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उलझनें सखी की

आप तनावग्रस्त न हों। सपरिवार विदेश जाकर बसना इतना आसान नहीं होता। हो सकता है कि आपके पति अपने किसी दोस्त की बातों से प्रभावित होकर ऐसा सोचने लगे हों।

By Edited By: Published: Wed, 07 Sep 2016 11:29 AM (IST)Updated: Wed, 07 Sep 2016 11:29 AM (IST)
उलझनें सखी की
मैं 32 वर्षीया विवाहिता और दो बच्चों की मां हूं। हम दोनों सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। मेरे पति जॉब छोडकर सपरिवार अमेरिका जाने की योजना बना रहे हैं पर मैं इससे सहमत नहीं हूं। इस कारण वह मुझसे नाराज रहते हैं। कई बार गुस्से में कहते हैं कि अगर तुम साथ नहीं गई तो मैं अकेला ही चला जाऊंगा। मैं उन्हें कैसे समझाऊं ? एस. पी., दिल्ली आप तनावग्रस्त न हों। सपरिवार विदेश जाकर बसना इतना आसान नहीं होता। हो सकता है कि आपके पति अपने किसी दोस्त की बातों से प्रभावित होकर ऐसा सोचने लगे हों। यह भी संभव है कि उनके ऑफिस में कोई समस्या हो। कई बार जब व्यक्ति आसपास के नकारात्मक माहौल से परेशान होता है, तब भी वह पलायन के बारे में सोचने लगता है। यहां यह ध्यान रखना बहुत जरूरी है कि उनका यह भावावेश कहीं जिद में न बदल जाए। इसलिए वह जब भी ऐसी कोई बात कहें, उस पर कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया न व्यक्त करें। कई बार भावावेश में आकर व्यक्ति ऐसी बातें करता है पर समय बीतने के बाद जब उसे सच्चाई का एहसास होता है तो वह अपना इरादा बदल देता है। भलाई इसी में है कि फिलहाल आप उनकी ऐसी बातों को नजरअंदाज कर दें। मैं 25 वर्षीया कामकाजी अविवाहिता हूं। मुझे अपने एक कलीग से प्यार हो गया है। वह भी मुझे बहुत चाहता है पर मैंने उससे शादी के बारे में पूछा तो उसका कहना है कि एक-दो साल तक लिव इन में रहकर एक-दूसरे को समझने के बाद ही हमें शादी का निर्णय लेना चाहिए। मैं इसे ठीक नहीं मानती पर अपने प्यार को खोना भी नहीं चाहती। समझ नहीं पा रही कि ऐसे में मुझे क्या निर्णय लेना चाहिए? डी. पी., नागपुर आप चिंतित न हों। यह तो अच्छा हुआ कि समय रहते आपको इस सच्चाई का पता चल गया कि वह लडका इस रिश्ते के बारे में क्या सोचता है। अगर उसे आपसे सच्चा प्यार होता तो वह दोबारा लिव-इन के जरिये आपको परखने की बात कभी नहीं करता। सच्चे प्यार को आजमाइश की जरूरत नहीं पडती। ऐसे रिश्ते को इसी मोड पर छोड देना चाहिए। आपको अपने माता-पिता से कुछ भी नहीं छिपाना चाहिए। आप उन्हें अपनी परेशानी के बारे में बताएं। हो सकता है कि उनकी मदद से आपको कोई योग्य जीवनसाथी मिल जाए। इसलिए थोडा धैर्य रखें। शायद जीवन के किसी मोड पर खुशियां आपका इंतजार कर रही हों। मैं अपनी बडी बहन की वजह से बहुत चिंतित हूं। उसकी उम्र 24 साल है और छह माह पहले उसका तलाक हो गया क्योंकि जिस व्यक्ति से उसकी शादी हुई थी, वह पहले से विवाहित था। इस वजह से दीदी