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मुश्किलों से नहीं घबराता

कुछ लोग अपना रास्ता खुद चुनते हैं। बेश़क, मंजिल तक पहुंचने में उन्हें बहुत मुश्किलें झेलनी पड़ती हैं, पर वे हार नहीं मानते। अभिनेता एजाज खान भी ऐसे ही जुझारू लोगों में से एक हैं। उनके सामने कई बाधाएं आई, फिर भी वह अपने संकल्प पर डटे रहे। यहां वह अपने अनुभव बांट रहे हैं, सखी के साथ।

By Edited By: Published: Wed, 01 Jan 2014 12:54 AM (IST)Updated: Wed, 01 Jan 2014 12:54 AM (IST)
मुश्किलों से नहीं घबराता

जब कभी मैं पीछे मुडकर देखता हूं तो मुझे ऐसा लगता है कि मेरे जीवन का सफर कई तरह की मुश्किलों से भरा रहा है। मुझे मालूम है कि अभी और भी मुश्किलें आएंगी, पर मैं ऐसे हालात से बिलकुल नहीं घबराता।

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डांस है मेरा पैशन

मैं मूलत:  मुंबई के चैंबूर  इलाके का रहने वाला हूं। वहीं से इंजीनियरिंग करने के बाद, पता नहीं कैसे डांस की ओर मेरा रुझान बढ गया। मैं अच्छा स्टूडेंट था, फिर भी इंजीनियरिंग में मुझे मजा नहीं आ रहा था। मुझे ऐसा लगता था कि मैं अपनी सारी जिंदगी ऐसे बोरिंग करियर  के साथ नहीं बिता सकता। डांस को लेकर मेरे मन में अलग तरह का जुनून था। इसलिए अपने दिल की आवाज सुनते हुए मैंने बाकायदा डांस की ट्रेनिंग ली। इसके बाद मुझे स्टेज शोज  के लिए काम भी मिलने लगा था। मैंने अपनी पहली कार डांस की कमाई से ही खरीदी  थी। मेरे घर में किसी को भी यह बात पसंद नहीं थी कि मैं इंजीनियरिंग छोडकर ग्लैमर व‌र्ल्ड में जाऊं। खास तौर से मेरे वालिद मुझसे खफा  रहते थे। वह बेहद स्वाभिमानी किस्म के इंसान हैं। उनका कहना था कि जो भी करना हो अपने बलबूते पर करो। मुझे भी उनकी यह बात ठीक लगी। ऐसे में खुद  को सही साबित करने के लिए मैंने घर छोड दिया।

आसान नहीं था सफर

अपने उसूलों की खातिर  एक ही झटके में मैंने घर तो छोड दिया, पर इससे पहले यह नहीं सोचा था कि कहां जाऊंगा और कैसे रहूंगा? यह फैसला लेना भले ही आसान रहा हो, लेकिन इस पर कायम रहना मेरे लिए बहुत मुश्किल था। हालांकि मैं आसानी से हार मानने वाला शख्स नहीं हूं। बस, यही सोच कर घर से निकल पडा कि अंजाम जो भी होगा, देखा जाएगा। वह शुरुआती दौर मेरे लिए मुश्किलों से भरा था। मुझे कई रातें छत्रपति शिवाजी रेलवे स्टेशन पर गुजारनी पडीं। रोजाना सुबह वहीं के सार्वजनिक नल पर नहा-धोकर काम की तलाश में निकल पडता था।

उम्मीद की पहली किरण

इसी बीच मुझे कोरियोग्राफर  गणेश हेगडे के साथ व‌र्ल्ड  टूर पर जाने का मौका मिला। सन 2000  में शाहरुख  खान  के साथ उनके डांस ट्रूप  में शामिल था और उनके साथ लंदन भी गया। फिर मैंने सोहेल खान की फिल्म मैंने दिल तुझको  दिया से अपनी फिल्मी पारी शुरू की, लेकिन बदिकस्मती से इस फिल्म के एक फाइट सीन में मेरे कंधे की हड्डी टूट गई। मुझे करीब डेढ साल का ब्रेक  लेना पडा। इसके लिए मुझे मुंबई से बाहर कल्याण जाकर फिजियोथेरेपी  लेनी पडी। शरीर की तकलीफ से कहीं ज्यादा मुझे इस बात का दुख था कि मेरे फिल्मी करियर की शुरुआत में ही बेवजह रुकावट आ गई। खैर, धीरे-धीरे मेरी सेहत में सुधार आने लगा। उसके बाद फिल्म जमीन से मैं दोबारा फिल्मों में सक्रिय हुआ। इस बीच मुझे बालाजी  टेलीफिल्म्स  से टीवी सीरियल केसर में काम करने का ऑफर  मिला। यहीं से छोटे पर्दे के लिए मेरे सफर की शुरुआत हुई। मैंने आठ-नौ धारावाहिकों में काम किया। इस बीच फिल्म जिला गाजियाबाद में ओमी और तनु वेड्स  मनु में सरदार जस्सी  के रोल में मुझे काफी पसंद किया गया। हाल ही में प्रदर्शित फिल्म लकी कबूतर में भी मुझे अभिनय का अवसर मिला। अभी भी मेरा संघर्ष खत्म नहीं हुआ है। मुझे अपने काम से बेहद खुशी  मिलती है। मेरा मानना है कि सच्ची लगन के साथ काम करने वाले लोगों को देर से ही सही, कामयाबी जरूर मिलती है।

प्रस्तुति : रतन


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