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हेल्थवॉच

अगर आपको बागवानी से लगाव है तो अपने घर के आसपास ढेर सारे पेड़-पौधे लगाएं। हाल ही में किए गए एक शोध के अनुसार घर के आसपास मौजूद पेड़-पौधे न केवल वातावरण को सुंदर बनाते हैं, बल्कि उनके बीच रहने वाला व्यक्ति ज्यादा खुशमिजाज होता है।

By Edited By: Published: Tue, 02 Jul 2013 02:32 PM (IST)Updated: Tue, 02 Jul 2013 02:32 PM (IST)
हेल्थवॉच

हरियाली देती है खुशी

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अगर आपको बागवानी से लगाव है तो अपने घर के आसपास ढेर सारे पेड-पौधे लगाएं। हाल ही में किए गए एक शोध के अनुसार घर के आसपास मौजूद पेड-पौधे न केवल वातावरण को सुंदर बनाते हैं, बल्कि उनके बीच रहने वाला व्यक्ति ज्यादा खुशमिजाज होता है। यूरोपियन सेंटर फॉर एन्वायरमेंट एंड हृयूमन हेल्थ द्वारा ब्रिटेन में बडे पैमाने पर किए गए अध्ययन के बाद यह तथ्य सामने आया है। अध्ययन के लिए 1998 से 2008 तक पांच हजार घरों में 10,000 ब्रिटिश लोगों से बात की गई। पता चला कि जिनके घरों के आसपास जितनी हरियाली थी, वहां रहने वाले लोग उतने ही ज्यादा खुश थे। अध्ययन में पाया गया कि पेडों के आसपास रहने का असर व्यक्ति की संतुष्टि पर पडता है। शोधकर्ताओं का अंतिम निष्कर्ष यह था कि लोगों के मानसिक स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए शहरों में हरे-भरे क्षेत्र बसाने की जरूरत है।

अब लैब में बनेगा कृत्रिम लिवर

लिवर की बीमारियों से ग्रस्त लोगों के लिए एक अच्छी खबर यह है कि अब वैज्ञानिक कृत्रिम लिवर बनाने की दिशा में एक कदम और आगे बढ गए हैं। उन्होंने ऐसे यौगिकों को खोजने में कामयाबी हासिल की है, जो लिवर की कोशिकाओं के विकास में मदद करते हैं। अमेरिका स्थित मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) के वैज्ञानिक लंबे अरसे से प्रयोगशाला में लिवर के सेल्स बनाने की कोशिशों में जुटे हैं। इसके लिए वे लिवर से पूर्ण रूप से विकसित कोशिकाएं निकालकर पोषक तत्वों की मदद से टेस्ट ट्यूब में वैसा ही वातावरण पैदा करते हैं, जिसमें लिवर हमारे पेट के भीतर रहता है। फिर टेस्ट ट्यूब में मौजूद कोशिशओं को विकसित होने के लिए नया माहौल दिया जाता है। इस शोध में वैज्ञानिकों को उन 12,500 रसायनों की क्रिया समझने में मदद मिली, जो लिवर की कोशिकाओं के निर्माण में अहम भूमिका निभाते हैं।

कैंसर से बचने के लिए अपनाएं सुपर फूड

कैंसर का इलाज ढूंढ रहे वैज्ञानिकों ने अनार, हल्दी, ग्रीन टी और ब्रोकली जैसे सुपर फूड को कैंसर दूर करने में कारगर पाया है। अमेरिका स्थित कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने सर्जरी और रेडियोथेरेपी की प्रक्रिया से गुजर चुके सैकडों कैंसर पीडितों को दिन में दो बार इस सुपर फूड के सत्व वाली गोली खिलाई। छह महीने तक चली इस प्रक्रिया के अंत में जब उन्होंने पुरुषों के शरीर में पीएसए का स्तर नापा तो इसमें 63 फीसदी तक कमी देखी गई। पीएसए एक ऐसा प्रोटीन है, जिसकी अधिकता से कुछ खास स्थितियों में व्यक्ति को कैंसर भी हो सकता है। शोध दल से जुडे प्रोफेसर रॉबर्ट थॉमस के मुताबिक अनार, ग्रीन-टी, हल्दी और ब्रोकोली जैसे सुपरफूड्स में एंटी ऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर पॉलीफेनॉल नामक तत्व पाया जाता है, जो कैंसर ग्रस्त कोशिकाओं का तेजी से खात्मा करता है। पॉलीफेनॉल सिर्फ कैंसर ही नहीं, बल्कि डायबिटीज और दिल की बीमारियों के खिलाफ भी बेहद प्रभावी है। इससे पहले किए गए अध्ययनों से भी यह साबित हो चुका है कि जो लोग पॉलीफेनॉल से भरपूर सुपरफूड का सेवन करते हैं, वे इन जानलेवा बीमारियों से काफी हद तक बचे रहते हैं। इसके अलावा अमेरिका स्थित स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों के अनुसार कैंसर से बचने के लिए तनाव से दूर रहना चाहिए।

