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रोमैंस और ऐक्शन का जलवा गोलियों की रासलीला...

संजय लीला भंसाली की फिल्में अपने भव्य सेट्स के लिए जानी जाती हैं। रंगों की चित्रकारी सी चलती है पर्दे पर। उन्होंने पहली बार रोमैंटिक कहानी के साथ ऐक्शन से भरपूर फिल्म बनाई 'गोलियों की रासलीला...रामलीला।' फिल्म को मिश्रित प्रतिक्रियाएं मिलीं। अजय ब्रह्मात्मज बता रहे हैं फिल्ममेकिंग से जुड़ी कुछ

By Edited By: Published: Sat, 20 Dec 2014 04:16 PM (IST)Updated: Sat, 20 Dec 2014 04:16 PM (IST)
रोमैंस  और ऐक्शन का जलवा गोलियों की रासलीला...

संजय लीला भंसाली की फिल्में अपने भव्य सेट्स के लिए जानी जाती हैं। रंगों की चित्रकारी सी चलती है पर्दे पर। उन्होंने पहली बार रोमैंटिक कहानी के साथ ऐक्शन से भरपूर फिल्म बनाई 'गोलियों की रासलीला...रामलीला।' फिल्म को मिश्रित प्रतिक्रियाएं मिलीं। अजय ब्रह्मात्मज बता रहे हैं फिल्ममेकिंग से जुडी कुछ घटनाओं के बारे में।

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संजय लीला भंसाली की फिल्में भव्य, रोचक और परतदार होती हैं। उनकी फिल्मों में चरित्रों की भीड के संग सघन कार्य-व्यापार भी होता है। वे फ्रेम में आ रहे वस्तुओं और व्यक्तियों के पहलुओं पर ग्ाौर करते हैं। वे व्यक्त करते हैं कि उन्हें कैसा दिखना चाहिए? इस कैसा के पीछे जो 'क्यों होता है, वही दर्शकों का मनोरंजन करता है। संजय लीला भंसाली की ख्ाासियत है कि उन्होंने कभी ख्ाुद को नहीं दोहराया। उनकी फिल्मों में गीत-संगीत, रंग, लोकेशन, चरित्र और दृश्य उदात्त होते हैं। रणवीर सिंह और दीपिका पादुकोण अभिनीत 'गोलियों की रासलीला... रामलीला उनकी सफल मनोरंजक फिल्म है।

'गुज्ाारिश जैसी संवेदनशील फिल्म के बाद संजय लीला भंसाली ने अपना विस्तार किया। उन्होंने अपने प्रोडक्शन तले दूसरे निर्देशकों को मौका दिया। उन्होंने 'माय फ्रेंड पिंटो, 'राउडी राठौर, 'शीरीं फरहाद की तो निकल पडी जैसी फिल्मों का निर्माण किया। कहा जाने लगा था कि 'गुज्ाारिश से उन्हें भारी झटका लगा है। उनके निर्देशन में आ रही फिल्म को लेकर अटकलें जारी थीं। कलाकारों के नाम बदल रहे थे। पहले इस फिल्म के लिए अन्य कलाकारों की ख्ाबरें आई थीं। संजय लीला भंसाली ने बताया था कि रणवीर सिंह और करीना कपूर के साथ वे 'रामलीला की शूटिंग करेंगे। फिर स्टार बदले और अंतत: दीपिका पादुकोण के साथ फिल्म पूरी हुई। भंसाली को सफलता मिली। दर्शकों को इसमें 'हम दिल दे चुके सनम की तीव्रता व प्रेम की अनुभूति का आनंद आया।

विवादों में नाम

'गोलियों की रासलीला... रामलीला का नाम पहले 'रामलीला था। तर्क यह था कि यह राम और लीला नामक दो किरदारों की प्रेम कहानी है। चूंकि फिल्म 'रोमियो जूलियट पर आधारित थी, इसलिए उसी तर्ज पर उन्होंने 'रामलीला नाम रखा। ग्ाौर करें तो एशियाई देशों में जोडिय़ों के नाम में पहला नाम स्त्री का होता है- राधाकृष्ण, सीताराम, हीर-रांझा, लैला-मजनू, शीरीं-फरहाद। लेकिन संजय लीला भंसाली ने 'रामलीला नाम पसंद किया। 'लीला राम सुनने में अजीब लगता। फिल्म की घोषणा होते ही आपत्तियां उठने लगीं कि भंसाली भारतीय मिथकों की अवहेलना कर रहे हैं। 'रामलीला भारतीय समाज में प्रचलित प्राचीनतम परफॉर्र्मिंग आर्ट फॉर्म हैं। दशहरे के समय देश भर में 'रामलीला के आयोजन होते हैं। रिलीज्ा तक ज्िाद पर अडे रहे संजय लीला भंसाली ने आख्िारकार नाम बदल कर 'गोलियों की रासलीला... रामलीला कर दिया।

कंफर्ट ज्ाोन से बाहर

संजय लीला भंसाली की पुरानी फिल्मों को याद करें तो उनमें हिंसा के दृश्य नहीं हैं। भंसाली ने पहली बार अपने कंफर्ट ज्ाोन से बाहर आकर फुल ऐक्शन फिल्म की है। वे कहते हैं, 'पहली बार कुछ अलग करने की कोशिश की। फिल्म में ख्ाूब गोलियां चली थीं-कभी प्यार में, कभी गाने में तो कभी ख्ाुशी में। 'ख्ाामोशी के समय से मेरी फिल्मों के ऐक्शन डायरेक्टर शाम कौशल रहे। वह कहते थे कि केवल थप्पड मारने के लिए मुझे क्यों बुलाते हो? इस फिल्म में उन्हें भी पूरा संतोष मिला।

