काम के प्रति संजीदा लोग हैं पसंद
पूरे टशन, कॉन्फिडेंस और टपोरी स्टाइल मिस्टर इंडिया उर्फ अनिल कपूर अपने शो 24 के लिए प्रेस मीट में बैठे डेजर्ट का मजा ले रहे थे। बड़े परदे से छोटे परदे के अपने पहले शो को लेकर काफी उत्साहित अनिल कपूर ने इस शो के लिए काफी मेहनत की। वह असल जिंदगी में भी हीरो बनना चाहते हैं। उनकी बॉडी यह साफ बयां कर रही थी कि उन पर बढ़ती उम्र का कोई असर नहीं हुआ है। सखी के साथ एक खास मुलाकात..।
56 की उम्र में इतनी स्ट्रेंथ, फिटनेस और स्टंट ..। आखिर क्या है इस फिटनेस का राज?
मेरी फिटनेस का राज मेरे घर में मौजूद तीन स्त्रियां हैं। मेरी पत्नी सुनीता और मेरी बेटियां- सोनम व रीया.. (सामने पडे डेजर्ट की ओर इशारा कतरे हुए) और यह डेजर्ट भी। मैं मीठा खा पा रहा हूं। इससे बडी बात और क्या हो सकती है। थोडी मेहनत की और थोडी सी ट्रेनिंग। थोडा फिजिकली परिवर्तन किया है। मैंने 6-7 किलो वजन कम किया। बॉडी का जो फैट था उसे कम किया और मसल्स को बढाया। मसल्स स्ट्रेंथनिंग एक्सरसाइजेज कीं। आप देखिए, मैंने गर्दन के पास जमा फैट भी कम कर दिया। लोग समझते हैं और कहते हैं कि अरे यार तू बडा यंग लग रहा है आजकल। यंग नहीं लग रहा, बल्कि फैट निकल गया है। एक खास उम्र के बाद मेटाबॉलिज्म बहुत कमजोर हो जाता है, ऐसे में आपको खुद का अधिक ध्यान रखने की जरूरत होती है। ज्यादा एक्सरसाइज की जरूरत होती है। आप क्या खा रहे हैं, इस बात का ध्यान रखना जरूरी है। मेरी जिंदगी की महत्वाकांक्षा यह है कि जो मैं अभी थोडा-थोडा खा रहा हूं, जब मैं 90 साल का हो जाऊं, तब तक वैसे ही खाता रहूं।
फिट रहने के लिए क्या-क्या चीजें मैटर करती हैं?
अपनी बॉडी को मैंने इस तरह से ट्रेन किया है कि कुछ गडबड नहीं होती। 24 घंटे तला-भुना, मीठा और हेवी मील लूंगा तो गडबड हो जाएगा। कभी-कभार महीने में एक बार खाऊंगा तो कुछ नहीं बिगडेगा। कंट्रोल अपने पास है। लगाम अपने पास है हेल्थ की। साथ में पॉजिटिविटी है। अगर आप खुश रहेंगे, अच्छा सोचेंगे तो सेहत भी अच्छी रहेगी। ज्यादा सोचेंगे तो नींद नहीं आएगी। आप थकान महसूस करेंगे। आप एक्सरसाइज नहीं कर पाएंगे। पूरा रुटीन बिगड जाएगा। फिट रहने के लिए और भी बातें मैटर करती हैं- अपनी फेमिली लाइफ, और रिलेशनशिप। इस मामले में मैं किस्मत वाला हूं। लोग गलत रिलेशनशिप में पड जाते हैं। रिलेशनशिप काम नहीं करती। सपोर्ट गडबड हो जाता है। सब चीजें मायने रखती हैं। हमारी पारिवारिक बुनियाद जबर्दस्त है। जब आपको हर तरफ से सपोर्ट मिलता है.. दोस्त अच्छे मिलते हैं, संबंध अच्छे होते हैं तो आप इमोशनली भी फिट होते हैं। जब सब कुछ घर पर मिल रहा हो तो बाहर की जरूरत ही नहीं।
माना जाता है कि एक सफल स्टार अपने रोल व करियर को लेकर काफी चूजी होता है। क्या आपके साथ भी ऐसा है?
ऐसा भी नहीं है कि मैं बेचैन हूं करियर के लिए, कि नहीं यार यह मेरी इमेज के लिए ठीक नहीं है। इसमें कुछ चक्कर होना चाहिए, तो पब्लिसिटी मिलेगी। थोडा सा यह कर लेते हैं, वह कर लेते हैं। यह सब जो लाइफ में ट्विस्ट होते हैं.. आपके चेहरे पर साफ नजर आते हैं। चेहरा तो आईना होता है। 24 सिरीज के लिए मेरे लिए हर कदम चुनौतियों से भरा है। इसलिए मैं बहुत एक्साइटेड हूं। शूटिंग करता रहता हूं तो सोचता हूं कि कब ब्रेक मिलेगा। बहुत मेहनत करनी पडती है। सुबह उठकर काम पर जाने में मजा आता है। खाना नहीं खा पाता। सोचता हूं पूरा काम खत्म करके रात में खाऊंगा। कई तरह की चुनौतियां हैं- आंखों में सुस्ती, थकान नहीं दिखनी चाहिए। स्ट्रेंथ होनी चाहिए, इसके लिए मुझे हमेशा पॉजिटिव रहना पडता है।
आपने कई ऐक्ट्रेसेज के साथ काम किया है। सबसे ज्यादा कंपैटिबिलिटी किसके साथ रही?