डिप्रेशन दूर करता है दही

अब तक हम यही जानते थे कि कैल्शियम और प्रोटीन से भरपूर दही हमारे पाचन तंत्र को दुरुस्त रखने और कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम करने में मददगार होता है, लेकिन अब वैज्ञानिकों की एक नई खोज ने हमें दही के एक और फायदे के बारे में बताया है। यूसीएलए (यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, लॉस एंजेलिस) के स्कूल ऑफ मेडिसिन की ओर से किए गए एक ताजा अध्ययन में यह बात सामने आई है कि दही का सेवन डिप्रेशन दूर करने में मददगार साबित होता है। इसके मुताबिक दही में मौजूद प्रोबायोटिक तत्व मस्तिष्क पर असर करते हैं, जिससे मूड स्विंग की समस्या नहीं होती और व्यक्ति डिप्रेशन जैसी मनोवैज्ञानिक समस्याओं से बचा रहता है।

लंबी उम्र के लिए अपनाएं शाकाहार

शाकाहारी लोगों के लिए एक अच्छी खबर यह है कि नॉन वेजटेरियन लोगों के मुकाबले उनकी आयु ज्यादा लंबी होती है। खासतौर पर पुरुषों को इसका अधिक फायदा मिलता है। कैलिफोर्निया स्थित लोमा लिंडो यूनिवर्सिटी के अध्ययन में यह बात पता चली है। शोध के अनुसार शाकाहारी लोगों में ब्लडप्रेशर और कोलेस्ट्रॉल का स्तर नियंत्रित रहता है, जिससे स्वाभाविक रूप से उनकी आयु लंबी होती है। 70,000 से ज्यादा स्त्रियों और पुरुषों पर अध्ययन करने के बाद शोधकर्ता इस निष्कर्ष पर पहुंचे। उन्होंने प्रतिभागियों को वेजटेरियन और नॉन-वेजटेरियन दो समूहों में बांटा और उनकी खानपान संबंधी आदतों का विश्लेषण किया। छह साल तक चले इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि मांसाहारियों के मुकाबले शाकाहारी लंबी उम्र जीने में कामयाब रहे। उनका वजन भी नियंत्रण में था। अगर आप भी स्वस्थ और लंबी आयु पाना चाहते हैं तो मांसाहार छोडकर शाकाहार अपनाएं।

स्टेम सेल वाले जेल से जुडेंगी टूटी हड्डियां

ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने टूटी हड्डी को जोडने का नया तरीका खोज निकाला है। उन्होंने स्टेम सेल से युक्त एक ऐसा जेल बनाया है, जो हड्डी में आई दरार को भरने में सक्षम होगा। कील यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों के मुताबिक जेल में मौजूद स्टेम कोशिकाओं की सतह पर बेहद सूक्ष्म चुंबकीय कण जोडे गए हैं। इंजेक्शन के जरिये जब यह जेल टूटी हड्डी में डाला जाता है तो उसके ऊपर चुंबकीय कण सक्रिय हो जाते हैं और हड्डी में आई दरार को भरने में स्टेम सेल की मदद करते हैं। यह परिस्थिति बहुत हद तक वैसी ही है, जैसी बच्चों में कार्टिलेज और हड्डियों के विकास के दौरान देखी जाती है। शोधकर्ता प्रोफेसर एलिशिया अल हज ने बताया कि यह नया जेल परीक्षण की कसौटी पर खरा उतरा है। इसकी मदद से चूहे और मुर्गियों की टूटी हड्डियों को जोडने में कामयाबी मिली है। अब वे साल के अंत तक इंसानी हड्डियों पर इसका असर आंकने की तैयारी कर रहे हैं और उन्हें कामयाबी की पूरी उम्मीद है।

