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हल्के में न लें इसे

लो ब्लड प्रेशर को अकसर लोग मामूली कमज़ोरी से जुड़ी समस्या समझकर नज़रअंदाज़ कर देते हैं पर इस मामले में ऐसी लापरवाही ठीक नहीं क्योंकि यह कई गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है।

By Edited By: Published: Mon, 10 Oct 2016 04:32 PM (IST)Updated: Mon, 10 Oct 2016 04:32 PM (IST)
हल्के में न लें इसे
आपने इस बात पर गौर किया होगा कि हमारे आसपास जब भी कोई व्यक्ति लो ब्लड प्रेशर की बात करता है तो हम उससे यही कहते हैं, 'चिंता की कोई बात नहीं, जमकर खाओ-पियो, जल्द ही ठीक हो जाओगे।' अगर कभी हम बीमारी के रूप में ब्लड प्रेशर का जिक्र करते हैं तो उसका मतलब हमेशा हाई बीपी से ही होता है क्योंकि यह समस्या हृदय रोग जैसी जानलेवा बीमारियों के लिए जिम्मेदार होती है। इस दृष्टि से हाई बीपी सचमुच ज्य़ादा नुकसानदेह है। इसी वजह से ज्यादातर लोग लो बीपी को किसी स्वास्थ्य समस्या के रूप में नहीं देखते जबकि ब्लडप्रेशर लो होने पर भी शरीर में रक्त प्रवाह की गति धीमी पड जाती है, जिससे सिर चकराना, जी मिचलाना, कमजोरी, नजर में धुंधलापन और सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्याएं होने लगती हैं। वैसे लो बीपी का एहसास होने पर तुरंत एक कप चाय या कॉफी पीकर थोडी देर के लिए राहत मिल सकती है। अगर किसी को स्थायी रूप से ऐसी समस्या हो तो ब्रेन तक ऑक्सीजन और अन्य जरूरी पोषक तत्व नहीं पहुंच पाते, जो शरीर के लिए बहुत नुकसानदेह साबित होता है। फर्क समझना है जरूरी कई बार लोग मामूली सी कमजोरी को भी लो ब्लड प्रेशर समझ लेते हैं पर हमेशा ऐसा नहीं होता। आमतौर पर सामान्य रक्तचाप 120/80 होता है लेकिन यह जरूरी नहीं है कि सभी का ब्लड प्रेशर हमेशा इतना ही हो। अगर किसी व्यक्ति का सिस्टोलिक बीपी (हायर साइड) 90 से कम और डायस्टोलिक (लोअर साइड) 60 से भी नीचे हो तो इसे लो बीपी माना जाता है। वह भी उस स्थिति में, जब ब्लड प्रेशर अकसर इतना ही रहे। हालांकि, यह भी संभव है कि हमेशा निर्धारित बॉर्डर लाइन से कम ब्लड प्रेशर होने पर भी कुछ लोग पूर्णत: स्वस्थ और सक्रिय रहते हैं। कभी-कभार चक्कर आना, जी मिचलाना या धुंधला दिखने की समस्या केवल लो बीपी की वजह से ही नहीं बल्कि आवश्यक पोषक तत्वों की कमी से भी हो सकती है। एनीमिया होने पर भी लोगों में ऐसे ही लक्षण दिखाई देते हैं। भारत में ज्य़ादातर स्त्रियां अपनी डाइट पर ध्यान नहीं देतीं, जिससे उनके शरीर में आयरन की कमी हो जाती है। इसके अलावा पीरियड के दौरान ज्य़ादा ब्लीडिंग होने की वजह से भी स्त्रियों को एनीमिया की समस्या हो सकती है, जिसके लक्षण भी हाइपोटेंशन (लो बीपी) जैसे ही होते हैं। कभी-कभी हलका चक्कर आए तो इस बात का ध्यान रखना बहुत जरूरी है कि यूरिनेशन सही ढंग से हो रहा है या नहीं। अगर यूरिन से जुडी कोई समस्या नहीं है तो चिंता की कोई बात नहीं। नियमित अंतराल पर यूरिनेशन का मतलब यह है कि व्यक्ति का ब्लड प्रेशर इतना है कि उसकी किडनी आसानी से काम कर रही है। चक्कर आने की अन्य वजहें भी हो सकती हैं। ऐसे में समस्या के मूल कारण को पहचान कर उसका उपचार बेहद जरूरी है। क्यों होता है ऐसा ब्लड प्रेशर कई वजहों से कम हो सकता है, जिनमें कुछ प्रमुख कारण इस प्रकार हैं : डीहाइड्रेशन: डीहाइड्रेशन यानी शरीर में पानी की कमी, जिसके