आजकल बहुत उदास रहती हैं और मेरे पेरेंट्स ने उनके लिए दोबारा रिश्ता ढूंढना शुरू कर दिया है, जिससे वह बहुत ज्य़ादा परेशान हैं। मुझसे अपनी दीदी की उदासी देखी नहीं जाती। समझ नहीं पा रही कि मैं उनके लिए क्या करूं? पी. पी., सीतापुर आप अपनी बडी बहन को दोबारा पढाई शुरू करने के लिए प्रेरित करें। माता-पिता से आग्रह कर उनकी रुचि के अनुकूल किसी प्रोफेशनल कोर्स में उनका एडमिशन दिलवाएं ताकि वह जल्द ही अपने पैरों पर खडी हो सकें। इससे न केवल उनकी वित्तीय समस्या का समाधान होगा, बल्कि उनका आत्मविश्वास भी बढेगा। वह आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हो जाएं, इसके बाद ही पेरेंट्स को उनकी शादी के बारे में सोचना चाहिए। वैसे भी समय के साथ लोगों की सोच में बदलाव आ रहा है। आप अपने पेरेंट्स को समझाएं कि बडी बहन के तलाक से छोटी बहनों की शादी में कोई दिक्कत नहीं आएगी। अगर आप उन्हें प्यार से समझाएंगी तो वे आपकी बात जरूर मान जाएंगे। मैं 26 वर्षीया विवाहिता हूं। मेरी शादी को दो साल हो चुके हैं। ससुराल में सास-ससुर के अलावा मेरी एक अविवाहित ननद भी हैं। मैं जॉब करती हूं। लिहाजा छुट्टी वाले दिन जब भी हम दोनों एक-दूसरे के साथ क्वॉलिटी टाइम बिताने के लिए कहीं बाहर जाना चाहते हैं तो वह भी हमारे साथ चलने को तैयार हो जाती हैं। मैं संकोचवश उन्हें मना नहीं कर पाती लेकिन इससे मेरे व्यवहार में चिडचिडापन आने लगा है। यह समस्या कैसे हल होगी? एस. एल., बडौदा शुरुआत में एडजस्टमेंट संबंधी ऐसी मामूली दिक्कतें आना स्वाभाविक है। इससे आपको परेशान नहीं होना चाहिए। ऐसी स्थिति में भूलकर भी दूसरों के सामने अपनी नाराजगी जाहिर न करें। शांतिपूर्वक समस्या का हल ढूंढने की कोशिश करें। अगर कभी किसी रिश्ते को बचाने के लिए झूठ का सहारा लेना पडे तो इसमें कोई बुराई नहीं है। मसलन, अगर आप पति के साथ अकेले फिल्म देखना चाहती हैं तो संडे के बजाय किसी दूसरे दिन ऑफिस से जरूरी काम का बहाना बनाकर आउटिंग प्लैन कर सकती हैं। हां, कभी किसी संडे अपनी ननद के साथ भी फिल्म देखने या शॉपिंग के लिए चली जाएं। इससे उन्हें यह बात समझ में आ जाएगी कि जब आप दोनों एक साथ हों तो उन्हें बीच में नहीं आना चाहिए। यह भी न भूलें कि पति के अलावा परिवार के अन्य सदस्य भी आपकी जिंदगी का अहम हिस्सा हैं और उनकी खुशियों का खयाल रखने की जिम्मेदारी भी आपको ही निभानी है। प्रचलित धारणा : विवाह केवल दो दिलों का ही नहीं, बल्कि दो परिवारों का मिलन है। एक्सपर्ट की राय : पारंपरिक भारतीय समाज के संदर्भ में यह प्रचलित धारणा सही है लेकिन बदलते समय के साथ युवा पीढी अपनी आजादी और पर्सनल स्पेस को ज्य़ादा अहमियत देने लगी है। इसलिए पुरानी पीढी को युवाओं की भावनाओं का ध्यान रखना चाहिए और युवाओं को भी निजी आजादी के साथ पारिवारिक रिश्तों की अहमियत समझनी चाहिए।

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