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स्वादिष्ट ही नहीं सुंदर भी

स्वाद की खातिर कितने जतन करते हैं हम! मगर खाने का सारा मजा किरकिरा हो जाता है, अगर उसे ढंग से न परोसा जाए। खाने की प्लेटिंग,प्लेसिंग,सर्विंग और गार्निशिंग कैसे करें,जानें यहा

By Edited By: Published: Mon, 27 Jun 2016 09:45 AM (IST)Updated: Mon, 27 Jun 2016 09:45 AM (IST)
स्वादिष्ट ही नहीं सुंदर भी
किचन एक प्रयोगशाला है। वहां काम करने वाला साइंटिस्ट और आर्टिस्ट दोनों ही होता है। खाना मन से बनाना जितना जरूरी है, उतना ही जरूरी है उसे सजाना और परोसना। दुनिया भर के शेफ और एक्सपट्र्स फूड प्रेजेंटेशन पर काम कर रहे हैं। हर देश या राज्य में खाना परोसने के कुछ नियम होते हैं। जैसे जापान में 'कम'या 'मिनिमलिज्म' का बडा महत्व है। यहां एक ही प्लेट में खाना परोसने के बजाय सारी डिशेज छोटी-छोटी बोल्स में सर्व की जाती हैं। भारत के अलग-अलग हिस्सों में खाना परोसने का ढंग अलग-अलग है। खाना ऐसे परोसें थाली कभी बहुत भरी या खाली न हो। प्लेट का बाहरी हिस्सा इतना खाली हो कि व्यक्ति अच्छी तरह खा सके। प्लेट पर कलर कंट्रास्ट ज्य़ादा न हो। सिमिट्री जरूरी नहीं, अलग-अलग आकार भी खूबसूरत दिख सकते हैं। छोटे-बडे, सॉफ्ट और क्रंची, ब्राइट और डार्क कलर्स का मिक्स एंड मैच करें। थाली में पोर्शन साइज का ध्यान रखें। सॉसेज या चटनियों से थाली न भर दें। लाइट या व्हाइट कलर की प्लेट इस्तेमाल करें ताकि खाने का रंग ज्य़ादा निखरे। सर्विंग के नियम भोजन परोसने के कुछ नियम हैं। इनका पालन किया जाए तो खाने का स्वाद दुगना हो जाएगा। खाना सिंपल ढंग से परोसें। खाने का रंग, आकार, कंट्रास्ट या डिजाइन भडकीला न हो। इसमें इतने प्रयोग न करें कि व्यंजन की खूबसूरती छिप जाए। खासतौर पर गार्निशिंग के मामले में 'कम है तो बेहतर है' का नियम लागू होता है। खाना परोसने के लिए कलर व्हील को जानना जरूरी है। ध्यान रखें कि भोजन में एक रंग डॉमिनेट करे और कंट्रास्टिंग कलर्स प्राइमरी कलर के चौथाई हिस्से से ज्य़ादा न हों। इससे हर रंग निखर कर आएगा। पोर्शन साइज खाने में पोर्शन साइज का भी बहुत महत्व है। यह मेन्यू और सर्व किए गए व्यंजनों पर भी निर्भर करता है कि अलग-अलग डिश का पोर्शन साइज क्या होगा। आमतौर पर प्रति व्यक्ति (वयस्क) प्लेट में लगभग 500-600 ग्राम फूड सर्व करना सही रहता है। पारंपरिक और पुराने नियमों के अनुसार दिन के हर पहर में भोजन की थाली में अलग-अलग पौष्टिक तत्वों को शामिल किया जाना चाहिए। सुबह के 11 बजे कार्बोहाइड्रेट्स, लंच-डिनर में सब्जियां और शाम 6-7 बजे प्रोटीन डाइट सही रहती है। रात में जितना हलका खाएं, बेहतर रहेगा। दुनिया भर के मशहूर शेफ्स सलाह देते हैं कि खाना परोसने के लिए बडी और व्हाइट प्लेट का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। आजकल ऑर्गेनिक को बढावा दिया जा रहा है, लिहाजा वुड या स्टोन प्लेट्स का चलन बढऩे लगा है। प्लेटिंग हो जरा हटकर भोजन की खूबसूरती इस बात पर भी निर्भर करती है कि प्लेट में उसकी प्लेसिंग कैसे की गई है। खाना वर्टिकल हो या हॉरिजॉन्टलं, इसका ध्यान रखना चाहिए। डिश का आकार लंबाई में है तो उसकी प्लेसिंग वर्टिकल तरीके से करनी चाहिए, ऐसा नहीं है तो हॉरिजॉन्टल तरीका सही है। वर्टिकल फूड प्रेजेंटेशन ने फूड डिजाइनिंग में एक नया अध्याय जोड दिया है। इससे प्लेट में एक मास्टरपीस तैयार किया जा सकता है। इसके लिए मेन डिश को प्लेट के बीच में रखें और खाली जगह को सॉसेज, स्पाइसेज या हब्र्स से सजाएं। इसके लिए कल्पना-शक्ति, योग्यता और प्रैक्टिस की जरूरत होती है। हालांकि यह तरीका फास्ट फूड के लिए ठीक नहीं है। इन दिनों कई शेफ्स लैंडस्केपिंग प्लेटिंग भी कर रहे हैं। यह लैंडस्केप गार्डंस से प्रेरित है। इसमें कई तरह के डिजाइंस बनाए जा सकते हैं। गार्निशिंग आइडियाज खाने की साज-सज्जा भी बहुत महत्वपूर्ण है। गार्निशिंग स्वाद की कहानी का क्लाइमेक्स सीन है। इससे डिश को पर्सनैलिटी मिलती है और फाइनल टच मिलता है। गार्निशिंग के लिए केवल वही फूड और स्पाइसेज इस्तेमाल करें, जो स्वाद को बढाएं और मेन कोर्स के सप्लीमेंट का काम करें। फिश की गार्निशिंग लेमन से और डेजट्र्स की सिरप्स से की जा सकती है। आजकल शेफ्स ऐसे फ्लावर्स का इस्तेमाल करने लगे हैं, जिन्हें खाया भी जा सकता है। आमतौर पर घर की थाली में ऐसे हब्र्स और पील्स का इस्तेमाल ठीक है, जो डिश के अनुकूल हों। भारतीय घरों में पुदीना पत्ती,धनिया या नींबू से भोजन को सजाने की परंपरा रही है। ग्रेवी को सजाना हो तो रोगन या फ्लेवर्ड ऑयल्स का इस्तेमाल किया जा सकता है। हाल के वर्षों में स्थानीय और प्रामाणिक भारतीय स्वादों का चलन बढा है, साथ ही भारतीय कुजीन ग्लोबल भी हुआ है। खासतौर पर ऑस्ट्रेलिया और यूरोपीय तरीकों ने भारतीय पद्धति को बहुत प्रभावित किया है। इंदिरा राठौर (शेफ, फूड स्टाइलिस्ट और लिविंग फूड्ज होस्ट रनवीर बरार से ईमेल पर हुई बातचीत पर आधारित)

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