कारण लंबे समय तक नॉजिया, वॉमिटिंग या डायरिया जैसी समस्याएं हो जाती हैं। ज्य़ादा एक्सरसाइज, शारीरिक श्रम या लू लगने के कारण भी ऐसा हो सकता है। इससे दृष्टि में धुंधलापन और बेहोशी जैसे लक्षण भी दिखाई देते हैं। ब्लीडिंग : ज्य़ादा खून बहने से भी ब्लड प्रेशर कम हो सकता है। चाहे यह ब्लीडिंग किसी एक्सीडेंट या ऑपरेशन की वजह से हो या किसी और कारण से। कई बार डिलिवरी के बाद भी खून की कमी से स्त्रियों में लो ब्लड प्रेशर की समस्या हो जाती है। दिल से जुडी बीमारियां : दिल की मांसपेशियां कमजोर होने की स्थिति में भी हार्ट बहुत कम मात्रा में खून को पंप कर पाता है। इससे शरीर में रक्त-प्रवाह धीमी गति से होता है और व्यक्ति का ब्लड प्रेशर लो हो जाता है। इससे हार्ट अटैक और दिल में इन्फेक्शन का भी खतरा बढ जाता है। हार्ट की आर्टरीज में ब्लॉकेज होने के अलावा दिल की धडकन धीमी होने की वजह से भी ब्लडप्रेशर लो हो जाता है। गंभीर इन्फेक्शन: सेप्टिसीमिया या कोई गंभीर इन्फेक्शन होने पर भी बीपी तेजी से नीचे चला जाता है। हाइपो थायरॉयडिज्म : जब थायरॉयड ग्लैंड से हॉर्मोन का सिक्रीशन कम हो जाता है तो ऐसी स्थिति में भी लो बीपी की समस्या हो सकती है। इन बातों का रखें ध्यान असमय और हेवी डाइट लेने से बचें। इससे बीपी लो हो जाता है क्योंकि ऐसी स्थिति में पाचन तंत्र की ओर रक्त का प्रवाह तेजी से होता है पर शरीर के अन्य हिस्सों में इसकी गति धीमी हो जाती है। इससे व्यक्ति को सुस्ती महसूस होती है। अगर लो बीपी की समस्या है तो आप अपनी डाइट में कार्बोहाइड्रेट युक्त खाद्य पदार्थों जैसे आलू, चावल, पास्ता और ब्रेड आदि की मात्रा कम कर दें। बीमारी चाहे कोई भी हो, उसकी जड में कहीं न कहीं तनाव जरूर होता है। जहां स्ट्रेस से कुछ लोगों का ब्लडप्रेशर बढ जाता है, वहीं इससे लो बीपी की भी समस्या हो सकती है। ऐसी स्थिति में मेडिटेशन फायदेमंद होता है। अपनी रुचि से जुडा कोई भी ऐसा कार्य करें, जिससे ब्रेन ऐक्टिव रहे। ऐसी गतिविधियों में भागीदारी बढाएं, जिनसे सच्ची खुशी मिलती हो। अगर आपको लो बीपी की समस्या हो तो कभी भी झटके के साथ न उठें। इससे चक्कर आने और गिरने का खतरा रहता है। हमेशा धीरे-धीरे अपने पोस्चर में बदलाव लाएं। अपनी डाइट में नियमित रूप से हरी पत्तेदार सब्जियों के अलावा केला, तरबूज, अनार और अंगूर जैसे फलों को प्रमुखता से शामिल करें। चुकंदर के जूस का नियमित सेवन भी ब्लड प्रेशर को संतुलित रखता है। अपनी डाइट में जूस, छाछ, शिकंजी और लस्सी जैसे तरल पदार्थों की मात्रा बढाएं। ज्य़ादा से ज्य़ादा पानी पिएं। व्रत-उपवास से बचें और ज्य़ादा देर तक खाली पेट न रहें। हर दो-तीन घंटे के अंतराल पर थोडा-थोडा खाते रहें। अगर ज्य़ादा कमजोरी महसूस हो तो तुरंत नींबू पानी में नमक-चीनी मिलाकर पिएं और अपने खानपान में नमकीन पदार्थों की मात्रा बढा दें। बादाम और किशमिश में मौजूद मैग्नीशियम, आयरन, कैल्शियम और फॉस्फोरस लो ब्लड प्रेशर की समस्या को दूर करने में मददगार होते हैं। इसलिए रोजाना सुबह के वक्त नियमित रूप से पानी में भिगोए हुए 6-7 बादाम और 10-12 किशमिश का सेवन करें। अगर आप इन बातों का ध्यान रखेंगे तो आपका ब्लड प्रेशर हमेशा संतुलित रहेगा। विनीता इनपुट्स : डॉ. संजय के.राय, प्रोफेसर, सेंटर फॉर कम्युनिटी मेडिसिन, एम्स, नई दिल्ली

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