मुझे उन सभी के साथ काम करना अच्छा लगता है, जो हार्ड वर्कर हों। उनके साथ काम करने में कंफर्ट होता है जो काम को लेकर संजीदा हों। फिर चाहे वह बडी या छोटी स्टार हो, मायने नहीं रखता। अगर वह संजीदा है, काम आता है और मेहनत के लिए तत्पर हो तो मैं उसके साथ ऐसे पेश आऊंगा जैसे वह सबसे सुंदर स्त्री है, जिससे मैं जिंदगी में पहली बार मिल रहा हूं। उसे इज्जत दूंगा। लेकिन जो काम में बेस्ट नहीं देती, मेहनत नहीं करती और काम ठीक से नहीं आता, कितनी भी खूबसूरत हो, मुझे उसमें दिलचस्पी नहीं होती। मैं उनके साथ ही कंफर्टेबल होता हूं, जिन्हें काम आता है, जो मेहनत करती हैं।
तो आपके हिसाब से ऐसी अभिनेत्रियां कौन हैं?
कोई अभिनेत्री एटीट्यूड दिखा रही है। काम में उसे रुचि नहीं और मेहरबानी कर रही है सेट पर आकर तो मुझे भी उसमें दिलचस्पी नहीं होगी। इस मामले में भी मैं लकी हूं क्योंकि मुझे जो को-स्टार्स (अभिनेत्रियां) मिलीं मसलन- अमृता सिंह, पद्मिनी कोल्हापुरी, श्रीदेवी, माधुरी, मंदिरा, टिस्का चोपडा.. अच्छी मिलीं। इन सभी को काम आता है। जिनके साथ मैं पहली बार काम कर रहा हूं, उनका काम देखकर भी मैं सोचता हूं कि फिल्मों में इनको क्यों नहीं लिया गया। इतनी मेहनत करती हैं नई अभिनेत्रियां। काम को लेकर संजीदा हैं। मंदिरा और टिस्का ये लोग थोडा भी काम करती हैं तो मैं शॉक्ड हो जाता हूं। फैंटास्टिक शूट करती हैं। ऐसा लगता है कि यह लोग बरसों से काम कर रही हैं इस दुनिया में।
आपकी पहचान टपोरी टाइप है। यह अंदाज आपको निजी तौर पर कितना पसंद है? इतना टपोरी अंदाज लाते कैसे हैं?
टपोरी टाइप में काफी फन है। मुझे अच्छा लगता है। लोग भी पसंद करते हैं। वेल्कम फिल्म में जो मेरा किरदार था, वह लिखा नहीं गया था। मैंने क्रिएट किया था। दरअसल, मैंने अपना बचपन ऐसे ही लोगों के साथ गुजारा है, जिनसे तरह-तरह के किरदार क्रिएट हो सकते हैं। उनकी बोली भी कुछ अलग ही थी। उस समय एक हमारे टपोरी दादा थे। वह बेहद दुबले-पतले थे, लेकिन चलते ऐसे थे, जैसे उनकी बॉडी बहुत जबर्दस्त है। एटीट्यूड व कॉन्फिडेंस ऐसा था कि कोई मसल्समैन हो तो उसे भी मार देंगें।
इतनी भागमभाग, मेहनत और जिदगी के उतार-चढाव के बीच आप खुद को तनावमुक्त कैसे रख पाते हैं?
मैं तनाव और गुस्से पर काबू इसलिए रख पाता हूं क्योंकि पॉजिटिव सोचता हूं। अगर आप पर जिम्मेदारी है और आप उस जिम्मेदारी को महसूस करते हैं तो गुस्से पर नियंत्रण करना ही होगा। मैं अपने गुस्से को अंदर ही जब्त कर लेता हूं।
जिम्मेदारियां आपको सब कुछ सिखा देती हैं। आप जहां भी हैं, उसे अपनी मेहनत का फल मानते हैं या किस्मत का?
मुझे कर्म और किस्मत दोनों पर भरोसा है। वह कहावत है न, कर्म करो और फल की इच्छा न करो। लेकिन मैं यह मानता हूं कि मेहनत का फल तो मिलना ही चाहिए। आगे बढने के लिए यह फल खाना जरूरी है। कर्म करना आपके हाथ में है। अगर किस्मत साथ दे गई तो समझो आप राजा हो गए। आज मैं जहां हूं वह मेहनत और किस्मत दोनों के कारण हूं।
रीअल लाइफ में आपको 24 घंटे मिल जाएं तो क्या करेंगे?
अगर मुझे रीअल लाइफ में 24 घंटे मिले तो मैं सो जाऊंगा। अब बहुत थक गया हूं। थोडा ब्रेक लेना चाहूंगा। 24 घंटे अपने परिवार के साथ बिताना चाहूंगा। वाइफ को हॉलीडे पर ले जाऊंगा। बस फिलहाल तो मेरे 24 घंटे ऐसे ही होने चाहिए।
कहते हैं कि कोई भी परफेक्ट नहीं होता। हर इंसान में कुछ न कुछ कमजोरियां होती हैं। क्या आपकी भी कोई ऐसी कमजोरी है, जिसके आगे आप बेबस हो जाते हैं?
जी हां, मैं मानता हूं मुझमें बहुत सारी कमजोरियां हैं। मैं सारी कमजोरियों को एक-एक करके दूर करने की कोशिश कर रहा हूं। जैसे मुझे बुक्स पढनी चाहिए, लेकिन मैं अच्छा रीडर नहीं हूं। मैं पढता नहीं। जब मैं पढूंगा नहीं, तो कैसे पता चलेगा कि दुनिया में क्या चल रहा है। इसके अलावा मैं अपने काम के अलावा किसी दूसरी चीज पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाता। कंसंट्रेशन की प्रॉब्लम है। लेकिन मैं धीरे-धीरे कोशिश करूंगा इसे दूर करने की।
इला श्रीवास्तव