एक्सपर्ट की मानें

एनीमिया यानी रक्ताल्पता ऐसी स्वास्थ्य समस्या है, जिसके प्रति आज भी लोगों में जागरूकता नहीं है। इसे लेकर लोगों के मन में कई तरह के सवाल होते हैं। यहां सखी की एक पाठिका के ऐसे ही सवालों के जवाब दे रहे हैं दिल्ली स्थित रॉकलैंड हॉस्पिटल के इंटरनल मेडिसिन विभाग के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. वैभव गुप्ता।

मेरी 19 वर्षीया बेटी देखने में बेहद कमजोर और सुस्त लगती है। जरा सी मेहनत करने पर वह थक जाती है। उसकी त्वचा निस्तेज हो गई है। कहीं उसे एनीमिया तो नहीं है? इस समस्या से बचाव के क्या उपाय है?

आभा शर्मा, वाराणसी

आपका अंदाजा काफी हद तक सही है, क्योंकि शरीर में खून की कमी होने पर अकसर ऐसे लक्षण देखने को मिलते हैं। जब हमारे शरीर में आयरन की कमी की वजह से लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या घटने लगती है तो उसे एनीमिया कहा जाता है। इसके लिए मुख्यत: खानपान की गलत आदतें और आधुनिक जीवनशैली जिम्मेदार है। इससे शरीर में आयरन और विटमिंस की कमी हो जाती है, जो एनीमिया की मुख्य वजह है। आमतौर पर रोग प्रतिरोधक क्षमता का कम होना, भूख न लगना, बार-बार बुखार, सर्दी-खांसी, त्वचा में फंगल इन्फेक्शन, बाल झडना और आंखों के नीचे डार्क सर्कल्स, हथेलियों, पैरों के तलवे और नाखूनों की सफेद रंगत, अकसर नींद आना और आंखों की दृष्टि कमजोर होना आदि इसके प्रमुख लक्षण हैं। अगर आपकी बेटी में ऊपर बताए गए लक्षणों में से कोई भी दिखाई दे तो आपको उसका कंप्लीट हीमोग्राम और आयरन प्रोफाइल टेस्ट जरूर करवाना चाहिए। अगर जांच की रिपोर्ट में उसके हीमोग्लोबिन का लेवल 12 ग्राम/डीएल से कम हो तो आप उसे डॉक्टर को दिखाएं और उसके सभी निर्देशों का पालन करें। ऐसी समस्या होने पर डॉक्टर मरीज को प्राय: आयरन, मल्टी विटमिन और फोलिक एसिड का सप्लीमेंट देते हैं। आयरन का कोई भी सप्लीमेंट लेने के एक घंटे पहले और एक घंटे बाद तक खाली पेट रहना चाहिए। इससे शरीर में आयरन का अवशोषण अच्छी तरह होता है। आप अपनी बेटी को हरी पत्तेदार सब्जियां, सैलेड, आयरनयुक्त फल जैसे- केला, सेब, अनार, ड्राई फ्रूट्स, खजूर और गुड खिलाएं ताकि उनके शरीर को पर्याप्त मात्रा में आयरन मिल सके। एनीमिया को दूर करने के लिए आयरन के साथ कैल्शियम, प्रोटीन, विटमिन और मिनरल्स का भी सेवन करना चाहिए। इसके लिए उसे हरी सब्जियों के साथ दाल, दूध, दही, पनीर आदि का भी सेवन करना चाहिए। अगर आपकी बेटी अपनी खानपान की आदतों में सुधार लाएगी तो उसकी यह समस्या आसानी से दूर हो जाएगी।

सखी प्रतिनिधि


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