मैं कुछ भी बोल नहीं पाती थी। मेरे सबसे बडे जेठ बहुत समझदार थे। एक रोज उन्होंने हम तीनों बहुओं को साथ बुलाया और हमसे कहा कि तुम्हें आपस में काम बांट लेना चाहिए। अगर सही ढंग से टाइम मैनेजमेंटका ध्यान रखते हुए घर के काम किए जाएं तो इससे सभी को आराम करने का मौका मिलेगा। हम तीनों को उनकी यह बात बहुत पसंद आई। अब मेरे साथ जेठानियां भी सहयोगपूर्ण रवैया अपनाने लगीं। बारी-बारी से काम करने का सबसे बडा फायदा यह हुआ कि किसी को भी थकान नहीं होती थी। इससे परिवार का माहौल भी खुशहालहोने लगा। इस तरह मेरे जेठ जी की मदद से परिवार की एक बडी मुश्किल दूर हो गई। जब हम खुदकिसी समस्या का हल नहीं ढूंढ पाते तो हमें दूसरों की सलाह मान लेनी चाहिए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.