सखी का स्वास्थ्य
टेस्टोस्टेरॉन हॉर्मोन की अधिकता से स्त्रियों को गर्भाशय के कैंसर का खतरा डेढ़ गुना बढ़ जाता है।
मैं 36 वर्ष की हूं। मेरा आठवां महीना चल रहा है। मुझे हाइ बीपी की समस्या है। डॉक्टर के अनुसार शिशु का विकास धीमी गति से हो रहा है। मैं क्या करूं?
तृप्ति, गाजियाबाद
आप अपना डॉप्लर अल्ट्रासाउंड, यूरिन रूटीन, एलएफटी, केएफटी और प्लेटलेट्स टेस्ट कराएं। मेरी सलाह है कि आप बायीं ओर करवट लेकर कंप्लीट बेड रेस्ट करें। हाइ प्रोटीन डाइट लें। बीपी की गोलियां नियमित रूप से लें। लो-डोज एस्प्रिन की गोली लेने के साथ नियमित चेकअप कराएं। डिलिवरी किसी अच्छे हॉस्पिटल में कराएं, जहां नर्सरी की सुविधा हो।
मेरी भाभी की उम्र 35 वर्ष है। डॉक्टर ने उनको प्रीमच्योर ओवेरियन फेल्यर की समस्या बताई है, इसका क्या मतलब है?
आस्था कपूर, पटियाला
किसी कारणवश समय से पहले ओवरीज के निष्क्रिय होने पर प्रीमच्योर ओवेरियन फेल्यर यानी प्री मेनोपॉज की समस्या हो जाती है। इसकी वजह से स्त्रियों में थायरॉयड, डायबिटीज और एड्रीनल ग्लैंड से जुडी बीमारियों के लक्षण नजर आ सकते हैं। खून के एक साधारण से टेस्ट के द्वारा डॉक्टर फोलिकल हॉर्मोन के सिक्रीशन के स्तर को चेक करते हैं। सामान्यतया इसका इलाज हॉर्मोनल रिप्लेसमेंट थेरेपी से किया जाता है।
मेरी आयु 29 वर्ष है। प्रेग्नेंसी के 2 महीने बाद मेरा अबॉर्शन हो गया। उसके बाद से मैं प्रेग्नेंट नहीं हो पाई। डॉक्टर ने जांच करके बताया कि मेरी ओवरी में सिस्ट है, जिससे अंडा रिलीज नहींहो पा रहा है। मैं क्या करूं ?
रचना निगम, जबलपुर
पहले तो यह जानने की जरूरत है कि आपको कौन सी सिस्ट है। अगर चॉकलेट सिस्ट है तो लेप्रोस्कोपी द्वारा यह सिस्ट निकल जाएगी। इसके साथ ही फेलोपियन ट्यूब्स की जांच भी हो जाएगी कि कहींवे बंद तो नहींहैं। जो भी कमी होगी, उसका उपचार हो जाएगा। परेशान न हों, उपचार के बाद आप गर्भधारण कर सकेेंगी।
मेरी उम्र 28 वर्ष है। शादी को तीन साल हो चुके हैं। पीरियड्स के दौरान बहुत तेज दर्द रहता है। अल्ट्रासाउंड कराने पर दोनों ओवरीज में 4-5 सेंटीमीटर की चॉकलेट सिस्ट नजर आईं। कृपया बताएं, इसका इलाज कैसे होगा?
कृष्णा सिन्हा, पटना
आपकी समस्या एंडोमीट्रियोसिस की है। बच्चा न ठहरने और पीरियड्स के दर्द का भी यही कारण है। आपको लेप्रोस्कोपी द्वारा इलाज कराना चाहिए। इसमें दूरबीन द्वारा सिस्ट व उससे पैदा होने वाली चिपचिपाहट को ठीक किया जाएगा। आपकी फेलोपियन
ट्यूब्स की भी जांच होगी।
मैं 40 र्षीय विवाहित स्त्री हूं। हाल ही में मैं डॉक्टर के पास रूटीन चेकअप के लिए गई थी। तब डॉक्टर ने मुझे पेप टेस्ट के बजाय एचपीवी (ह्यूमन पैपीलोमा वायरस) डीएनए टेस्ट करवाने की सलाह दी। यह क्या है? इसके क्या फायदे हैं? क्या यह पेप टेस्ट से बेहतर है?