फिल्म की शूटिंग कच्छ के इलाकों के साथ मुंबई में बनाए सेट पर हुई थी। संजय लीला भंसाली अपनी फिल्मों में नियंत्रित भव्यता, रंग-रोशनी और चमक के लिए सेट पर शूटिंग करना पसंद करते हैं। पर इस फिल्म में उन्होंने गुजरात के कच्छ क्षेत्र के अलावा राजस्थान में भी शूटिंग की। फिल्म के पात्र धोती-कोडिया पहने नजर आते हैं। वास्तु और भौगोलिक परिदृश्यों में भी स्थानीयता है। यह प्रोडक्शन डिज्ााइनर वासिक ख्ाान की कल्पना से संभव हुआ था। उन्होंने फिल्म की थीम और परिवेश के मुताबिक सेट तैयार किए।

मज्ाबूत टीम वर्क

फिल्म निर्माण निस्संदेह टीम वर्क है। यदि यह निर्देशक के विजन पर आधारित टीम वर्क हो तो नतीजा 'गोलियों की रासलीला... रामलीला की तरह सामने आता है। आम दर्शक अभिनय देखते हैं। वे समझ नहीं पाते कि उन्हें फिल्म की अन्य चीज्ों भी अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित कर रही हैं। फिल्म का अच्छा लगना सामूहिक प्रभाव है। भंसाली जैसे निर्देशक टीम को छूट देने के बावजूद उन्हें नियंत्रण व निरीक्षण में रखते हैं, ताकि उनकी निजी सोच और कल्पना पर्दे पर उतर सके। यह फिल्म टीम वर्क का मज्ाबूत उदाहरण है। रणवीर सिंह और दीपिका पादुकोण की जोडी है। रणवीर सिंह को फिल्म में मनमािफक किरदार मिला। हालांकि फिल्म के ऐक्शन एवं इंटेंस दृश्यों के लिए उन्हें बहुत मेहनत करनी पडी। रणवीर सिंह बताते हैं, 'संजय सर के साथ काम करना एक अनुभव है। वे बारीकी से दृश्य समझाते हैं और अपनी मांग एवं अपेक्षा रखते हैं। फिर कलाकारों को खुला छोड कर उन्हें नियंत्रित आज्ाादी देते हैं। उन्हें फिल्म की संभावित मुश्किलों की जानकारी पहले से रहती है। कई बार यह हुआ कि मेरे कुछ पूछने से पहले ही वे बताने लगते थे। दीपिका पादुकोण कहती हैं, 'आप चाहे जितनी तैयारी कर लें...सेट पर पहुंचने के बाद संभव है कि संजय सर सारी तैयारी निरस्त कर दें और अचानक कोई नई मांग रख दें। कुछ कलाकारों को इससे दिक्कत हो सकती है, लेकिन मुझे लगता है कि फिल्म का प्रभाव बढाने के लिए निर्देशक तब्दीली कर सकता है।

देसी टच

पॉपुलर युवा अभिनेताओं पर ग्ाौर करें तो उनमें शहरी शालीनता है। मगर रणवीर इस पीढी में थोडा अलग हैं। संजय लीला भंसाली बताते हैं, 'उसमें देसी अल्हडपन है। अन्य कलाकारों की तरह वह अभी फिरंगी नहीं हुआ है। जोश और ऊर्जा से लबरेज रणवीर सिंह मेरी कल्पना के राम के लिए सही था। दूसरी ओर नई पीढी की नायिकाओं में दीपिका ने फिल्म 'कॉकटेल के बाद अपने भीतर बहुत बदलाव किया है। मुझे लीला के रूप में ख्ाूबसूरत, वेगवान और आक्रामक लडकी चाहिए थी, जो राम के समक्ष खडी हो और उसे टक्कर दे सके। दीपिका ने ये अर्हताएं पूरी कीं।

दीपिका बताती हैं, 'हर अभिनेत्री की ख्वाहिश होती है कि वह संजय लीला भंसाली के साथ काम करे। वे हीरोइनों के रूप और हुनर के नए आयाम निकालते हैं। उनकी फिल्मों में अभिनेत्रियां सुंदर दिखती हैं। इस फिल्म के बाद कई लोगों ने बताया कि इतनी सुंदर मैं किसी अन्य फिल्म में नहीं दिखी। निश्चित ही संजय सर पारखी नज्ार रखते हैं। वे चेहरे को सुंदरतम कोण से देखते और पेश करते हैं। सुंदरता की एक वजह आत्मविश्वास है। मुझे लगता है कि उनकी सारी हीरोइनें समर्थ और आत्मविश्वास से भरी रहती हैं। संजय सर उम्दा परफॉर्मेंस को मैजिक कहते हैं। उन्हें अपने हर दृश्य में मैजिक चाहिए।

फिल्म के अन्य किरदारों में भी भंसाली ने उनकी भाव-प्रवणता पर विशेष ध्यान दिया। रिचा चड्ढा, गुलशन देवय्या, सुप्रिया पाठक और अभिमन्यु सिंह जैसे छोटे-मोटे किरदार भी फिल्म में निखर कर उभरे। फिल्म ने भंसाली को रणवीर सिंह और दीपिका पादुकोण के रूप में नई जोडी दी, जिन्हें वे 'बाजीराव मस्तानी में दोहरा रहे हैं।

अजय ब्रह्मात्मज


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