स्वाति मौर्या, कानपुर
एचपीवी डीएनए पेप टेस्ट से बेहतर है, क्योंकि यह कैैंसर का कारण बनने वाले कई प्रकार के ह्यूमन पैपीलोमा वायरस को डिटेक्ट कर सकता है, जो पेप टेस्ट से मुमकिन नहींहै। आपसे मिले सैंपल को डॉक्टर एक लिक्विड कंटनेर में रखेंगे, जिसे लैब में प्रोसेस कर टेस्ट किया जाएगा। इस टेस्ट के जरिये समय से पहले कैंसर का कारण बनने वाले सेल्स के बारे में पता लगाया जा सकता है। यही कारण है कि आपके डॉक्टर ने आपको इस टेस्ट की सलाह दी है।
मैं 29 वर्षीय होममेकर हूं। 8 महीने पहले मेरी शादी हुई है। मैं कुछ वर्षों तक कंसीव
नहीं करना चाहती, इसलिए कंट्रासेप्टिव
पिल्स लेती हूं पर कुछ दिनों पहले ही मेरी एक सहेली ने बताया कि इसका इस्तेमाल गर्भाशय कैंसर का कारण बन सकता है, क्या यह सच है?
समृद्धि, चंडीगढ
ओरल कंट्रासेप्टिव पिल्स बहुत ही प्रभावशाली गर्भनिरोधक होते हैं। यह एक मिथक है कि इससे गर्भाशय का कैंसर होता है, बल्कि यह गर्भाशय के कैैंसर से आपकी सुरक्षा करता है, कंट्रासेप्टिव पिल्स के हॉर्मोनल गुणों के कारण पिल्स लेने वाली स्त्रियों में गर्भाशय के कैंसर की आशंका, पिल्स न लेने वाली स्त्रियों के मुकाबले बहुत कम होती है। सर्वाइकल कैंसर के कई कारण हो सकते हैं। जैसे-सेक्सुअली ट्रांस्मिटेड डिजी•ा (ह्यूमन पैपीलोमा वायरस)
मल्टीपल सेक्सुअल पार्टनर्स, धूम्रपान, कम उम्र में सेक्सुअली एक्टिव होना आदि।
मेरी उम्र 23 वर्ष और पति की उम्र 30 वर्ष है। हमारी शादी को दो साल हो चुकेे हैं, लेकिन अभी तक गर्भधारण न होने पर डॉक्टर ने टेस्ट कराने की सलाह दी, जिसमें पति का टोटल स्पर्म कॉन्संट्रेशन
निल निकला। डॉक्टर का कहना है कि हमें कभी संतान सुख नहींमिल सकता। क्या यह बात सही है? कृपया मेरा उचित मार्गदर्शन करें।
गीता, बरेली
सिर्फ एक बार जांच कराने पर स्पर्म काउंट निल आए तो यह नहीं कहा जा सकता है कि वास्तव में स्पर्म काउंट निल है। कम से कम तीन जांच कराना जरूरी है। उसके बाद भी अगर स्पर्म काउंट निल आए, तभी ऐसा कहा जा सकता है। आप अपने पति को किसी कुशल एंड्रोलॉजिस्ट के पास ले जाएं।
टेस्टोस्टेरॉन हॉर्मोन से कैंसर का खतरा
टेस्टोस्टेरॉन हॉर्मोन की अधिकता से स्त्रियों को गर्भाशय के कैंसर का खतरा डेढ गुना बढ जाता है।
मेनोपॉज के दौर से गुजर रही स्त्रियों में टेस्टोस्टेरॉन और एस्ट्रोजन की अधिकता होती है।
गर्भाशय में होने वाले कैंसर के कारण स्त्रियों में अनियमित पीरियड्स, बार-बार गर्भपात और प्रजनन संबंधी अन्य जटिलताएं पैदा हो जाती हैं।
डॉ.उर्वशी प्रसाद झा